Thursday, May 7, 2020

तारा तन्त्रम'





'तारा तन्त्रम' 


 महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ में भगवती-तारा को महाविधायों में सर्वश्रेष्ठ एवं अद्धुतिया सफलता प्रदान करने वाली बताया गया है..

महर्षि विश्वामित्र ने स्वयं कहा है की यदि तारा मंत्र के साथ "तारा-सपर्या" शिद्ध कर ले तो उस साधक में आकर्षण शक्ति विशेष रूप से आजाती है और वह रम्भा , मेनका , उर्वशी जैसी अप्सराओं को अपने वश में कर सकता है, युद या मुकदमे बाजी में निश्चित ही उसे सफलता प्राप्त होती है है ,

यदि इस सपर्या का आदि रत को मंतर जप करे , तो उसकीवाणी में विशेष प्रभाव व्याव्त होता है और वह धरा प्रवाह बोलता हुआ हजारोंलाखों लोगो को एक साथ सम्मोहन कर सकता है

"तारा तूर्ण " साधना से वह साधक 'परकाय प्रवेश' सिद्धि में सफलता प्राप्त कर सकता हैं और विविध यक्षिणी किन्नरी को अपने वश में करसकता है , एक प्रकार से देखा जाय तो वह नवीन स्रष्टि रचना में समर्थ हो सकता है ...!!

भगवती तारा को "वक् शक्ति " "नील सरस्वती " "तारा" तथा उग्र तारा के नाम से भी संबोधन करते है , क्युकी तांत्रिक मान्त्रिक दोनों ही तरीकों से इसकी श्रेष्ठम साधना संपन्न की जा सकती है !

... जय माँ तारा...

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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