Sunday, March 31, 2019

फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी



फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी.


दक्षिना  : - 301

पेटेम नंबर : - 9958417249

अगर किसी पर court case हो, नोकरी में Permotion रुकी हो, Transfer न हो रही हो, Job Politics हो, Savings से ज्यादा खर्चे हो,विदेश जाने में दिक्कत हो या घर में कलेश रहता हो तो इनके समाधान के लिए यह समय उपाय के लिए सबसे अच्छा समय है 

 फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी.

दक्षिना  : - 301

पेटेम नंबर : - 9958417249

कैसे? 

 ये जानने के लिए birth details और समस्या बताए .

dear all kindly check the post ye sirf unhi ke liye upay hai jinki samasya upar likhi hai
problem bhi sath mein likhe

 हम के  पी के होररी नंम्बर के आधार पर हां ना या देरी  का तत्काल उत्तर  देगे और अधिक विश्लेष्ण करवा ना हो तो फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी.

दक्षिना  : - 301

पेटेम नंबर : - 9958417249

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

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प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।








प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।


।। महाकाली ।।

ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार, तत सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम ज्योत, परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वहानी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी । जिह्वा ज्वाला दन्त काली । मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । मांस खाये रक्त-पी-पीवे । भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीन, नागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।

विशेष

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें.

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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Saturday, March 30, 2019

जानिये आपका भाग्यरत्न







जानिये आपका भाग्यरत्न  


 आप हमें comment  box में अपनी Date of birth ,अपना time of birth ,और places of birth दे क्र भी जान सकते है 

हर मनुष्य की जन्मपत्री मे कोंई न कोई ग्रह शुभ और अशुभ होते है औंर जिसके कारण ही उनके भाग्य में परिवर्तन आता रहता है। 

जानिये आपका भाग्यरत्न  भी एकदम free  कौन सा भाग्यरत्न पहनने से आप को लाभ मिलेंगे |  

अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या शुभ ग्रहों को और अधिक शुभ बनाने की मनुष्य की सर्वदा चेष्टा रही है। इसके  लिए रत्न को धारण करना एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय है।लेकिन कब कौन सा रत्न किस धातु में कैसे धारण करें.

 ये जानना भी बहुत जरूरी है।क्यंकि रत्न दोधारी तलवार की तरह होते हैं जिन्हें उचित जांच परख के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा सकारात्मक की जगह नकारात्मक परिणाम भी देते हैं.

इसके लिए कुंडली का निरीक्षण जरूरी होता है।यूँ ही रत्न पहन लेना नुकसानदायक हो सकता है।

जादा जानकारी और समाधान और उपाय या रत्न विश्लेषण समाधान प्राप्त के लिए सम्पर्क करे।

 जन्म  कुंडली  देखने और समाधान बताने  की 

दक्षिणा  -  300   मात्र .

paytm number - 9958417249 .

विशेष

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Tuesday, March 26, 2019

सम्मोहन काजल निर्माण विधि-





सम्मोहन काजल निर्माण विधि-


यह प्रयोग दिवाली की रात्रि को करे। रात्रि 9 बजे के माँ के सामने एक घी का दीपक जलाये और उसकी लो को देकते हुए निम्न मंत्र की 11 माला रुद्राक्ष माला से करे।

 11 माला हो जाने के बाद उस दीपक पर एक कटोरी को इस तरह सेट कर दे की सारा काजल उस कटोरी में आ जाये। याद रखे ये दीपक रात्रि 9 से सुबह 4 बजे तक जलना चाहिए।

फिर सुबह सरे काजल को किसी शीशी में रख ले। और जब भी आपको सम्मोहन करना हो तब मंत्र का 11 बार जाप करके काजल को आँख में लगा ले। इस काजल से सभी आपके अनुकूल हो जायेंगे।

यहाँ तक जब आप कोई देवी देवता की साधना करे तब भी आप इसे आँखों में लगा ले ये दिव्या काजल उन्हें भी आपकी और आकर्षित करेगा। नोकरी के इंटरव्यू में जाना हो तब भी लगा सकते है।

रोज़ चाहे तो रोज़ लगाये इससे हर मिलने वाला व्यक्ति आपके अनुकूल हो जायेगा। मात्र दस    दिवस का प्रयोग आपके लिए अत्यंत ही लाभकारी होगा।

मेरा अनुभूत है ये प्रयोग,ये काजल खासकर अप्सरा साधना में बहुत अच्छे परिणाम देता है।ऐसा कई साधको का अनुभव रहा है।अतः आप भी इससे लाभान्वित हो

मंत्र: 

||ॐ ह्री सर्व सम्मोहिनी स्वाहा ||  

||om hreem sarva sammohini swahaa||

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

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Saturday, March 23, 2019

सन स्टोन






सन स्टोन


इस रत्न को रूबी का उपरत्न माना जाता है।  जो लोग माणिक मँहगा होने के कारण धारण नहीं कर सकते, वह  इसे धारण कर सकते हैं. इस रत्न पर सूर्य का स्वामित्व है .

अतः यह रत्न बहुत ही प्रभावशाली होने के साथ साथ जिस जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ घर में विराजमान है तथा सूर्य के अशुभ प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें यह रत्न धारण करने से सूर्य के दोषों से मुक्ति मिलती है।



इस रत्न को रूबी का उपरत्न माना जाता है।  जो लोग माणिक मँहगा होने के कारण धारण नहीं कर सकते, वह  इसे धारण कर सकते हैं. इस रत्न पर सूर्य का स्वामित्व है .

अतः यह रत्न बहुत ही प्रभावशाली होने के साथ साथ जिस जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ घर में विराजमान है तथा सूर्य के अशुभ प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें यह रत्न धारण करने से सूर्य के दोषों से मुक्ति मिलती है।

किसे धारण करना चाहिए

ज्‍योतिष के अनुसार सनस्टोन रत्न सूर्य से संबंधित है और यह मीन, सिंह और तुला राशि पर अधिकार रखता है इसलिए मीन, सिंह और तुला राशि के जातकों के लिए यह रत्न लाभकारी होता है।

 सूर्य की तरह ही यह रत्‍न जातक को तेजवान, निडर, साहसी और ताकतवर बनाता है।

 इस रत्न के प्रभाव से तनाव से मुक्ति मिलती है और मानसिक परिपक्‍वता आती है। 

 इस रत्न को धारण करने से निर्णय क्षमता का विकास होता है और विचारों में सकारात्मकता आती है। 

 यह रत्न व्यक्ति को समाज में मान-प्रतिष्ठा दिलाता है तथा अच्छे गुणों का विकास कराता है।   

 मौसम में बदलाव के कारण होने वाली बिमारियों से बचने के लिए भी इस रत्‍न को पहनना लाभदायक होता है।

 सत्ता और राजनीती से जुड़े लोगो को सनस्टोन अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि यह रत्न सत्ता धारियों को एक ऊँचे पद तक पहुचाने में बहुत सहायता करता है।

कब और कैसे धारण करे:-

सनस्टोन रविवार के दिन सोने की अंगूठी, ब्रेसलेट या लॉकेट में जड़वाकर अनामिका अंगूली में पहनना चाहिये ताकि पहनने वाले को इसका लाभ मिल सके लेकिन इससे पहले अंगूठी, ब्रेसलेट या लॉकेट को कच्चे दूध व गंगाजल के मिश्रण में डुबोए रखें ताकि वह शुद्ध हो जाए। इसके बाद पूजा-अर्चना करने पर ही यह रत्न धारण करना चाहिए।

 याद रखे कि अंगूठी, ब्रेसलेट या लॉकेट मे सनस्टोन कम से कम सवा पांच रत्ती का अवश्य होना चाहिये।

₹1100

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दक्षिणा  -  300   मात्र .

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विशेष

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Friday, March 22, 2019

सर्व कार्य सिद्धि हनुमान मन्त्र





सर्व कार्य सिद्धि हनुमान मन्त्र 


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"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यं साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।"

विधिः-

मंगलवार से प्रारम्भ करके इस मन्त्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करता रहे और कम-से-कम सात मंगलवार तक तो अवश्य करे। इससे इसके फलस्वरुप घर का पारस्परिक विग्रह मिटता है, दुष्टों का निवारण होता है और बड़ा कठिन कार्य भी आसानी से सफल हो जाता है।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

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महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरानी झाडुओ को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए। यदि आपकी झाड़ू पुरानी हो गई है तो शनिवार के दिन उसे बाहर फेंक दें, इससे घर की सभी परेशानी बाहर चली जाती है। वास्तु के अनुसार पुरानी झाड़ू को घर में रखना घर की सुख शांति और सुख समृद्धि को नुकसान पहुंचाता है।





ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरानी झाडुओ को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए। यदि आपकी झाड़ू पुरानी हो गई है तो शनिवार के दिन उसे बाहर फेंक दें, इससे घर की सभी परेशानी बाहर चली जाती है। वास्तु के अनुसार पुरानी झाड़ू को घर में रखना घर की सुख शांति और सुख समृद्धि को नुकसान पहुंचाता है।


वास्तु के अनुसार अन्य दिन कभी भी पुरानी झाड़ू को बाहर नहीं फेंकना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरानी झाड़ू को सिर्फ और सिर्फ शनिवार के दिन ही बाहर फेंके, इससे आपके घर में सुख समृद्धि आएगी, घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी और लक्ष्मी जी की कृपा सदैव आप पर रहेगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन पुरानी झाड़ू को घर से बाहर फेंकना अति शुभ माना जाता है।

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Tuesday, March 19, 2019

भैरव लक्ष्मी अंगूठी







भैरव लक्ष्मी अंगूठी


गोमेद, राहू का रत्‍न है जो व्यापार और शेयर मार्केट में फायदा दिलवाने में मदद करता है वहीं केतु का रत्‍न लहसुनिया अचानक धन लाभ के मार्ग खोलता है।

 इसलिए जो लोग शेयर मार्केट या ऐसे किसी भी क्षेत्र से जुड़े हैं उन्‍हें राहू का रत्न गोमेद और केतु का रत्न लहसुनिया इनके संगम से बनी ये अंगूठी जरूर धारण करनी चाहिए।



विवरण

जेम्स्टोने नाम:

गोमेद + लहसुनियाभार:5.5 रत्तीधातु: त्री धातु 

गोमेद, राहू का रत्‍न है जो व्यापार और शेयर मार्केट में फायदा दिलवाने में मदद करता है वहीं केतु का रत्‍न लहसुनिया अचानक धन लाभ के मार्ग खोलता है।

 इसलिए जो लोग शेयर मार्केट या ऐसे किसी भी क्षेत्र से जुड़े हैं उन्‍हें राहू का रत्न गोमेद और केतु का रत्न लहसुनिया इनके संगम से बनी ये अंगूठी जरूर धारण करनी चाहिए।

यह किसी भी कंगाल को मालामाल कर सकती है क्योकिं इसमें राहू और केतु दो ग्रहों का बल है |

भैरव लक्ष्मी अंगूठी के लाभ

गोमेद और लहसुनिया के संगम से बनी भैरव लक्ष्मी अंगूठी को पहनने से आपकी बौद्धिक क्षमता का विकास होगा और आप अपने व्‍यापार के लिए सही निर्णय ले पाएंगें।

राहू, शेयर मार्केट से संबंधित ग्रह है इसलिए जो भी कोई नया व्यापार करता है, प्रॉपर्टी या शेयर मार्केट में पैसा लगाता है या धन कमाना चाहता है वो इस भैरव लक्ष्मी अंगूठी को जरूर धारण करे।

केतू के प्रभाव में किसी भी व्‍यक्‍ति को धन का नुकसान नहीं हो सकता और राहू धन लाभ का कारक है इसलिए अगर आप दिन रात पैसों का व्‍यापार या शेयर बाज़ार से जुड़े हैं तो आपको लहसुनिया और गोमेद की यह भैरव लक्ष्मी अंगूठी अवश्‍य धारण करनी चाहिए।

शेयर मार्केट और जो लोग व्यापार करते हैं या उस क्षेत्र से जुड़े हैं उन लोगों के लिए यह भैरव लक्ष्मी अंगूठी किसी वरदान से कम नहीं है।

कहां से लें

आप ये भैरव लक्ष्मी अंगूठी     

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(रजि ).   से भी प्राप्‍त कर सकते हैं। इस अंगूठी को   महाविद्या आश्रम  द्वारा राहू-केतु के साथ-साथ महालक्ष्‍मी के मंत्रों से अभिमंत्रित किया गया है जिससे यह आपको जल्‍द ही शुभ फल दे!

भैरव लक्ष्मी अंगूठी दक्षिणा  - 1500

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Sunday, March 17, 2019

चन्द्रमा का महत्व =









चन्द्रमा का महत्व =
     

                             आज बात करते है कि वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को इतना क्यों महत्व दिया गया है इस पर बात करते है तो मनुष्य में बल 2 तरह के होते है एक तो शारीरक बल होता है और एक होता है

 मानशिक बल , शारीरक बल बहुत लोगो मे होता है पर मानशिक बल नही होता जिस मनुष्य के पास शारीरक और मानशिक दोनो बल होते है वो हर तरह की स्तिथि से निकल जाता है तो चन्द्रमा जो कि है वो हमारा मानशिक बल है क्योंकि चन्द्रमा मन का कारक है

 जब मन मजबूत होगा तो सब अच्छा ही होगा , और वैसे भी कुंडली मे बहुत से महत्वपूर्ण योग होते ह जो कि चन्द्रमा के ऊपर ही निर्भर होता है सुनफा, अनफा , दुर्धरा योग आदि जो भी योग है यह सब चन्द्रमा के बल पर ही बनते है और भी आज कल बहुत से लोगो की जन्म कुंडली नही है तो उन सब सबका जो सिर्फ नाम राशि आदि से ही देखते है और दैनिक  जो राशि फल आदि करते है उनमें भी चन्द्र का उपयोग किया जाता है 

चन्द्रमा लग्न है और लगन धन मान समान आदि सब कुछ भी होता ही है तो जब चन्द्रमा बलबान होगा तो धन की स्तिथि भी अच्छी होगी , और इसी स्तिथि में आप देखेंगे जब चन्द्रमा पर किसी भी तरह का प्रभाव ना हो तो केमदुम योग बनता है जो कि  दरिद्रता देता है तो इसका कारण यही है जब चन्द्र हमारा एक लग्न बलहीन हो गया तो धन आदि की भी स्तिथि कमजोर हो गया

 इसके अलावा चंद्रमा माँ का भी कारक है और सबसे पहले यदि हमें किसी आश्रय की जरूरत होती है तो वो माँ ही होती है तो इस तरह हम समझ सकते है कि चन्द्रमा कुंडली मे बहुत ही महत्वपूर्ण होता है कुंडली प्रश्न कुंडली के फलादेश के लिए सम्पर्क करें .

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टाइगर्स आई: क्‍यों पहने





टाइगर्स आई:  क्‍यों पहने


रूबी का निम्‍न श्रेणी का उपरत्‍न होने के कारण सूर्य के विपरीत प्रभावों से बचने और अच्‍छे फल प्राप्‍त करने के लिए टाइगर्स आई पहनते हैं। 

यह दाम में रूबी से बहुत सस्‍ता होता है इसलिए इसका इस्‍तेमाल विषम आर्थिक स्थिति में सूर्य के उच्‍च फल को प्राप्‍त करने के लिए किया जाता है।

पहनने से लाभ:

आत्‍म सम्‍मान और चेतना के विकास के लिए इसको पहना जाता है। यह अध्‍यात्‍म से जोड़ता है। सहनशीलता और धैर्य की भावना उत्‍पन्‍न करता है।

 ये रत्‍न अगर त्‍वचा से स्‍पर्श करता है तो व्‍यक्‍ति को भीतर से उल्‍लास से भरता है। इसको पहनने वाले व्‍यक्ति आंतरिक शांति का महत्‍व समझते हैं। ये पहनने वाले की सेहत को भी इम्‍प्रूव करता है।

कीमत:

भारतीय रत्‍न बाजार में टाइगर आई की कीमत 30 रू. प्रति कैरेट से 100 रू प्रति कैरेट के बीच में ही होती है।

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Saturday, March 16, 2019

चामुंडा स्वप्न सिद्धि मंत्र साधना :-








चामुंडा स्वप्न सिद्धि मंत्र साधना :-


ॐ ह्रीम आगच्छा गच्छ चामुंडे श्रीं स्वाहा ।।

विधि :- 

सबसे पहले मिट्टी ओर गोबर से जमीन को लीप ले ओर वो जगह पर कोई बिछोना बिछाले । फिर पंचोपचार से मटा का पूजन करके देवी मटा को नेवेध्य अर्पण करे ।

 उसके बाद रुद्राक्ष की माला से उपरोक्त मंत्र का जाप 10,000 बार करे ओर देवी का द्यान करे इस तरह मंत्र सिद्धि कारले फिर उसके बाद जब कभी भी कोई प्रश्न मन मे हो तो मंत्र का 1 माला यानि 108 बार मंत्र का जाप करके सो जाए तो देवी अर्धरात्रि को स्वप्न मे आकार प्रश्न का उत्तर प्रदान करती हे …

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

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होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर की जाती है।






होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर की जाती है।


घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।

होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।

होली दहन के समय ७ गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र दहन में डाल दें।

होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।

होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी।
यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो, तो २१ गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।

नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें।

होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें।
होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान से सुख - समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है।

यदि बुरा समय चल रहा हो, तो होली के दिन पेंडुलम वाली नई घडी पूर्वी या उत्तरी दीवार पर लगाए। परिणाम स्वयं देखे।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

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व्यापार बन्धन - कर्ज मुक्ति पोटली






व्यापार बन्धन - कर्ज मुक्ति पोटली


    व्यापारी, कारोबारी या दुकानदार हर कोई व्यापार में उतार चढ़ाव से परेशान है।

 कभी कभी ये मार्किट की मंदी से भी होता है जो समझ में आता है किंतु कई बार अच्छी मार्किट होने पर भी धंधा बिलकुल मन्दा या ठप हो जाता है जो अक्सर व्यापार बन्धन होने से ही होता है।

दुकान या बिजनेस चाहे छोटा हो या बड़ा हर कोई इज़से परेशान है छोटे से किराना व्यापारी, ब्यूटी पार्लर वाले से लेकर बड़े बड़े प्रोपेर्टी डीलर और बिल्डर तक।

ये व्यापार का बन्धन सबसे पहले आपके विरोधी कराते हैं जो आपके ही धंधे में होते हैं, जब वो देखते हैं कि आपके अच्छे सामान, काम और व्यवहार के कारण उनका धंधा ठप हो रहा है।

दूसरे आपके पास पड़ोस के दुकानदार या लोग जो आपकी बढ़ती दुकानदारी और तरक्की देख नहीं पाते। जलने लगते हैं।

तीसरे आपके ही कोई सगे सम्बन्धी, मित्र, रिश्तेदार जो आपकी समृद्धि और तरक्की से जलते हैं।

ये बन्धन कई प्रकार के हो सकते हैं, भस्म भभूत, उड़द, सरसों, राई, छोटे से लाल, हरे, नीले या काले धागेसे, किसी यंत्र ताबीज़ से, छोटे सादे कागज से भी।
ये सब उस तांत्रिक पर निर्भर है कि वो क्या और कैसे कर के देता है।

कुछ चीजें आपकी पीठ पीछे दुकान ऑफिस के शटर के बाहर डाल दी जाती है, कुछ शटर गेट पर रख दी जाती हैं तो कुछ आपकी नजरो के सामने ही कर दी जाती हैं और आपको पता भी नहीं चलता।

व्यापार बन्धन होता है तो कमाई ठप और फिर उधार का चक्र चलता है। पहले हुए माल की रकम भी नहीं दे पाते और नया लेने पुराना चुकाने को कर्ज लेते हैं।
कभी व्यापार बढ़ाने को कर्ज लेते हैं माल लाते हैं और माल बिकता नहीं बस डंप हो जाता है।

कभी कभी इज़से उबरने को सट्टे में भी पैसा लगाते हैं कि शायद किस्मत साथ दे जाये और सब निपट जाये किंतु दांव उलटे पड़ते हैं और कर्ज उधारी घटने के बजाए बढ़ जाती है। कभी कभी तो दोगुनी और उससे भी ज्यादा हो जाती है।

    इन सभी चीजों से निपटने के लिए मैं पहले भी कई उपाय दे चुका हूँ।
कर्ज मुक्ति

व्यापार वृद्धि
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व्यापार बन्धन खोलने हेतु

किंतु इतना सब कर पाना , क्रमशः कई पाठ नियमित रूप से करना, जप करना आदि लोगों से सम्भव नहीं हो पाता।

कहीं कहीं कुछ दुर्लभ चीजें भी चाहिए जो पहले तो मिलती नहीं, मिले भी तो महंगी और असली नकली का संशय भी बना रहता है।

इसीलिए इस नवरात्रि में परम् आदरणीय गुरुदेव के निर्देशन में हम एक विशेष

लक्ष्मी गणपति यंत्र पोटली

तैयार कर रहे हैं, जो सभी प्रकार के व्यापार बन्धन चाहे हिन्दू तंत्र से हो या मुस्लिम  खोलने में सक्षम है।

 लक्ष्मी का आकर्षण करेगी अतः कर्ज से मुक्ति दिलाएगी।

जुएं सट्टे में भी विजय दिलवायेगी। (जेब में ले जाएं)

जब किसी विशेष डीलिंग के लिए जाएँ तो दिया धूप दिखाकर इसे अपने साथ जेब या बैग  में ले जाएं।
सबसे बड़ी बात ये की इसमें आपको कोई विशेष जप, पाठ आदि नहीं करना है।

सिर्फ नित्य पूजन की तर्ज पे दिया और धूप भर दिखानी है।

बाकि सब काम भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी के सिद्ध यंत्रों से युत ये पोटली स्वयं कर देगी।
जिसका पता आपको शीघ्र ही इसका असर देख के चल जायेगा।

अधिक जानकारी, समस्या समाधान और "श्रीलक्ष्मी गणपति व्यापार बन्धन कर्ज मुक्ति पोटली "मंगवाने हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

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महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

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Friday, March 15, 2019

आज केवल 5 कुंडली ही देखी जायेगी 201 रु प्रति की दक्षिणा से देखी जाएगी . केवल आज ही पेटीएम - 9958417249. महाविद्या आश्रम





आज केवल 5 कुंडली ही देखी जायेगी  201 रु प्रति की  दक्षिणा से देखी जाएगी . केवल आज ही पेटीएम - 9958417249.  महाविद्या   आश्रम



पितृ दोष बाधा नाश हेतु हनुमान मन्त्र





पितृ दोष बाधा नाश हेतु हनुमान मन्त्र


इस मन्त्र के नियमित 21 बार श्री हनुमान जी के विग्रह के सामने मदार की वर्तिका से चमेली की तेल का दीपक जलाकर 21 बार पाठ करने से सभी समस्याओ का निवारण होता हैं, पितृ दोष, ग्रह दोष दूर होते हैं तथा रुके काम बनने लगते हैं।

पाठ करने का उपयुक्त समय प्रातः 7-9 बजे अथवा रात्रि 10 बजे ।

ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय वायु सुताय अञ्जनी गर्भ सम्भुताय अखण्ड ब्रह्मचर्य व्रत पालन तत्पराय धवली कृत जगत् त्रितयाया ज्वलदग्नि सूर्यकोटी समप्रभाय प्रकट पराक्रमाय आक्रान्त दिग् मण्डलाय यशोवितानाय यशोऽलंकृताय शोभिताननाय महा सामर्थ्याय महा तेज पुञ्ज:विराजमानाय श्रीराम भक्ति तत्पराय श्रिराम लक्ष्मणानन्द कारकाय कपिसैन्य प्राकाराय सुग्रीव सौख्य कारणाय सुग्रीव साहाय्य कारणाय ब्रह्मास्त्र ब्रह्म शक्ति ग्रसनाय लक्ष्मण शक्ति भेद निबारणाय शल्य लिशल्यौषधि समानयनाय बालोदित भानु मण्डल ग्रसनाय अक्षयकुमार छेदनाय वन रक्षाकर समूह विभञ्जनाय द्रोण पर्वतोत्पाटनाय स्वामि वचन सम्पादितार्जुन संयुग संग्रामाय गम्भिर शव्दोदयाय दक्षिणाशा मार्तण्डाय मेरूपर्वत पीठिकार्चनाय दावानल कालाग्नी रूद्राय समुद्र लङ्घनाय सीताऽऽश्वासनाय सीता रक्षकाय राक्षसी सङ्घ विदारणाय अशोकबन विदारणाय लङ्कापुरी दहनाय दश ग्रीव शिर:कृन्त्तकाय कुम्भकर्णादि वधकारणाय बालि निबर्हण कारणाय मेघनादहोम विध्वंसनाय इन्द्रजीत वध कारणाय सर्व शास्त्र पारङ्गताय सर्व ग्रह विनाशकाय सर्व ज्वर हराय सर्व भय निवारणाय सर्व कष्ट निवारणाय सर्वापत्ती निवारणाय सर्व दुष्टादि निबर्हणाय सर्व शत्रुच्छेदनाय भूत प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी ध्वंसकाय सर्वकार्य साधकाय प्राणीमात्र रक्षकाय रामदुताय स्वाहा॥

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

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महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

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शिव भैरवी का योनि लिंग कुण्डलिनी तंत्र विद्या चक्र ज्ञान






शिव भैरवी का योनि लिंग कुण्डलिनी  तंत्र विद्या चक्र ज्ञान 


भगवती उन्हें सद्बुद्धि दे जो योनि पूजा को हेय दृष्टि से देखते हैं ,उन्हें पता नहीं कि वह जननी शक्ति ,श्रृष्टि शक्ति को हेय दृष्टि से देख रहे हैं | महादेव उनपर कोप न करें जो योनि पूजा नहीं करते हैं ,वह नहीं जानते की इसके बिना कोई साधना पूर्ण नहीं है |

 भगवती और महादेव की अति कृपा है की उन्होंने हमें यह ज्ञान दिया और हम शक्ति साधक हुए |हमें गर्व है की हम योनिपूजक हैं ,हम भैरवी साधक हैं ,हम शक्ति साधक हैं और हम उनकी शक्ति से कुंडलिनी साधना मार्ग पर अग्रसर हो सके |इस हेतु हम उनके कृतज्ञ हैं

लिंग पूजा पूरे विश्व में होती है ,सभी बड़ी ख़ुशी से छू छू कर करते हैं , पर योनिपूजा के नाम पर नाक भौं सिकुड़ता है ,जबकि मूल उत्पत्ति कारक यही है |  इसे मूर्खता और छुद्र मानसिकता नहीं तो और क्या कहेंगे |

जो लोग काम भावना से परेशान हैं। कामुकता से पीड़ित हैं ।सदैव न चाहते हुए भी दिमाग इस ओर ही जाता है ।पूजा पाठ में भी भावना शुद्ध नहीं तह पाती ।कामुकता जगती है ।अपराधबोध उपजता है ।वह मुक्ति चाहते है ।

साधना करना चाहते हैं ।शक्ति पाना चाहते हैं ।उनके लिए भैरवी तंत्र मार्ग सर्वोत्तम है ।प्राकृतिक नियमो पर आधारित ऐसी साधना जो वह दे सकती है जो अन्य कोई साधना मुश्किल से दे पाती है ।काम उर्जा मोक्ष तक दिला सकती है ।

स्कन्द पुराण में भगवान् शिव ने ऋषि नारद को नाद ब्रह्म का ज्ञान दिया है और मनुष्य देह में स्थित चक्रों और आत्मज्योति रूपी परमात्मा के साक्षात्कार का मार्ग बताया है .स्थूल,सूक्ष्म और कारण शरीर प्रत्येक मनुष्य के अस्तित्व में हैं .

सूक्ष्म शारीर में मन और बुद्धि हैं .मन सदा संकल्प -विकल्प में लगा रहता है ;बुद्धि अपने लाभ के लिए मन के सुझावों को तर्क -वितर्क से विश्लेषण करती रहती है .कारण या लिंग शरीर ह्रदय में स्थित होता है जिसमें अहंकार और चित्त मंडल के रूप में दिखाई देते हैं .अहंकार अपने को श्रेष्ठ और दूसरों के नीचा दिखने का प्रयास करता है और चित्त पिछले अनेक जन्मोंके घनीभूत अनुभवों,को संस्कार के रूप में संचित रखता है .

आत्मा जो एक ज्योति है इससे परे है किन्तु आत्मा के निकलते ही स्थूल शरीर से सूक्ष्म और कारण शरीर अलग हो जाते हैं .कारण शरीर को लिंग शरीर भी कहा गया हैं क्योंकि इसमें निहित संस्कार ही आत्मा के अगले शरीर का निर्धारण करते हैं .

आत्मा से आकाश आकाश से वायु ;वायु से अग्नि 'अग्नि से जल और जल से पृथ्वी की उत्पत्ति शिवजी ने बतायी है पिछले कर्म द्वारा प्रेरित जीव आत्मा, वीर्य जो की खाए गए भोजन का सूक्ष्मतम तत्व है, के र्रूप में परिणत हो कर माता के गर्भ में प्रवेश करता है जहाँ मान के स्वभाव के अनुसार उसके नए व्यक्तित्व का निर्माण होता ह. 

गर्भ में स्थित शिशु अपने हाथों से कानों को बंद करके अपने पूर्व कर्मों को याद करके पीड़ित होता और और अपने को धिक्कार कर गर्भ से मुक्त होने का प्रयास करता है .जन्म लेते ही बाहर की वायु का पान करते ही वह अपने पिछले संस्कार से युक्त होकर पुरानी स्मृतियों को भूल जाता है .

 शरीर में सात धातु हैं त्वचा ,रक्त ,मांस वसा ,हड्डी ,मज्जा और वीर्य(नर शरीर में ) या रज (नारी शरीर में ). देह में नो छिद्र हैं ,-दो कान ,दो नेत्र ,दो नासिका ,मुख ,गुदा और लिंग .स्त्री शरीर में दो स्तन और एक भग यानी गर्भ का छिद्र अतिरिक्त छिद्र हैं .

स्त्रियों में बीस पेशियाँ पुरुषों से अधिक होती हैं . उनके वक्ष में दस और भग में दस और पेशियाँ होती हैं .योनी में तीन चक्र होते हैं तीसरे चक्र में गर्भ शैय्या स्थित होती है .लाल रंग की पेशी वीर्य को जीवन देती है .

शरीर में एक सो सात मर्म स्थान और तीन करोड़ पचास लाख रोम कूप होते हैं .जो व्यक्ति योग अभ्यास में निरत रहता है वह नाद ब्रह्म और तीनों लोकों को सुखपूर्वक जानता और भोगता है . 

मूल आधार स्वाधिष्ठान ,मणिपूरक ,अनाहत ,विशुद्ध ,आज्ञा और सहस्त्रार नामक साथ ऊर्जा केंद्र शरीर में है जिन पर ध्यान का अभ्यास करने से देवीय शक्ति प्राप्त होती है .

सहस्रार में प्रकाश दीखने पर वहां से अमृत वर्षा का सा आनंद प्राप्त होता है जो मनुष्य शरीर की परम उपलब्धि है .जिसको अपने शरीर में दिव्य आनंद मिलने लगता है वह फिर चाहे भीड़ में रहे या अकेले में ;चाहे इन्द्रियों से विषयों को भोगे या आत्म ध्यान का अभ्यास करे उसे सदा परम आनंद और मोह से मुक्ति का अनुभव होता है .

 मनुष्य का शरीर अनु -परमाणुओं के संघटन से बना है . जिस तरह इलेक्ट्रौन,प्रोटोन ,सदा गति शील रहते हैं किन्तु प्रकाश एक ऊर्जा मात्र है जो कभी तरंग और कभी कण की तरह व्यवहार करता है उसी तरह आत्म सूर्य के प्रकाश से भी अधिक सूक्ष्म और व्यापक है . यह इस तरह सिद्ध होता है की सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में कुछ मिनट लगे हैं जब की मनुष्य उसे आँख खोलते ही देख लेता है .

अतः आत्मा प्रकाश से भी सूक्ष्म है जिसका अनुभव और दर्शन केवल ध्यान के माध्यम से होता है . जब तक मन उस आत्मा का साक्षात्कार नहीं कर लेता उसे मोह से मुक्ति नहीं मिल सकती . 

मोह मनुष्य को भय भीत करता है क्योंकि जो पाया है उसके खोने का भय उसे सताता रहता है जबकि आत्म दर्शन से दिव्य प्रेम की अनुभूति होती है जो व्यक्ति को निर्भय करती है क्योंकि उसे सब के अस्तित्व में उसी दिव्य ज्योति का दर्शन होने लगता है |

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...