महाकाली साधना.
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मै 12 वर्ष से काली साधना ही कर रहा,कुछ अनुभुतिया भी प्राप्त की तो कभी किसी वक्त नाराज भी होना पढा,परंतु साधना बंद नही की,हमेशा करता रहा सिर्फ इस वर्ष नही कर पाया फिर भी रोज 21 बार मंत्र बोलता हू.
माँ ने बहोत कुछ दिया मुझे जिसे लिखना भी मेरे लिये संभव नही.ह्रुदय से माँ को हमेशा एक ही कामना करता हू "पूर्ण जीवन मे कुछ मत देना मुझे,सिर्फ आखरी समय मे मुझ पर कृपा कर देना",क्या करे माँ है वो सिर्फ देना जानती है और कुछ ना कुछ देती रहेती है.इसलिये जो मुझे दिल से ठिक लगा वोही साधना यहा दे रहा हू.
येसा इस दुनिया मे कुछ भी नही जो माँ दे नही सकती सिर्फ माँगने वाला सही होना चाहिये.
अघोरी हो या तांत्रिक हो सब की आराध्या महाकाली ही है,जिसने काल को सेवा मे रखा हुआ है.जहा महाकाली है वही महाकाल है और जो व्यक्ती महाकाली साधना करता है उसपर महाकाल तो कृपा करते ही है.व्यर्थ का चिंता छोड दो और महाकाली साधना संपन्न कर लो.
साधना विधान:-
वस्त्र कोई भी हो आसन लाल हो,रुद्राक्ष का माला या काली हकिक माला से जाप करे,दिशा उत्तर,चैत्र नवरात्री मे जाप करना हो तो रात्री मे 9 बजे के बाद करे,रोज 11 माला अवश्य करे.
ध्यान :-
ओम कराल वदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम
आद्यं कालिकां दिव्यां मुंडमाला विभूषिताम
सद्यश्छिन्ना शिरः खडग वामोर्ध्व कराम्बुजाम
महामेघप्रभाम् कालिकां तथा चैव दिगम्बराम्
कंठावसक्तमुंडाली गलद्वधिर चर्चिताम्
कर्णावतंसतानीत शव युग्म भयानकाम
घोरदृष्टाम करालास्यां पीनोन्नत पयोधराम
शवानाम करसंघातै कृतकांची हसनमुखीम्
सृक्कद्वय गलद्वक्त धारा विस्फुरिताननाम
घोररावां महारौद्रीं श्मशानालय वासिनीम्
बालार्क मंडलाकारां लोचन त्रितयांविताम्
दंतुरां दक्षिण व्यापि मुक्तालविकचोच्चयाम
शव रूप महादेव हृदयोपरि संस्थिताम्
शिवाभिर्घोर रावाभिष्चतुर्दिक्षु समन्विताम्
महाकालेन च समं विपरीत रतातुराम
सुख प्रसन्न वदनां स्मेराननसरोरुहाम ll
मंत्र:-
ll ओम क्रीं क्रीं महाकालीके क्रीं क्रीं फट ll
हर सकंट मे मंत्र का जाप करे,सही रास्ता मिलेगा.रोग कोई भी हो माँ के कृपा से भाग जायेगा,यह छोटासा मंत्र माँ के दर्शन प्राप्त कराने हेतु सक्षम है.
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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