Friday, September 30, 2016

व्यापार वृद्धि हेतु –

मन्त्र :

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीमेव कुरु-कुरु वांछितमेव ह्रीं ह्रीं नम: ।

यदि व्यापार में बार-बार घाटा हो रहा हो । व्यापार बंद करने की स्थिति आ गई हो । तो इसके प्रयोग से निश्चित लाभ होगा ।

विधि :

श्री गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति के पास सात-गोमती चक्र व एक सियार सींगि (प्राण प्रतिष्ठित होनी चाहिये) रखकर इस मंत्र का स्फटिक की माला से एक माला (१०८ बार ) जाप नित्य प्रात: ४१ दिनों तक करें ।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

Monday, September 19, 2016

मंत्र जप व मंत्र सिद्ध करते समय जप के नियम !!

मंत्र जप का मूल भाव होता है- मनन। जिस देव का मंत्र है उस देव के मनन के लिए सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए है। शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है। माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है।

यहां मंत्र जप से संबंधित 12 जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं, जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देव मंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिए बहुत जरूरी माने गए हैं-

१-मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है। इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है।

२-मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है। इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है। प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है।

३-अगर यह वक्त भी साध न पाएं तो सोने से पहले का समय भी चुना जा सकता है।

४-मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर ही करें।

५-एक बार मंत्र जप शुरु करने के बाद बार-बार स्थान न बदलें। एक स्थान नियत कर लें।

६ -मंत्र जप में तुलसी, रुद्राक्ष, चंदन या स्फटिक की 108 दानों की माला का उपयोग करें। यह प्रभावकारी मानी गई है।

७ -किसी विशेष जप के संकल्प लेने के बाद निरंतर उसी मंत्र का जप करना चाहिए।

८-मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है। सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें।

९-मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें।

१०-मंत्र जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें। जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय।

११-मंत्रों का उच्चारण करते समय यथासंभव माला दूसरों को न दिखाएं। अपने सिर को भी कपड़े से ढंकना चाहिए।

१२ -माला का घुमाने के लिए अंगूठे और बीच की उंगली का उपयोग करें।माला घुमाते समय माला के सुमेरू यानी सिर को पार नहीं करना चाहिए, जबकि माला पूरी होने पर फिर से सिर से आरंभ करना चाहिए।

विशेष:=======

कुछ विशेष कामनों की पूर्ति के लिए विशेष मालाओं से जप करने का भी विधान है। जैसे धन प्राप्ति की इच्छा से मंत्र जप करने के लिए मूंगे की माला, पुत्र पाने की कामना से जप करने पर पुत्रजीव के मनकों की माला और किसी भी तरह की कामना पूर्ति के लिए जप करने पर स्फटिक की माला का उपयोग करें।

राजगुरुजी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
जब जा रहे हों किसी विशेष काम के लिए

========================================
यंत्र विज्ञान में ऐसे अनेक यंत्र है जिनके माध्यम से जिदंगी की हर छोटी- बड़ी समस्या का समाधान संभव है। यदि आप किसी विशेष काम के लिए जा रहे हों और आप चाहते हैं कि आपको उस काम में सफलता मिले तो चित्र में बना हुआ यंत्र आपकी मदद कर सकता है। यंत्र बनाने की विधि इस प्रकार है-:

- शुक्रवार के दिन सुबह शुद्ध होकर इस यंत्र को सफेद चन्दन व सिन्दूर के मिश्रण से अनार कलम से भोजपत्र पर

- इसके बाद यंत्र की विधि-पूर्वक पूजा कर पूजाघर में स्थापित कर नित्य धूप दीप करें।

- एक दूसरे सफेद कागज में इसी यंत्र को काली स्याही या पैन से इक्कीस बार लिखकर जल में विसर्जित करें।यह प्रयोग लगातार इक्कीस दिन तक दोहराएं।
- पूजा घर वाला यंत्र भी बाद में विसर्जित कर

- ऐसा करने से आपको उस विशेष काम में सफलता मिलने लगेगी।

राजगुरुजी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

Tuesday, September 13, 2016

आकस्मिक धन प्राप्ति साधना

जीवनकाल मे व्यक्ति को अपनी इच्छाओ की पूर्ति तथा योग्य रूप से जीवन निर्वाह करने के लिए कितने ही कष्ट उठाने पड़ते है. कितने समय तक परिश्रम ग्रस्त भी रहना पड़ता है. और न जाने कितना ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से गतिशील रहना पड़ता है.

इन सब के मूल मे पूर्ण रूप से भौतिक सुख की प्राप्ति है. और इस पूर्ण सुख प्राप्ति के लिए धन प्राप्ति एक बहोत ही बड़ा अंग है. हर एक व्यक्ति की इच्छा होती है की वह भौतिक द्रष्टि से सम्प्पन हो, वह सुखो का उपभोग करे तथा अपने परिवार को भी कराये. अपनी इछाओ तथा मनोकामनाओ की पूर्ति करे तथा अपना और परिवार का ऐश्वर्य बनाये रखे. लेकिन क्या यह हर व्यक्ति के लिए संभव है? नहीं. क्यों की हमारा जीवन कर्मप्रधान है. हमारे कर्मफल के निमित हमारा भाग्य होता है तथा उसी के अनुरूप हमें भोग तथा सुखो की प्राप्त होती है. लेकिन यह प्रारब्ध यह भाग्य को साधनाओ के माध्यम से परावर्तित किया जा सकता है.

किसी भी क्षेत्र मे परिश्रम के साथ ही साथ श्रद्धा तथा विश्वास के साथ साधना कर दीव्य शक्तियो की कृपा प्राप्त कर ली जाए तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है. धन प्राप्ति के सबंध मे भी तंत्र शास्त्र मे अनेको साधना है, जिनके द्वारा व्यक्ति अपनी धन प्राप्ति की इच्छा को पूर्ण कर सकता है. लेकिन गुप्त रूप से एसी साधनाओ का प्रचलन भी रहा जिससे व्यक्ति को निश्चित ही अत्यधिक कम समय मे अर्थात शीघ्र ही धन की प्राप्ति हो जाती है. चाहे किसी न किसी रूप मे साधक को कोई भी माध्यम से धन की प्राप्ति होती है. इस प्रकार के प्रयोगों को आकस्मिक धनप्राप्ति प्रयोग कहे जाते है.

प्रस्तुत प्रयोग आकस्मिकधनप्राप्ति के प्रयोगों की श्रृंखला मे एक अजूबा है. यह प्रयोग बहोत ही कम समय का है तथा साधक को निश्चित सफलता देने मे पूर्ण समर्थ है. इस प्रकार जिन व्यक्तियो के पास लंबे अनुष्ठान करने का समय नहीं है ऐसे व्यक्तियो के लिए भी यह प्रयोग श्रेष्ट है. प्रयोग की पूर्णता पर साधक को आय के नए स्तोत्र प्राप्त होते है, रुका हुआ धन प्राप्त होता है. या फिर किसी न किसी रूप मे धन की प्राप्ति होती है.

इस साधना को किसी भी शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है.

समय रात्री काल मे १० बजे के बाद का हो
साधक के आसान तथा वस्त्र लाल रंग के हो तथा दिशा उत्तर रहे

साधक को यह साधना पलाश वृक्ष के निचे बैठकर करनी चाहिए. अगर किसी भी रूप मे साधक के लिए यह संभव नहीं हो तो साधक जहा पर साधना कर रहा हो वहा पर अपने सामने पलाश वृक्ष की लकड़ी को लाल वस्त्र पर रख दे. साधक अपने सामने देवी महालक्ष्मी का चित्र स्थापित करे. संभव हो तो महालक्ष्मी यन्त्र या श्री यन्त्र स्थापित करे. तथा उसका पूजन करे. उसके बाद साधक देवी महालक्ष्मी को प्रणाम कर साधना मे सफलता के लिए प्रार्थना करे. उसके बाद साधक निम्न लिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से 11 माला जाप करे.

ॐ श्रीं शीघ्र सिद्धिं तीव्र फलं पूरय पूरय देहि देहि श्रीं श्रीं श्रीं नमः

मंत्र जाप पूरा होने पर साधक को गाय के घी से १०१ आहुति इसी मंत्र के साथ अग्नि मे समर्पित करनी है. इसके बाद साधक नमस्कार कर सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे.

यह क्रम व्यक्ति को 11 दिन तक रखना है. 11 दिन बाद साधक माला को तथा अगर पलाश की लकड़ी को उपयोग मे लाया है तो वह भी पानी मे प्रवाहित कर दे. साधक की शीघ्र धनप्राप्ति की इच्छा जल्द ही पूर्ण होती है.

राजगुरुजी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
पितृदोष और उसके उपाय

कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है,यह पिता का घर भी होता है,अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी,जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं,लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं,मैने देखा है कि नवां भाव,नवें भाव का मालिक ग्रह,नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंसन में रहता है,उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है,वह जीविका के लिये तरसता रहता है,वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से अपंग होता है,अगर किसी भी तरह से नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में आजाता है।

मै यहां पर पितृदोष को दूर करने का एक बढिया उपाय बता रहा हूँ,यह एक बार की ही पूजा है,और यह पूजा किसी भी प्रकार के पितृदोष को दूर करती है। सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये।

परिक्रमा करते वक्त

 :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय"

मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।

एक और उपाय है कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये। पितर दोष किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है।

सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति माता काली का उपासक है तो किसी भी प्रकार का दोष उसकी जिन्दगी से दूर रहता है। लेकिन पितर जो कि व्यक्ति की अनदेखी के कारण या अधिक आधुनिकता के प्रभाव के कारण पिशाच योनि मे चले जाते है,वे देखी रहते है,उनके दुखी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है कि उनके ही खून के होनहार उन्हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है। पितर दोष हर व्यक्ति को परेशान कर सकता है इसलिये निवारण बहुत जरूरी है।

राजगुरुजी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

Friday, September 9, 2016

महाविद्या की साधना

इस धरती पर ऐसे कितने ही लोग है जिन्होने शक्ति की उपासना करी होगी। शक्ति के विभन्न रुप है जैसे दुर्गा काली आदि । सच मे तो सभी देवीयाँ एक ही है अंतर है तो मुड और चित्रण का। मानो आद्याशक्ति कोध्र मे है तो काली और कोध्र मे तो तारा और अगर और ज्यादा कोध्र मे है तो धूमवती आदि आदि होती है। इस प्रकार दयाभाव के भी विभिन्न स्वरुप है, जैसे प्रेम और पोषण करते समय भुवनेश्वरी, मतंगी और महालक्ष्मी कहलाती है।

इसी प्रकार से शक्ति साधना में दस महाविद्याओं की उपासना होती है। यह सब महाविद्या ज्ञान और शक्ति प्राप्त करने के लिए करी जाती हैं। आईए क्रम से इनका विवरण करता हूँ :-

1. काली 2. तारा 3. त्रिपुरसुंदरी 4. भुवनेश्वरी 5. त्रिपुर भैरवी 6. धूमावती 7. छिन्नमस्ता 8. बगला 9. मातंगी 10. कमला

इसमे भी दो कुल है, काली कुल और श्री कुल। चार काली कुल की साधना है और छः श्री कुल की साधना है। महाविद्या साधना करने के लिए किसी व्यक्ति का ब्रह्मण होना अनिवार्य नही। महाविद्या की साधना कोई भी कर सकता है। इसमे जाति, वर्ग, लिंग आदि का कोई भेद नही है और सभी प्रकार के बन्धन से मुक्त है। सभी महाविद्या मे भैरव की उपासना भी कर लेनी चाहिए। क्योकि यह महाविद्याए है तो इनकी क्रिया भी थोडी सी जटिल तो होगी ही इसलिए इनकी साधना शुरु करने से पहले आपको पंच शुद्धियों करनी ही चाहिए है।

स्थान शुद्धि, देह शुद्धि, द्रव्य शुद्धि, देव शुद्धि और मंत्र शुद्धि
किसी योग्य गुरु से दीक्षा ग्रहण करनी चाहिए। दीक्षा शब्द का अर्थ मात्र यही होता है कि “एक व्यक्ति ने सीखया और दूसरे ने सही से सीख लिया” हो तो इसे दीक्षा कह जाता है। एक दिन मे ना जाने कितनी दीक्षाए हम सब के बीच मे समप्न्न होती रहती है। यदि इससे भी ज्यादा कोई गुरु कृपा करे तो वह गुरु अपनी की गई साधना का कुछ अंश अपने शिष्य मे डाल देता है।

दीक्षा भी ठीक ऐसे ही होती है जैसे किसी ने, अपनी मेहनत से कमाई सम्पति को किसी दूसरे व्यक्ति के नाम कर दिया। अब यह बात अलग है कि कितने प्रतिशत। गुरु दीक्षा के दौरान सभी क्रिया को समझाते है। यह किसी भी माध्यम से किया जा सकता है। किसी भी साधना की मुद्राएँ न्यास, यंत्र पुजन, माला पुजन, प्राण प्रतिष्ठा, पंचोपचार आदि की जानकारी गुरु करवाते है। साथ ही वो विधि प्रदान करते है जिससे साधना होगी और अवश्यकता होने पर यंत्र, माला भी आदि प्रदान करते है। केवल शरीर के त्याग के समय ही कोई गुरु अपनी सारी शक्ति को किसी शिष्य को दे सकता है। साधक स्वयं को श्री गुरु के चरणों में समर्पित कर अनवरत शक्ति-साधन हेतु यजन-पूजन धारा में बह चले तो फिर कुछ भी असंभव नहीं रहता है।

• पहले स्वयं की देह को शोधन किया जाता है और मंत्रो के द्वारा स्नान करता है।
• पूजन स्थान का शोधन भी करना चाहिए है।
• देह का शोधन करने हेतु आसन पर आसीन होकर प्राणायाम तथा भूत शुद्धि की क्रिया से अपने शरीर का शोधन करना चाहिए।
• ईष्ट देवता की शरीर मे प्रतिष्ठा कर नाना प्रकार के न्यास इत्यादि कर अपने शरीर को देव-भाव से अभिभूत कर अपने ईष्ट देवता का अन्तर्यजन करता है। शास्त्रो मे इसलिए कहा जाता है कि ‘देवम् भूत्वा देवम् यजेत’ अर्थात् देवता बनकर ही देवता कर ही किया जाता है।
• ईष्ट देवता बहिर्याग पूजन का मतलब यह है कि अन्दर तो देवता स्थापित है ही परंतु उसको बाहर लाकर बाहर भी पुजा करी जाती है। जैसे यंत्र आदि मे स्थापित देवता की पुजा करना।
आह्वान कर मंत्र द्वारा संस्कार करना चाहिए इसके पश्चात पंचोपचार, षोडषोपचार अथवा चौसठ उपचारों के द्वारा महाविद्या यंत्र में स्थित देवताओं का पूजन कर, उसमें स्थापित देवता की ही अनुमति प्राप्त कर पुजन करना चाहिए। फिर अंतिम समय मे तर्पण करके, हवन वेदी को देवता मानकर अग्नि रूप में पूजन कर विभिन्न प्रकार के बल्कि द्रव्यों को भेंट कर उसे पूर्ण रूप से संतुष्ट करता है। इसके बाद देवता की आरती कर पुष्पांजलि प्रदान करता है। इसके कवच-सहस्रनामं स्त्रोत्र आदि का पाठ करके स्वयं को देवता के चरणों में आत्मसमर्पित करता है। पश्चात देवता के विसर्जन की भावना कर देवता को स्वयं के हृदयकमल में प्रतिष्ठित कर लेता है और शेष सामग्रीयो को किसी जल मे प्रवाहित कर दे।

आईए अब बात करते है क्रमवार ही सभी दसमहाविद्या के मंत्रो की और इनके प्रभाव की। कम से कम किसी भी महाविद्या मे न्यास और कुछ मुद्राओ का ज्ञान और चैतन्य यंत्र और माला की अवश्यकता रहती है। किसी ऋर्षि ने मंत्र को कहा, बीज, शक्ति, कीलकं, देवता और क्यो पुजन किया जा रहा है वो कारण भी पता होना चाहिए।

************************************************************************

काली
देवी कालिका काम रुपणि है इनकी कम से कम 9,11,21 माला का जप काले हकीक की माला से किया जाना चाहिए। इनकी साधना को बीमारी नाश, दुष्ट आत्मा दुष्ट ग्रह से बचने के लिए, अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए, वाक सिद्धि के लिए, कवित्व के लिए किया जाता है। षटकर्म तो हर महाविद्या की देवी कर सकती है। षट कर्म मे मारण मोहन वशीकरण सम्मोहन उच्चाटन विदष्ण आदि आते है। परन्तु बुरे कार्य का अंजाम बुरा ही होता है। बुरे कार्य का परिणाम या तो समाज देता है या प्रकृति या प्रराब्ध या कानून देता ही है। इसलिए अपनी शक्ति से शुभ कार्य करने चाहिए।

मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः”

************************************************************************
तारा

तारा को तारिणी भी कहा गया है। जिस पर देवी तारा की कृपा हो जाये उसे भला और क्या चाहिए। फिर तो वो साधका एक दूध पीते बच्चे की तरह माँ की गोद मे रहता है। इनकी साधना से वाक सिद्धि तो अतिशीघ्र प्राप्त होती है साथ ही साथ तीब्र बुद्धि रचनात्मकता डाक्टर इनजियर बनाने के लिए, काव्य गुण के लिए, शत्रु को तो जड से खत्म कर देती है। इसके लिए आपको लाल मूगाँ या स्फाटिक या काला हकीक की माला का इस्तेमाल कर सकते है। मेरे हिसाब से कम से कम बारह माला का जप किया जाना चाहिए। कृपा करके इस देवी के मंत्रो मे स्त्रीं बीज का ही प्रयोग करे क्योकि त्रीं एक ऋषि द्वारा शापित है। इस शाप का निदान केवल त्रीं को स्त्रीं बनाने पर स्वयँ हो जाता है।

मंत्र “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”

************************************************************************

त्रिपुर सुंदरी

इस दुनिया मे ऐसा कोई काम नही है जिसे त्रिपुर सुन्दरी ना कर सके। जिस काम मे देवता का चयन करने मे कोई दिक्कत हो तो देवी त्रिपुर सुन्दरी की उपासना कर सकते है। यह भोग (सेक्स व अन्य) और मोक्ष दोनो ही साथ-साथ प्रदान करती है। ऐसी इस दुनिया मे कोई साधना नही है जो भोग और मोक्ष एक साथ प्रदान करे। इस मंत्र के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जा सकता है। कम से कम दस माला जप करें।
मंत्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः “

************************************************************************

भुवनेश्वरी

यह साधना हर प्रकार के सुख मे वृद्धि करने वाली है। देवी भुवनेश्वरी की खास बात यह है कि यह बहुत ही कम समय मे प्रसन्न हो जाती है परंतु एक बार रुठ गई तो मनाना भी थोडा मुश्किल ही होता है। देवी माँ से कभी भी झुठे वचनो नही कहने चाहिए। इनके जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें और कम से कम ग्यारह या इक्कीस माला का मंत्र जप करें।

मन्त्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः”

************************************************************************

छिन्नमस्ता

यह विद्या बहुत ही तीव्र है। ऐसा मैने कई बार अनुभव किया है। यह देवी शत्रु का तुरंत नाश करने वाली, वाक देने वाली, रोजगार में सफलता, नौकरी पद्दोंन्ति के लिए, कोर्ट के कैस से मुक्ति दिलाने मे सक्षम है और सरकार को आपके पक्ष मे करने वाली, कुंडिली जागरण मे सहायक, पति-पत्नी को तुरंत वश मे करने वाली चमत्कारी देवी है। इसकी साधना सावधान होकर करनी चाहिए क्योकि तीव्र होने के कारण रिजल्ट जल्दी ही मिल जाता है। इसके लिए आप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से कम से कम ग्यारह माला या बीस माला मंत्र जप करना चाहिए

मंत्र- “श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:”

************************************************************************
त्रिपुर भैरवी

यह देवी प्रेत आत्मा के लिए बहुत ही खतरनाक है, बुरे तंत्रिक प्रयोगो के लिए, सुन्दर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए श्री त्रिपुर भैरवी देवी की साधना करनी चाहिए। इनकी साधना तुरंत प्रभावी है। जिस किसी तांत्रिक समस्या का समाधान नही हो रहा है, यह देवी उस समस्या का यह जड से विनाश करती है। इस देवी का मंत्र जप आप मूंगे की माला से से कर सकते है और कम से कम पंद्रह माला मंत्र जप करनी चाहिए।

मंत्र – “ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:”

************************************************************************

धूमावती

हर प्रकार की द्ररिद्रता के नाश के लिए, तंत्र – मंत्र के लिए, जादू – टोना, बुरी नजर और भूत – प्रेत आदि समस्त भयों से मुक्ति के लिए, सभी रोगो के लिए, अभय प्रप्ति के लिए, साधना मे रक्षा के लिए, जीवन मे आने वाले हर प्रकार के दुखो को प्रदान करने वाली देवी है इसे अलक्ष्मी भी कहा जाता है तो इसके निवारण के लिए धूमावती देवी की साधना करनी चाहिए मोती की माला या काले हकीक की माल का प्रयोग मंत्र जप में करें और कम से कम नौ माला मंत्र जप करें

मंत्र- “ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:”

************************************************************************

बगलामुखी

वाक शक्ति से तुरंत परिपूर्ण करने वाली, अपने साधक को खाने कि लिए दोडने वाली, शत्रुनाश, कोर्ट कचहरी में विजय, हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के लिए, सरकारी कृपा के लिए माँ बगलामुखी की साधना करें। इस विद्या का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब कोई रास्ता ना बचा हो। हल्दी की माला से कम से कम 8, 16, 21 माला का जप करें। इस विद्या को ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु की संहारक शक्ति है।
मन्त्र – “ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:”

************************************************************************

मातंगी

यह देवी घर ग्रहस्थी मे आने वाले सभी विघ्नो को हरने वाली है, जिसकी शादी ना हो रही, संतान प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति के लिए या किसी भी प्रकार का ग्रहस्थ जीवन की समस्या के दुख हरने के लिए देवी मातंगी की साधना उत्तम है। इनकी कृपा से स्त्रीयो का सहयोग सहज ही मिलने लगता है। चाहे वो स्त्री किसी भी वर्ग की स्त्री क्यो ना हो। इसके लिए आप स्फटिक की माला से मंत्र जप करें और बारह माला कम से कम मंत्र जप करना चहिए।

मंत्र – “ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:”

************************************************************************

कमला

यह देवी धूमावती की ठीक विपरीत है। जब देवी कमला की कृपा नही होगी तब देवी धूमावती तो जमी रहेगी। इसलिए दीपावली पर भी इनका पुजन किया जाता है। इस संसार मे जितनी भी सुन्दर लडकीयाँ है, सुन्दर वस्तु, पुष्प आदि है यह सब इनका ही तो सौन्दर्य है। हर प्रकार की साधना मे रिद्धि सिद्धि दिलाने वाली, अखंड धन धान्य प्राप्ति, ऋण का नाश और महालक्ष्मी जी की कृपा के लिए कमल पर विराजमान देवी की साधना करें। इन्ही साधना करके इन्द्र ने स्वर्ग को आज तक समभाले रखा है। इनकी उपासना के लिए कमलगट्टे की माला से कम से कम दस या इक्कीस माला मंत्र जप करना चाहिए।
मंत्र – “ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:”

************************************************************************

कृपा बिना यंत्र, माला और ज्ञान आदि के बिना किसी भी देवी की उपासना ना करे। जब भी किसी देवी की पुजा करें सदैव यही सोचे कि यह छोटी सी बच्ची या कोई मासूम सा मेहमान मानना चहिए, लेकिन यह बात भी कदापि ना भूले कि यह छोटी से बच्ची अनेको अमोघ शक्ति से युक्त है। जिस प्रकार बच्चे के सेवा करी जाती है उसी प्रकार हर चीज का समय से ध्यान रखे तो 7-10 दिनों मे ही देवी की कृपा अवश्य मिल जाती है और हर कार्य पूर्ण होता है। दस महाविद्या मे कई ऐसी देवीयाँ है जोकि तीसरे दिन ही साधना का परिणाम दे देती है।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

.किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249'

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

Tuesday, September 6, 2016

मंत्र सिद्ध है....

शाबर महाकाली साधना.

मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर लिजिये और 21 आहुती घी का दे साथ मे एक नींबू मंत्र का जाप करके चाकू से काटे तो बलि विधान भी पूर्ण हो जायेगा,नींबू को हवन कुंड मे डालना ना भूले.

अब जब भी आपको अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु विधान करना हो तब जमीन पर थोडासा कुछ बुंद जल डाले और हाथ से जमीन को पौछ लिजिये.
साफ़ जमीन पर कपूर कि टिकिया रखे और मन ही मन अपनी कामना बोलिये.अब तीन बार "ओम नम: शिवाय" बोलकर कपूर जलाये और माहाकाली मंत्र का जाप करे,यहा पर मंत्र जाप संख्या का गिनती नही करना है और जाप करते समय ध्यान कपूर के ज्योत मे होना चाहिये इसलिये मंत्र भी पहिले ही याद करना जरुरी है.

कम से कम 3-4 टिकिया कपूर का इस्तेमाल करे और कपूर इस क्रिया मे बुज़ना नही चाहिये जब तक आपका जाप पूर्ण ना हो और इतने समय तक जाप करे अन्दाज से के आपका 21 बार मंत्र जाप होना चाहिये.अब आपही सोचिये आपको रोज कितना कपूर जलाना है.

साधना तब तक करना है जब तक आपका इच्छा पूर्ण ना हो और इच्छा पूर्ण होने
के बाद कुछ गरिब बच्चो मे कुछ मिठा बाटे क्युके इच्छा पूर्ण होने के खुशी मे..

मंत्र-

ll ओम नमो आदेश माता-पिता-गुरू को l आदेश कालिका माता को,धरती माता-आकाश पिता को l ज्योत पर ज्योत चढाऊ ज्योत कालिका माता को,मन की इच्छा पुरन कर,सिद्धी कारका l दुहाई माहादेव कि ll

मंत्र सिद्ध है शाबर महाकाली साधना. मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर लिजिये और 21 आहुती घी का दे

राजगुरु जी

.महाविद्या आश्रम

..किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मो.बाइल नं. : - 09958417249'

व्हा.ट्सप्प न०;- 9958417249
.
भुवनेश्वरी युक्त लक्ष्मी साधना

यह धन प्राप्ति की सबसे महत्वपूर्ण साधना है,जिनके पास नौकरी नहीं,जिन्हे प्रमोशन नहीं मिल रहा है,जिंनका व्यापार नहीं चलता,जिनके घर मे आर्थिक बाधाये कुछ ज्यादा ही है,ज्यो व्यक्ति जीवन मे सिर्फ मेहनत करते है परंतु धन नहीं मिल रहा है॰तो अब चिंता करने का कोई बात नहीं,येसा हो ही नहीं सकता है के आप यह साधना करो और आपके जीवन मे किसी भी प्रकार का आर्थिक समस्या रहे,मै तो कहेता हु भगादो आप अब इस समस्या को.........

साधना विधान:-

यह साधना संकष्ठ शुभ अवसर पे करनी है, आपके पास भुवनेश्वरी यंत्र हो तो अच्छी बात है,अगर नहीं हो तो हमे इस यंत्र को भोजपत्र पे बनाना पड़ेगा,भोजपत्र नहीं मिला तो फिर क्या करेगे,चलो कोई बात नहीं,सफ़ेद रंग के कागज पे यह यंत्र हम अनार की कलम और केसर की स्याही से तो अंकित कर लेगे॰ अब हमे चाहिए रुद्राक्ष माला और रुद्राक्ष माला को गुरुवार के दिन श्याम को शिवजी के मंदिर ले जाना है,वहा पे शिवजी को माला चढानी है और फिर शिवजी के सँग माला का भी अभिषेक करना है “ॐ ह्रीं शिवाय तेजसे नम:” 108 बार बोलते हुये,अब तो शिवजी की कृपा और आज्ञा भी मिल गयी मतलब अब सफलता जरूर मिलेगी,हम्म............

अब वही पे माला का पूजन करे और दूसरे दिन फिर एक बार माला का पूजन करके मंत्र जाप रात्री मे १० बजे शुरू करना है,इतनी तेजस्वी माला से हम कम से कम 11 माला मंत्र जाप तो रोज कर सकते है,ये साधना 11  दिन की है और निच्छित ही हमे सफलता तो मिलेगी ही,सिर्फ 11 दिन की साधना से,12 वे दिन आप सभी सामग्री रखकर जल मे विसर्जित करदे और माला से नित्य 1 माला गुरुमंत्र का जाप किया करो,

भुवनेश्वरी महामंत्र साधना

विनियोग:-

ॐ अस्य श्री भुवनेश्वरी हृदय महामंत्रस्य श्री शत्तील: ऋषी : । गायत्री छन्दा:। श्री भुवनेश्वरी देवता हं बीजं । ईं शक्ति:। रं कीलकं । सकल-मनोवांछित सिद्यर्थे जपे विनियोग: ।

ऋष्यादी न्यास

श्री शक्ति ऋषये नम: शिरसी ।
गायत्री छन्दसे नम: मुखे ।
श्री भुवनेश्वरी देवतायै नम हृदयी ।
हं बीजाय नम: गुहये।
ईं शक्तये नम: नाभौ ।
रं किलकाय नम: पादयौ: ।
सकल-मनोवांछित सिद्यर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वागे ।

ध्यान

सरोजनयनां चलत कनक कुंडलां शैशवीं ,
धनुर्जप वटी करामुदित सूर्य कोटी प्रभाम ।
शशांक कृत शेखरां शव शरीर संस्था शिवाम,
प्रात: स्मरामी भुवनेश्वरी शत्रु गति स्तम्भनीम ॥

महामंत्र:-

॥ ॐ श्रीं ॐ श्रीं ह्रीं ऐं ह्रीं ऐं क्लीं सौ: क्लीं सौ: क्रीं क्रीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: ॥

यह मंत्र रंक को भी राजा बनाने युक्त क्षमतावान है,कृपया इस साधना को किसी भी प्रकार से मज़ाक मे ना ले,एक बार साधना सम्पन्न कर लीजिये,नौकरी भी मिलेगा,पैसा भी खूप कमाओगे,जितना भी कर्जा हो आप कर्ज से मुक्त भी हो जाओगे.......

अभी तक जितनी भी लक्ष्मी साधना आपने की है,उन्हे भूल जाओ क्यूकी यह साधना अत्याधिक तीव्र है,साधना कराते समय पायल खनक ने की आवाज आ सकती है

ये साधना मै एक बार फेसबूक पे दे चुका हु और इसका रिज़ल्ट साधकोको 100% मिला है

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
भुवनेश्वरी युक्त लक्ष्मी साधना

यह धन प्राप्ति की सबसे महत्वपूर्ण साधना है,जिनके पास नौकरी नहीं,जिन्हे प्रमोशन नहीं मिल रहा है,जिंनका व्यापार नहीं चलता,जिनके घर मे आर्थिक बाधाये कुछ ज्यादा ही है,ज्यो व्यक्ति जीवन मे सिर्फ मेहनत करते है परंतु धन नहीं मिल रहा है॰तो अब चिंता करने का कोई बात नहीं,येसा हो ही नहीं सकता है के आप यह साधना करो और आपके जीवन मे किसी भी प्रकार का आर्थिक समस्या रहे,मै तो कहेता हु भगादो आप अब इस समस्या को.........

साधना विधान:-

यह साधना संकष्ठ शुभ अवसर पे करनी है, आपके पास भुवनेश्वरी यंत्र हो तो अच्छी बात है,अगर नहीं हो तो हमे इस यंत्र को भोजपत्र पे बनाना पड़ेगा,भोजपत्र नहीं मिला तो फिर क्या करेगे,चलो कोई बात नहीं,सफ़ेद रंग के कागज पे यह यंत्र हम अनार की कलम और केसर की स्याही से तो अंकित कर लेगे॰ अब हमे चाहिए रुद्राक्ष माला और रुद्राक्ष माला को गुरुवार के दिन श्याम को शिवजी के मंदिर ले जाना है,वहा पे शिवजी को माला चढानी है और फिर शिवजी के सँग माला का भी अभिषेक करना है “ॐ ह्रीं शिवाय तेजसे नम:” 108 बार बोलते हुये,अब तो शिवजी की कृपा और आज्ञा भी मिल गयी मतलब अब सफलता जरूर मिलेगी,हम्म............

अब वही पे माला का पूजन करे और दूसरे दिन फिर एक बार माला का पूजन करके मंत्र जाप रात्री मे १० बजे शुरू करना है,इतनी तेजस्वी माला से हम कम से कम 11 माला मंत्र जाप तो रोज कर सकते है,ये साधना 11  दिन की है और निच्छित ही हमे सफलता तो मिलेगी ही,सिर्फ 11 दिन की साधना से,12 वे दिन आप सभी सामग्री रखकर जल मे विसर्जित करदे और माला से नित्य 1 माला गुरुमंत्र का जाप किया करो,

भुवनेश्वरी महामंत्र साधना

विनियोग:-

ॐ अस्य श्री भुवनेश्वरी हृदय महामंत्रस्य श्री शत्तील: ऋषी : । गायत्री छन्दा:। श्री भुवनेश्वरी देवता हं बीजं । ईं शक्ति:। रं कीलकं । सकल-मनोवांछित सिद्यर्थे जपे विनियोग: ।

ऋष्यादी न्यास

श्री शक्ति ऋषये नम: शिरसी ।
गायत्री छन्दसे नम: मुखे ।
श्री भुवनेश्वरी देवतायै नम हृदयी ।
हं बीजाय नम: गुहये।
ईं शक्तये नम: नाभौ ।
रं किलकाय नम: पादयौ: ।
सकल-मनोवांछित सिद्यर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वागे ।

ध्यान

सरोजनयनां चलत कनक कुंडलां शैशवीं ,
धनुर्जप वटी करामुदित सूर्य कोटी प्रभाम ।
शशांक कृत शेखरां शव शरीर संस्था शिवाम,
प्रात: स्मरामी भुवनेश्वरी शत्रु गति स्तम्भनीम ॥

महामंत्र:-

॥ ॐ श्रीं ॐ श्रीं ह्रीं ऐं ह्रीं ऐं क्लीं सौ: क्लीं सौ: क्रीं क्रीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: ॥

यह मंत्र रंक को भी राजा बनाने युक्त क्षमतावान है,कृपया इस साधना को किसी भी प्रकार से मज़ाक मे ना ले,एक बार साधना सम्पन्न कर लीजिये,नौकरी भी मिलेगा,पैसा भी खूप कमाओगे,जितना भी कर्जा हो आप कर्ज से मुक्त भी हो जाओगे.......

अभी तक जितनी भी लक्ष्मी साधना आपने की है,उन्हे भूल जाओ क्यूकी यह साधना अत्याधिक तीव्र है,साधना कराते समय पायल खनक ने की आवाज आ सकती है

ये साधना मै एक बार फेसबूक पे दे चुका हु और इसका रिज़ल्ट साधकोको 100% मिला है

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...