Thursday, April 18, 2019

योगिनी तंत्र मे वर्णन है की कलयुग मे वैदिक मंत्र विष हीन सर्प के सामान हो जाएगा। ऐसा कलयुग में शुद्ध और अशुद्ध के बीच में कोई भेद भावः न रह जाने की वजह से होगा। कलयुग में लोग वेद में बताये गए नियमो का पालन नही करेंगे।






योगिनी तंत्र मे वर्णन है की कलयुग मे वैदिक मंत्र विष हीन सर्प के सामान हो जाएगा। ऐसा कलयुग में शुद्ध और अशुद्ध के बीच में कोई भेद भावः न रह जाने की वजह से होगा। कलयुग में लोग वेद में बताये गए नियमो का पालन नही करेंगे। 

इसलिए नियम और शुद्धि रहित वैदिक मंत्र का उच्चारण करने से कोई लाभ नही होगा। जो व्यक्ति वैदिक मंत्रो का कलयुग में उच्चारण करेगा उसकी व्यथा एक ऐसे प्यासे मनुष्य के सामान होगी जो गंगा नदी के समीप प्यासे होने पर कुआँ खोद कर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश में अपना समय और उर्जा को व्यर्थ करता है। 

कलयुग में वैदिक मंत्रो का प्रभाव ना के बराबर रह जाएगा। और गृहस्त लोग जो वैसे ही बहुत कम नियमो को जानते हैं उनकी पूजा का फल उन्हे पूर्णतः नही मिल पायेगा। महादेव ने बताया की वैदिक मंत्रो का पूर्ण फल सतयुग, द्वापर तथा त्रेता युग में ही मिलेगा.

तब माँ पार्वती ने महादेव से पुछा की कलयुग में मनुष्य अपने पापों का नाश कैसे करेंगे? और जो फल उन्हे पूजा अर्चना से मिलता है वह उन्हे कैसे मिलेगा?

इस पर शिव जी ने कहा की कलयुग में तंत्र साधना ही सतयुग की वैदिक पूजा की तरह फल देगा। तंत्र में साधक को बंधन मुक्त कर दिया जाएगा। वह अपने तरीके से इश्वर को प्राप्त करने के लिए अनेको प्रकार के विज्ञानिक प्रयोग करेगा।

परन्तु ऐसा करने के लिए साधक के अन्दर इश्वर को पाने का नशा और प्रयोगों से कुछ प्राप्त करने की तीव्र इच्षा होनी चाहिए। तंत्र के प्रायोगिक क्रियाओं को करने के लिए एक तांत्रिक अथवा साधक को सही मंत्र, तंत्र और यन्त्र का ज्ञान जरुरी है।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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मोबाइल नं. : - 09958417249

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Saturday, April 13, 2019

सर्व रोग निवारण महाकाली साधना









सर्व रोग निवारण महाकाली साधना


 माँ के श्री चरणोमे मेरा कामना है,इस संसार में ऐसा कोई बीमारी ही नहीं है जो इस साधना से ठीक ना हो सके इसलिये आपकी सुविधा  यह दिव्य साधना प्रस्तुत है. 

साधना विधि:-

यह साधना रात्रिकालीन है,सामने कोई भी बाजोट रखिये और बाजोट पर लाल रंग का वस्त्र स्थापित करे,वस्त्र पर महाकाली जी का चित्र स्थापित करे,मंत्र जाप काली हकीक माला या फिर रुद्राक्ष माला से कर सकते है,

आसान और वस्त्र भी लाल रंग के हो,मन्त्र जाप से पूर्व गणेश और गुरु पूजन करे,संकल्प ले "हे माँ आप मुज़े इस साधना में पूर्ण सफलता प्रदान करे",मंत्र जाप का समय रात्रि में ९ बजे का है,नित्य मंत्र का ९ दिनों तक १६ माला मंत्र जाप करना है.

दशमी तिथि को सुबह ११ बजे से हवन करे,हवन में ११ माला काले तिल का आहुति समर्पित करे और एक अनार का बलि प्रदान करे. 

यह विधान संपन्न करने से मंत्र सिद्धि होता है. 



मंत्र:-

।। ॐ ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं कंकाली महाकाली खप्परवाली अमुकस्य अमुकं व्याधि नाशय शमनय स्वाहा ।।  

जब भी किसी रोगी को ठीक करना हो तो मंत्र में अमुकस्य के जगह रोगी का नाम ले और अमुकं के जगह रोग का नाम उच्चारित करे.

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

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Thursday, April 11, 2019

तंत्र विद्या द्वारा समाधान..........





तंत्र विद्या द्वारा समाधान...........


भारत की सबसे प्राचीन विद्याओं में "तंत्र" विद्या का महत्वपूर्ण स्थान है, तंत्र शास्त्र भगवान शिव जी के मुख से निकला हुआ शास्त्र है, इसीलिए इसे तंत्र विद्या को पवित्र और प्रमाणिक माना जाता है.लेकिन कुछ साधक इस तंत्र शक्ति का दुरूपयोग करने लग गये है जिसके फलस्वरूप यह तंत्र विद्या को कलंक और बदनामी का धब्बा भी सहन करना पड़ता है.

 इसकी साधना अत्यंत कठिनाई से भरी हुयी है, गुरु गौरख नाथ जी के समय काल में समाज में तंत्र विद्या का अत्यधिक सम्मान मिलता था,

उस काल में समाज का प्रत्येक व्यक्ति तंत्र को अपना रहा था.जीवन की मुश्किल से मुश्किल समस्या को एकमात्र  तंत्र  ही आसानी से सुलझा सकता है.गुरु गौरख नाथ जी के बाद में भयानन्द जैसे लोगों ने तंत्र को भय का रूप दे दिया उन जैसे लोगों ने तंत्र को विकृत रूप से समाज के सामने प्रस्तुत किया, 

"उन तांत्रिकों ने तंत्र के साथ भोग, विलास, मद्य, मांस आदि पंचमकार को भी इसका पर्याय मन लिया जिसके कारण तंत्र विद्या को अधिक हानि और बदनामी उठानी पड़ी."

  

"मद्यं मांसं तथा मत्स्यं मुद्रा मैथुनमैव च, मकार पंचवर्गस्यात सह तंत्रः सह  तांत्रिकां " 

भयानन्द जी के अनुसार जो साधक इन पांच मकार में लिप्त रहेगा वो ही तांत्रिक कहलायेगा, भयानन्द ने यहाँ तक कहा की मांस, मछली और मदिरा का सेवन आवश्यक है.तथा नित्य स्त्री संगम करता हुआ साधना करें, इस प्रकार की गलत धारणा भयानंद ने समाज में  प्रचारित की फलस्वरूप ढोंगी और पाखंडी लोगों ने मिलकर तंत्र विद्या को हानि पहुंचाने लग गयें.

लोगों ने इन तांत्रिकों का नाम लेना बंद कर दिया, उनका सम्मान करना बंद कर दिया, अपना दुःख तो भोगते रहे परन्तु अपनी समस्याओं को उन तांत्रिकों से कहने में कतराने लगे, क्योंकि उनके पास जाना ही कई प्रकार की समस्याओं को मोल लेना था! और ऐसा लगने लगा कि तंत्र समाज के लिए उपयोगी नहीं हैं.

इन सब में दोष तंत्र का नही रहा, बल्कि जो लोग पाखंडी और ढोंगी थे उन असामाजिक तत्वों ने इस तंत्र विद्या को बदनाम करने में कोई कसर नही छोड़ी जिससे समाज ने तंत्र का बहिष्कार करना शुरू कर दिया. 

जब ऋषि मुनि मंत्र विद्या के द्वारा अपने साध्य देवता को अनुकूल बना लेते थे एक लम्बी साधना करनी पड़ती थी वर्षों तक मन्त्रों का जाप और कठिन आहार विहार के द्वारा अपने शरीर को कष्टमयी बना कर अधिक श्रम द्वारा साधना हुआ करती थी,

लेकिन अब युग परिवर्तन हुआ कलयुग के आगमन से समस्त सुविधा तथा जीवन में अत्यधिक व्यवस्ता के कारण समय तो बिलकुल ही समाप्त हो गया है, किसी को भी मंत्र द्वारा जाप करने का समय नही मिल रहा है,

इसी कारण से तंत्र की उपयोगिता में वृद्धि हुयी है मंत्र विद्या में देवता की प्रार्थना से उनको मनाया जाता है, लेकिन तंत्र में देवता को बाध्य करना पड़ता है जिससे देवता शीघ्र कामना पूर्ण करें.

मंत्र और तंत्र में साधना पद्धति एक जैसी है पूजन, न्यास आदि एक समान ही है, तंत्र में मंत्र अधिक तेज़ और जल्दी फल देने वाले होते है, जीवन की समस्त समस्याओं में तंत्र अचूक और अनिवार्य विद्या है. 

इसलिए तंत्र अधिक महत्व पूर्ण हो गया है जिसमें कम से कम समय में सफलता मिल जाती है.समाज में इसका व्यापक प्रचार ना होने का एक कारण ये भी है कि तंत्र के कुछ अंश बहुत कठिन है, बिना गुरु के समझे नही जा सकते, अतः तंत्र का ज्ञान के अभाव में शंकाएं उत्पन्न होती है.

"तनोति  त्रायति तंत्र" अर्थात तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तंत्र है. हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शन शास्त्र में तंत्र परम्पराएं मिलती है.इन धर्मों में तंत्र साधना द्वारा अधिक कार्य सिद्ध हुए है.

सर्व प्रथम साधक को अपनी रक्षा करने का साधन करना चाहिए.तभी तंत्र विद्या में रूचि उत्पन्न करें. श्री हनुमान जी की साधना तथा भैरव नाथ जी की साधना और माँ काली की उपासना कर के ही तंत्र का अभ्यास करना आवश्यक है.

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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महाकाली सबंधित पूर्ण काल ज्ञान के लिए






महाकाली सबंधित पूर्ण काल ज्ञान के लिए


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निकटत्तम भविष्य को जानने के लिए एक सामान्य विधान इस रूप से है जो की व्यक्ति को भविष्य के ज़रोखे मे जांक कर देखने के लिए शक्ति प्रदान करता है

किसीभी शुभदिन से यह साधना शुरू की जा सकती है । इसमें महाकाली का विग्रह या चित्र अपने सामने स्थापित करे और रात्री काल मे उसका सामान्य पूजन कर के निम्न मंत्र की २१ माला २१ दिन तक करे । यानि रोज 21 माला प्रतिदिन जाप करना हे ।

मंत्र :-

काली कंकाली प्रत्यक्ष क्रीं क्रीं क्रीं हूं

साधना काल मे लोहबान का धुप व् घी का दीपक जलते रहना चाहिए ।

यह जाप रुद्राक्ष या काली हकीक माला से किया जा सकता है ।

साधना के कुछ दिनों मे साधको को कई मधुर अनुभव हो सकते है.

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Wednesday, April 10, 2019

हनुमान सिद्धि






हनुमान सिद्धि 


कलयुग में माता काली, भेरव बाबा और हनुमान जी को ही जागृत देवता माना जाता है ! इस युग में एक मात्र हनुमान जी ही ऐसे देवता है ! 

जो बहुत जल्दी प्रसन्न होते है ! बाबा को इसलिए ही संकट मोचन कहा जाता है कि हनुमान जी सभी के संकट हर लेते है ! हनुमान जी कृपया दृष्टी, प्राप्त होने से सभी ग्रह शांत हो जाते है ! 

कोई भी ग्रह उस व्यक्ति का अहित नहीं कर सकता ! इसलिए आज हम आप के लिए हनुमान जी कि सिद्धि हेतु ! शाबर मन्त्र ले कर आये है !

हनुमान सिद्धि शाबर मन्त्र !

अजरंग पहनू ! बजरंग पहनू ! सब रंग रखु पास ! दाये चले भीमसेन ! बाये हनुमंत ! आगे चले काजी साहब !! पीछे कुल बलारद ! आतर चौकी कच्छ कुरान ! आगे पीछे तुं रहमान ! धड़ खुदा, सिर राखे सुलेमान !! लोहे का कोट, ताम्बे का ताला !! करला हंसा बीरा ! करतल बसे समुंदर तीर ! हांक चले हनुमान कि ! निर्मल रहे शरीर !!

विधि - 

किसी शुभ मंगलवार से हनुमान जी के सभी नियम मानते हुए ! ११ माला प्रतिदिन जपे ! ११ दिन पुरे होने पर ! हनुमान जी के नाम पर हवन करे ! गरीब बच्चो और कन्याओ को दान-दक्षिणा दे कर, आशीर्वाद प्राप्त करे ! हनुमान जी के स्वप्न में दर्शन होगे ! बाद में भी प्रतिदिन १ माला जपते रहे ! हनुमान जी कि कृपया बनी रहेगी !

नोट-

 यदि ११ दिन से पहले ही हनुमान जी का आशीर्वाद मिल जाये तो भी  ११ दिन अवश्य पुरे करे ! जाप बीच में न छोड़े ! जितना विश्वास और श्रध्दा होगी ! उतनी जल्दी बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होगा 

चेतावनी -

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Monday, April 8, 2019

मातंगी :-





मातंगी :-

ऊं ह्लीं एं श्रीं नमो भगवति उच्छिष्ट चांडालि श्रीमातंगेश्वरि सर्वजन वंशकरि स्वाहा 

इस मंत्र का पुरश्चरण दस हजार जप है। जप का दशांश शहद व महुआ के पुष्पों से होम करना चाहिए।

 काम्य प्रयोग से पूर्व एक हजार बार मूलमंत्र का जाप करके पुन: शहदयुक्त महुआ के पुष्पों से होम करना चाहिए। 

पलाश के पत्तों या पुष्पों के होम से वशीकरण, मल्लिका के पुष्पों के होम से लाभ, बिल्व पुष्पों से राज्य प्राप्ति, नमक से आकर्षण होता है। 

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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गणेश के कल्याणकारी मंत्र





गणेश के कल्याणकारी मंत्र


गणेश मंत्र कि प्रति दिन एक माला मंत्रजाप अवश्य करे।
दिये गये मंत्रो मे से कोई भी एक मंत्रका जाप करे।

(०१) गं ।

(०२) ग्लं ।

(०३) ग्लौं ।

(०४) श्री गणेशाय नमः ।

(०५) ॐ वरदाय नमः ।

(०६) ॐ सुमंगलाय नमः ।

(०७) ॐ चिंतामणये नमः ।

(०८) ॐ वक्रतुंडाय हुम् ।

(०९) ॐ नमो भगवते गजाननाय ।

(१०) ॐ गं गणपतये नमः ।

(११) ॐ ॐ श्री गणेशाय नमः ।

यह मंत्र के जप से व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रेहता है।

• आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है।
• एवं सर्व प्रकारकी रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।

भगवान गणपति के अन्य मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः ।

एसा शास्त्रोक्त वचन हैं कि गणेश जी का यह मंत्र चमत्कारिक और तत्काल फल देने वाला मंत्र हैं। इस मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं। षडाक्षर का जप आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक है ।

ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌ ।

किसी के द्वारा कि गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं कि शीघ्र पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति कि साधना किजाती हैं। उच्छिष्ट गणपति के मंत्र का जाप अक्षय भंडार प्रदान करने वाला हैं।

ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा ।

आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपे ।

ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:।

मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं। समस्त विघ्न दूर होकर धन, आध्यात्मिक चेतना के विकास एवं आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्बं गणपति का मंत्र जपे ।

ॐ गूं नम:।

रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक समृध्दि प्राप्त होकर सुख सौभाग्य प्राप्त होता हैं।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः ॐ
 तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात।

लक्ष्मी प्राप्ति एवं व्यवसाय बाधाएं दूर करने हेतु उत्तम मानगया हैं।

ॐ गीः गूं गणपतये नमः स्वाहा।

इस मंत्र के जाप से समस्त प्रकार के विघ्नो एवं संकटो का का नाश होता हैं।

ॐ श्री गं सौभाग्य गणपत्ये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

विवाह में आने वाले दोषो को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है ।

ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।

इस मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशक, गणेश स्त्रोत, गणेशकवच, संतान गणपति स्त्रोत, ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत मयूरेश स्त्रोत, गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेश जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है ।

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः।

इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।

ॐ गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लम्बोदराय ह्रीं गं नमः।

वाद-विवाद, कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्ति, शत्रु भय से छुटकारा पाने हेतु उत्तम।

ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा।

इस मंत्र के जाप को यात्रा में सफलता प्राप्ति हेतु प्रयोग किया जाता हैं।

ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा।

यह हरिद्रा गणेश साधना का चमत्कारी मंत्र हैं।

ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः।

गृह कलेश निवारण एवं घर में सुखशान्ति कि प्राप्ति हेतु।

ॐ गं लक्ष्म्यौ आगच्छ आगच्छ फट्।

इस मंत्र के जाप से दरिद्रता का नाश होकर, धन प्राप्ति के प्रबल योग बनने लगते हैं।

ॐ गणेश महालक्ष्म्यै नमः।

व्यापार से सम्बन्धित बाधाएं एवं परेशानियां निवारण एवं व्यापर में निरंतर उन्नति हेतु।

ॐ गं रोग मुक्तये फट्।

भयानक असाध्य रोगों से परेशानी होने पर, उचित ईलाज कराने पर भी लाभ प्राप्त नहीं होरहा हो, तो पूर्ण विश्वास सें मंत्र का जाप करने से या जानकार व्यक्ति से जाप करवाने से धीरे-धीरे रोगी को रोग से छुटकारा मिलता हैं।

ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा।

इस मंत्र के जाप से मनोकामना पूर्ति के अवसर प्राप्त होने लगते हैं।

गं गणपत्ये पुत्र वरदाय नमः।

इस मंत्र के जाप से उत्तम संतान कि प्राप्ति होती हैं।

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः।

इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।

ॐ श्री गणेश ऋण छिन्धि वरेण्य हुं नमः फट ।

यह ऋण हर्ता मंत्र हैं। इस मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते है और साधक का ऋण चुकता होता है। कहा जाता है कि जिसके घर में एक बार भी इस मंत्र का उच्चारण हो जाता है है उसके घर में कभी भी ऋण या दरिद्रता नहीं आ सकती।

जप विधि

प्रात: स्नानादि शुद्ध होकर कुश या ऊन के आसन पर पूर्व कि और मुख होकर बैठें। सामने गणॆश‌जी का चित्र, यंत्र या मूर्ति स्थाप्ति करें फिर षोडशोपचार या पंचोपचार से भगवान गजानन का पूजन कर प्रथम दिन संकल्प करें। इसके बाद भगवान ग्णेश‌का एकाग्रचित्त से ध्यान करें।

 नैवेद्य में यदि संभव होतो बूंदि या बेसन के लड्डू का भोग लगाये नहीं तो गुड का भोग लगाये । साधक को गणेश‌जी के चित्र या मूर्ति के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जलाए। 

रोज १०८ माला का जाप कर ने से शीघ्र फल कि प्राप्ति होती हैं। यदि एक दिन में १०८ माला संभव न हो तो ५४, २७,१८ या ९ मालाओं का भी जाप किया जा सकता हैं। मंत्र जाप करने में यदि आप असमर्थ हो, तो किसी ब्राह्मण को उचित दक्षिणा देकर उनसे जाप करवाया जा सकता हैं।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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Sunday, April 7, 2019

पितृ दोष बाधा नाश हेतु हनुमान मन्त्र






पितृ दोष बाधा नाश हेतु हनुमान मन्त्र


इस मन्त्र के नियमित 21 बार श्री हनुमान जी के विग्रह के सामने मदार की वर्तिका से चमेली की तेल का दीपक जलाकर 21 बार पाठ करने से सभी समस्याओ का निवारण होता हैं, पितृ दोष, ग्रह दोष दूर होते हैं तथा रुके काम बनने लगते हैं।

पाठ करने का उपयुक्त समय प्रातः 7-9 बजे अथवा रात्रि 10 बजे ।

ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय वायु सुताय अञ्जनी गर्भ सम्भुताय अखण्ड ब्रह्मचर्य व्रत पालन तत्पराय धवली कृत जगत् त्रितयाया ज्वलदग्नि सूर्यकोटी समप्रभाय प्रकट पराक्रमाय आक्रान्त दिग् मण्डलाय यशोवितानाय यशोऽलंकृताय शोभिताननाय महा सामर्थ्याय महा तेज पुञ्ज:विराजमानाय श्रीराम भक्ति तत्पराय श्रिराम लक्ष्मणानन्द कारकाय कपिसैन्य प्राकाराय सुग्रीव सौख्य कारणाय सुग्रीव साहाय्य कारणाय ब्रह्मास्त्र ब्रह्म शक्ति ग्रसनाय लक्ष्मण शक्ति भेद निबारणाय शल्य लिशल्यौषधि समानयनाय बालोदित भानु मण्डल ग्रसनाय अक्षयकुमार छेदनाय वन रक्षाकर समूह विभञ्जनाय द्रोण पर्वतोत्पाटनाय स्वामि वचन सम्पादितार्जुन संयुग संग्रामाय गम्भिर शव्दोदयाय दक्षिणाशा मार्तण्डाय मेरूपर्वत पीठिकार्चनाय दावानल कालाग्नी रूद्राय समुद्र लङ्घनाय सीताऽऽश्वासनाय सीता रक्षकाय राक्षसी सङ्घ विदारणाय अशोकबन विदारणाय लङ्कापुरी दहनाय दश ग्रीव शिर:कृन्त्तकाय कुम्भकर्णादि वधकारणाय बालि निबर्हण कारणाय मेघनादहोम विध्वंसनाय इन्द्रजीत वध कारणाय सर्व शास्त्र पारङ्गताय सर्व ग्रह विनाशकाय सर्व ज्वर हराय सर्व भय निवारणाय सर्व कष्ट निवारणाय सर्वापत्ती निवारणाय सर्व दुष्टादि निबर्हणाय सर्व शत्रुच्छेदनाय भूत प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी ध्वंसकाय सर्वकार्य साधकाय प्राणीमात्र रक्षकाय रामदुताय स्वाहा॥

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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Wednesday, April 3, 2019

शुक्र ग्रह का हमारे जीवन पर प्रभाव ।



शुक्र ग्रह का हमारे जीवन पर प्रभाव ।


- शुक्र मुख्य रूप से हमारे जीवन के सुख से संबंध रखता है.

- वैभव, ऐश्वर्य, सम्पदा और ग्लैमर, शुक्र की कृपा से ही मिलते हैं.

- जीवन में प्रेम, करुणा और सौंदर्य शुक्र के कारण ही आता है.

- पुरुषों के जीवन में स्त्री सुख भी शुक्र के कारण मिलता है.

- कोई भी वैवाहिक जीवन शुक्र की कृपा से ही चलता है.

विभिन्न राशियो के लिये शुक्र का प्रभाव।

मेष

मेष राशियों के लिये शुक्र दूसरे व सातवें घर का स्वामी होता है।

- इनको शुक्र से वाणी, धन और पारिवारिक सुख मिलता है

- यहाँ पर वैवाहिक जीवन पूरी तरह से शुक्र पर निर्भर करता है   

वृष

वृष राशियों के लिये शुक्र लग्नेश व षष्टेश होता है।

- इनको शुक्र से अच्छा स्वास्थ्य और शानदार व्यक्तित्व मिलता है

- इनकी नौकरी तभी अच्छी रह सकती है, जब शुक्र अच्छा हो

मिथुन

मिथुन राशियों के लिये शुक्र 12 वें व 5 वें घर का स्वामी होता है।

- इनको शुक्र से संतान, विद्या और बुद्धि का वरदान मिलता है

- शुक्र से ही इनको जीवनसाथी का प्रेम और ऐश्वर्य मिल पाता है

कर्क

कर्क राशियों के लिये शुक्र 11 वें व 4 थे घर का स्वामी होता है।

- शुक्र से इनको भावनाएं, करुणा, प्रेम और अच्छा ह्रदय मिलता है

- शुक्र ही इनको अच्छी आय और अच्छी नौकरी दे सकता है

सिंह

सिंह राशियों के लिये शुक्र 10 वें व 3 रे घर का स्वामी होता है।

- शुक्र से इनको साहस, भाई बहन और यात्राओं का सुख मिलता है

- शुक्र के कारण ही इनको उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है

कन्या

कन्या राशियों के लिये शुक्र 9 वें व 2 रे घर का स्वामी होता है।

- शुक्र ही इनके भाग्य, धर्म और विदेश यात्राओं को नियंत्रित करता है

- शुक्र के कारण ही इनको अच्छी वाणी, धन और पारिवारिक सुख मिलता है

तुला

तुला राशियों के लिये शुक्र पहले व 8 वें घर का स्वामी होता है।

- इनका स्वास्थ्य और उम्र शुक्र के हाथों में होता है

- इनको पूरा व्यक्तित्व और आकर्षण शुक्र से ही प्राप्त होता है

वृश्चिक

वृश्चिक राशियों के लिये शुक्र 7 वें व 12 वें घर का स्वामी होता है।

- इनका विवाह, कारोबार और रिश्ते शुक्र पर निर्भर करते हैं

- इनका मान सम्मान, यश और ग्लैमर शुक्र पर ही निर्भर करता है

धनु

धनु राशियों के लिये शुक्र छठे व 11 वें घर का स्वामी होता है।

- इनकी नौकरी और रोजगार पूरी तरह से शुक्र के हाथों में होता है

- इनकी बीमारियां, कर्जे और शत्रु, शुक्र से ही सम्बन्ध रखते हैं

मकर

मकर राशियों के लिये शुक्र 5 वें व 10 वें घर का स्वामी होता है।

- इनको उच्च पद, प्रतिष्ठा और मान सम्मान शुक्र से मिलता है

- इनको संतान और विद्या-बुद्धि भी शुक्र की कृपा से ही मिलती है

कुम्भ

कुम्भ राशियों के लिये शुक्र चोथे व 9 वें घर का स्वामी होता है।

- इनका मन, ह्रदय, भावनाएं और सोच शुक्र से नियंत्रित होता है

- शुक्र ही इन्हे भाग्यवान भी बनाता है और आध्यात्मिक भी

मीन

मीन राशियों के लिये शुक्र 3 रे  व 8 वें घर का स्वामी होता है।

- इनकी आयु और आकस्मिक सफलता शुक्र से प्राप्त होती है

- लेखन, कला, संगीत और अभिव्यक्ति की क्षमता भी इन्हे शुक्र ही देता है

शुक्र को मजबूत करने के उपाय।

- नित्य प्रातः और सायं शुक्र के मन्त्र का जप करें

- एक स्फटिक की माला गले में धारण करें

- शुक्रवार को देवी को सफ़ेद मिठाई का भोग अर्पित करें

- महिलाओं की यथाशक्ति सहायता करें

 फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी.

दक्षिना  : - 301

पेटेम नंबर : - 9958417249

कैसे? 

 ये जानने के लिए birth details और समस्या बताए .

dear all kindly check the post ye sirf unhi ke liye upay hai jinki samasya upar likhi hai
problem bhi sath mein likhe

 हम के  पी के होररी नंम्बर के आधार पर हां ना या देरी  का तत्काल उत्तर  देगे और अधिक विश्लेष्ण करवा ना हो तो फीस पेटेम के माध्यम से पहले ली जायेगी.

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राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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कुंडलाहारिणी अप्सरा सबसे शीघ्र आती है।






कुंडलाहारिणी अप्सरा सबसे शीघ्र आती है।


इसे बुलाने की विधी इस प्रकार है, ऐक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाऐं उस अष्ट दल कमल सफेद चावल से बनाकर अप्सरा का चित्र रखें।

सफेद वस्त्र पहने रात में 11 बजे से मंत्र जप करे 31 माला जप करें,

उससे पहले न्यास और ध्यान करके अप्सरा का पूजन कर लें।

इस अप्सरा की साधना में तिथि, वार, नक्षत्र कुछ भी नही देखना,

ये अप्सरा बहुत शीघ्र आती है, जिस कमरे आप साधना करे उसमें कोई और प्रवेश ना करे,

मंत्र इस प्रकार है▪▪ 

"ऊॅ श्रीं ह्रीं कुण्डलहारिणी आगच्छ स्वाहा"

मोगरे का इत्र कमरे में छिड़क लें, स्फटिक की माला से जप करें।

अप्सरा परीक्षा लेगी आपको डरा सकती है परीक्षा सफल होने के बाद वो सामने आऐगी उस से वचन ले जो भी चाहो

आपको स्वर्ग का भी दर्शन कराऐगी जो वस्तु मांगोगे वो लाकर देगी, प्रेमिका बनकर रहेगी।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

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भूत प्रेत साधना





भूत प्रेत साधना


अक्सर भूत प्रेत का नाम सुनकर लोगो में भय व्याप्त हो जाता है । उन्हें सिद्ध करने की कौन कहे । वैसे भी उन्हें सिद्ध करने की जो क्रियाएँ वर्णित होती हैं वो कम से कम सामान्य साधको और कमजोर मनोमष्तिष्क वालों के लिए तो नहीं है । ऊपर से ये भ्रान्ति की जो इन्हें सिद्ध करता है उसे ये तकलीफ दते हैं ।

 साधक का बचा खुचा मनोबल भी समाप्त कर देते हैं । परन्तु ये सभी तथ्य वास्तविकता से कोसो दूर है । भूत प्रेत तो अपनी मुक्ति के लिए बैचेन ऐसी आत्माएं होती हैं । जो किसी भी प्रकार अपनी मुक्ति चाहती हैं और परोक्ष अपरोक्ष रूप से सहयोग के लिए तत्पर होती हैं । वे सही और गलत कार्य दोनों कर सकती हैं । 

परन्तु जब साधक उनका दुरूपयोग करता है तो उन आत्माओं की तो मुक्ति हो जाती है । पर साधक का जीवन दूभर हो जाता है । लेकिन उनका सदुपयोग करने पर आप जहाँ उन आत्माओं को मुक्त होने में माध्यम की भूमिका निभाते हो वहाँ किसी भी प्रकार हानि से भी सुरक्षित रहते हो । 

प्रस्तुत पद्धति किसी भी प्रकार से हानि रहित और प्रभावकारी है । इसे कोई भी साधक कर सकता है । इस साधना की वजह से सिर्फ उच्च संस्कारों वाले प्रेत या भूत ही आपके वश में होते हैं । जो एक सच्चे मित्र की भांति बिना नुक्सान पहुचाए

हमेशा आपकी मदद को तत्पर रहते हैं 
। 

भूत प्रेत साधना

अमावस्या के दिन स्नान कर पूर्ण पवित्रता के साथ व्रत रखे । फलाहार करे और लाल वस्त्र धारण करें । सात्विक रूप से प्रेत का चिंतन करे । वो पूर्ण रूप से सहयोगी बन कर मेरे साथ मित्रवत रहे ।

 यही चिंतन आपके मन में होना चाहिए । रात्रि में पीपल वृक्ष के नीचे जाकर पीपल के पांच हरे पत्तों पर पूजा की पांच सुपारी रख कर उनमे प्रेत शक्ति का ध्यान किया जाना चाहिए । फिर लोहबान अगरबत्ती, काले तिल और फूल अर्पित करें और पीपल के पत्तों पर ही दही चावल का भोग गुलाब जल छिड़क कर लगादे और काली हकीक माला से वही खड़े खड़े 11 माला निम्न मन्त्र की करें ।

मन्त्र :-

क्रीं क्रीं सदात्मने भूताय मम मित्र रूपेण
सिद्धिम कुरु कुरु क्रीं क्रीं फट् ॥

और मन्त्र जप के बाद प्रार्थना करे की आप मेरी रक्षा करे और मेरी मित्र रूप में सहायता करे । ये क्रम मात्र 3 अमावस्या तक आप को करना है ।

 अर्थात प्रत्येक अमावस्या को को मात्र 3 बार ऐसा करना है । 3 अमावस्या को सद् रूप में भूत आपके सामने आकार आपकी सहायता का वचन देता है । और 3 वर्ष तक साधक के वश में रहता है ।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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महाबली हनुमान के 5 छोटे मंत्र करें बड़ी से बड़ी मुश्किलों का अंत





महाबली हनुमान के 5 छोटे मंत्र करें बड़ी से बड़ी मुश्किलों का अंत


रुद्रावतार श्री हनुमान को महाबली भी पुकारा जाता है। उनका यह नाम मात्र उनके वज्र के समान बलवान शरीर या अनेक शक्तियों के स्वामी होने के कारण ही नहीं बल्कि युग-युगान्तर से जारी हनुमान भक्ति और उनके प्रति आस्था का वह प्रभाव भी है, जो भक्तों को तन, मन और धन से सबल बनाती आ रही है।

श्री हनुमान भक्ति में विश्वास और आस्था को बल देने वाले ही ऐसे 5 मंत्र यहां बताए जा रहे हैं। चूंकि मानव जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा है, जिसमें दु:ख और सुख आते जाते हैं। इसलिए हर इंसान सुखों की चाहत और दु:खों से बचने के लिए देव उपासना करता है। ऐसे संकट, मुसीबतों और दु:खों से बचने के लिए ही श्री हनुमान के ये मंत्र अचूक माने गए हैं।

शनिवार के दिन श्री हनुमान की उपासना में इन मंत्रों का जप और भी असरदार होता है। क्योंकि शास्त्रों में हनुमान भक्ति ग्रहदोष शांति खासतौर पर शनि दशा के बुरे प्रभाव से बचने के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है। इसलिए जानें महाबली हनुमान के इन मंत्रों और श्री हनुमान पूजा की सरल विधि -

- शनिवार के दिन सुबह स्नान करें। इस दिन शरीर, बोल और आचरण की पवित्रता का खास ध्यान रखें।

- देवालय या हनुमान मंदिर में श्री हनुमान की प्रतिमा पर चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ाकर गंध, अक्षत, लाल फूल, श्रीफल यानी नारियल अर्पित करें।

- गुग्गल धूप लगाकर लाल आसन पर बैठकर इन हनुमान मंत्रो का जप करें-

- ॐ बलसिद्धिकराय नम:

- ॐ वज्रकायाय नम:

- ॐ महावीराय नम:

- ॐ रक्षोविध्वंसकाराय नम:

- ॐ सर्वरोगहराय नम: 

- मंत्र जप के बाद यथासंभव श्री हनुमान चालीसा पाठ का पाठ करें। श्री हनुमान की दीप आरती करें।

- पूजा, मंत्र जप और आरती के दौरान हुए जाने-अनजाने दोषों के लिए क्षमा प्रार्थना कर सारी परेशानियों और चिंतामुक्ति के लिए कामना करें।

धार्मिक मान्यता है कि श्री हनुमान के इन पांच मंत्रों के असर से रोग, शोक, दोष का अंत हो जाता है। 

चेतावनी -

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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...