कुंडलाहारिणी अप्सरा सबसे शीघ्र आती है।
इसे बुलाने की विधी इस प्रकार है, ऐक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाऐं उस अष्ट दल कमल सफेद चावल से बनाकर अप्सरा का चित्र रखें।
सफेद वस्त्र पहने रात में 11 बजे से मंत्र जप करे 31 माला जप करें,
उससे पहले न्यास और ध्यान करके अप्सरा का पूजन कर लें।
इस अप्सरा की साधना में तिथि, वार, नक्षत्र कुछ भी नही देखना,
ये अप्सरा बहुत शीघ्र आती है, जिस कमरे आप साधना करे उसमें कोई और प्रवेश ना करे,
मंत्र इस प्रकार है▪▪
"ऊॅ श्रीं ह्रीं कुण्डलहारिणी आगच्छ स्वाहा"
मोगरे का इत्र कमरे में छिड़क लें, स्फटिक की माला से जप करें।
अप्सरा परीक्षा लेगी आपको डरा सकती है परीक्षा सफल होने के बाद वो सामने आऐगी उस से वचन ले जो भी चाहो
आपको स्वर्ग का भी दर्शन कराऐगी जो वस्तु मांगोगे वो लाकर देगी, प्रेमिका बनकर रहेगी।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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