Friday, November 27, 2020

भूत, प्रेत, पिशाच, परविद्या, परमन्त्र, परयन्त्र, परतंत्र सर्व उच्चाटनार्थ श्री महाविद्या मूलमंत्र


 




भूत, प्रेत, पिशाच, परविद्या, परमन्त्र, परयन्त्र, परतंत्र सर्व उच्चाटनार्थ श्री महाविद्या मूलमंत्र ----------


ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनम में वशमानय स्वाहा।। 


  108 बार।। 


ॐ ह्रीं श्रीं सिद्धि आगच्छ आगच्छ अवतर अवतर स्वाहा।।   108 बार ।। 


यथा स्थिति अनुकूल अवस्थानुसार जपादि करिष्ये।। 


वास्तव में यह यंत्र धारणीय एवं पूजनीय है। और हमारा खुद का अनुभव है की साधक को इसे सिद्ध करना ही चाइये। यह यंत्र एक अखाड़े के योगी से मुझे प्राप्त है और उनके वचन से बंधे होने के कारण मैं इसकी पूर्ण विधि कही प्रकाशित नहीं करूँगा।


 इसलिए जो भी इस महायंत्र की पूर्ण विधि जानना चाहते है कृपया मुझे personally फ़ोन करके ले ले क्योकि मैं भी वचनबद्ध हूँ। 


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


विशेष -


किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें


राजगुरु जी


तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान


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Thursday, November 26, 2020

शुक्र ग्रह दोष..... शुक्रवार को करें फाइनल इलाज


 


शुक्र ग्रह दोष..... शुक्रवार को करें फाइनल इलाज


अंतर और बाहरी वस्त्र सफेद ही पहने। 


शुक्रवार को व्रत रखें शाम को खीर से ही व्रत खोलें। 


एक आंख वाले ब्राह्मण जैसे तैसे भी ढूंढ ले और हर शुक्रवार उन्हें भोजन करवाएं कुछ दक्षिणा दें और एक बार उन्हें सफेद वस्त्र भी भेंट करें। 


अपने सामर्थ्य अनुसार हीरा पुखराज या जरकन पहने।


इस दिन पत्नी से बिगाड़े ना।


वैसे भी पत्नी के अधिकार का हनन नहीं करना चाहिए।


यदि आपका शुक्र खराब हो जायगा तो आपके जीवन से ख़ुशी दूर हो जायगी।


पत्नी का सम्मान करे, बेवजह उसके आत्म सम्मान को ठेस नही पहुचाये ।शुक्रवार उसको कोई उपहार अवश्य दे  


गाय को इस दिन ज्वार अवश्य खिलाये । 


नोट- एक बात आप अपने पल्ले से बांध लें,  जिस घर में ब्याहता इस्त्री का अपमान होता हो...... 


उसे गाली दी जाए उस घर में या तो पैसा नहीं होगा अगर पैसा होगा तो सुख और जीवन में चैन नहीं होगा। 


और जिस घर की औरतें अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं और बहुत सजी-धजी रहती हैं वहां कभी ऐश्वर्या कम हो ही नहीं सकता।


शनि आपको पैसा दे सकता है मंगल  जमीन जायदाद सूर्य आपको नेम फेम और लीडरशिप दे सकता है। 

पर अगर शुक्र खराब है तो यह सब पाकर भी उसका मजा नहीं ले पाएंगे। जीवन में सुख और शांति नहीं ले पाएंगे। जीवन का आनंद ही चला जाएगा। 


बस अगर आपने शुक्र ठीक कर लिया तो आपके लिए हर तरह से कहीं ना कहीं से सुख और ऐश्वर्या का इंतजाम हो ही जाएगा। 


बस पत्नी को ध्यान से देखें। अगर उसके बाल सुंदर नहीं है या स्वच्छ नहीं है  वह साफ-सुथरी नहीं रहती। 


चिंता परेशानी बीमारी कलह या चुगली से घिरी रहती है तो समझो आपका शुक्र बहुत खराब है। 


लेकिन अगर वह शांत है स्वस्थ है साफ सुथरी है तो आप का सुख कोई नहीं छीन सकता। 


इतना बस अपने आप कर लीजिए 

नहीं तो हम ज्योतिषाचार्य तो है ही मंत्रों की शक्ति  और अनुष्ठान से तो हो ही जाएगा।


अगर आप भी अपनी कुंडली का विश्लेश्ण करवाना चाहते है तो Call करे और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा share करे


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Friday, November 20, 2020

शेयर बाजार से आर्थिक लाभ कब होता हैं जाने अपने जन्म कुण्डली से ...

 







शेयर बाजार से आर्थिक लाभ कब होता हैं जाने अपने जन्म कुण्डली से ...


                               

शेयर बाजार एक बड़ा और व्यापारिक छेत्र है। इस छेत्र में आर्थिक सफलता, रोजगार में सफलताए या शेयर की खरीदारी और बिक्री से धन लाभ कमाना 


यह सब कुंडली मे इस छेत्र में सफलता के योग होने पर ही सम्भव होता है। अब बात करते है कैसे इस छेत्र में सफलता मिलती है?   

                                                                                 कुंडली का 5वा भाव और इस भाव का स्वामी साथ ही ग्यारहवा भाव जो कि लाभ का है शेयर बाजार में सफलता को निश्चित करता है, 

                                                                                शेयर बाजार में लाभ कब होगा ...                                                                            जब दूसरे ग्यारहवे भाव के स्वामी पंचमेश या नवमेश के साथ 5 वे, 9 वे या 11 वे भाव मे बेठ जाते है तब आर्थिक लाभ ही ऐसे जातको इस छेत्र में होता है 


यदि दशमेश भी इस योग में शामिल हो जाता है तब शेयर बाजार में ऐसे जातक नोकरी भी करते है और शेयर की खरीदारी-बिक्री करके लाभ कमाते है।


शेयर बाजार पूरी तरह आर्थिक लाभ देने वाला छेत्र है यदि जातक की कुंडली मे आर्थिक उन्नति योग शेयर बाजार में होने पर इस छेत्र में आर्थिक सफलता मिलती है।।     

                                                                                         यदि लग्न कुंडली मे शेयर बाजार में सफलता के योग न हो यकीन नवमांश कुंडली मे योग है और जो ग्रह नवमांश कुंडली मे योग बना रहे है 


तब उन्ही ग्रहो की महादशाएं - अन्तरदशाये चल रही हो तब भी अपार आर्थिक लाभ इस छेत्र से जातक को होगा। 


अब कुछ उदाहरणों से समझते है किस तरह शेयर बाजार से शेयर खरीदारी बिक्री करने पर लाभ होता है और शेयर बाजार में नोकरी कैरियर आदि:-

        


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Wednesday, November 18, 2020

अघोर भैरवी साधना


 




अघोर भैरवी साधना


अगर दुर्भाग्य साथ न छोडे और हर कदम पर बाधा बनकर उपस्थित हो,हर तरफ से जिवन मे खूशीया कौन नहि चाहते है परंतु पूर्वजन्म के येसे भि दोष है हमारे ज्यो हमे रुलाते है,ज्यो हमे शिष्य नहि बल्कि अनुयायि बनाते है.


अब तो इन सारि दोषो से लढना है,नहि तो ये दोष हमे ज्योतीष्यीयो के गुलाम बना देगे.गुरु और इष्ट मे अविश्वास का जन्म कर देगे.


भगवान से भिक मांगना ये शिष्यो के कार्य नहि है.येसि अनुमति हमारे सदगुरुजी हमे नहि देते है..................................


’’ ब्रम्हांड से कह दो हमे भक्ति नहि साधना चाहिये ‘’ ये बात सद्गुरुजि ने कहि थि.....................


जिवन मे खूशिया सदगुरुजी कि क्रुपा आर्शिवाद से हि मिल सकति है. और उन्हिकि क्रुपा से मिलि है  अघोर भैरवी साधना ज्यो अत्यंत प्रभावि है और जिवन कि सारि बाधाओको दुर कर देति है दोषो सहित.


साधना सामग्री :-


कालि हकीक माला, मट्टि का दीपक , काले वस्त्र और आसन ,कपूर .


विधि :-


सर्वप्रथम स्नान करके साधना मे प्रवेश किजिये ,दक्षिण दिशा कि और मुख करते हुये साधना करनी है. अघोर भैरवी साधना से पूर्व हि गुरुपूजन एवँ गुरुमंत्र जाप और निखिल रक्षा कवच कि पाठ आवश्यक है.


मट्टि कि दीपक मे कपूर जलाये और अग्नि कि लौ को देखते हुये कालि हकिक माला से 9 मालाये जाप 8 दिन करनी आवश्यक है और 9 वे दिन हवन किजिये ( हवन मे आहुति के लिये काले तिल, लौंग, कालि मिर्च का हि उपयोग करे ) तभी साधना पूर्ण मानी जाति है ,यह साधना गुप्त नवरात्रि मे करनी है , किसि विशेष मनोकामना हेतु हम संकल्प ले सकते है.


मंत्र : -


॥ ॐ अघोरे ऎँ घोरे ह्रीँ सर्वत: सर्वसर्वेभ्यो घोरघोरतरे श्री नमस्तेस्तु रुद्ररुपेभ्य: क्लीँ सौ: नम: ॥


साधना समाप्ति के बाद माला को जल मे किसी भि काले वस्त्र मे एक नारियल और सुपारि कि साथ बान्धकर विसर्जित किजिये.और जिवन मे कोइ भि समस्या आये तो इसि दीपक मे थोडि कपूर जलाते हुये अपनि समस्या बोलकर थोडि मंत्रा जाप कर लिजिये किसी भि समय मे अनुकुलता प्राप्त होगि.


न्योच्छावर राशि "  


  अघोर भैरवी  यंत्र    कालि हकीक माला,  :  3100  -रुपये


विशेष चेतावनी


==========


उपरोक्त साधना पद्धति मात्र जानकारी के उद्देश्य से दिया जा रहा है |जैसा की शास्त्रों में ,किताबों में भैरवी की साधना दी हुई है ,हम भी ब्लॉग और पेज पर मात्र जानकारी देने के उद्देश्य से इसे प्रकाशित कर रहे हैं |


मात्र इस लेख के आधार पर साधना न करें |साधना पूर्व अपने गुरु से अनुमति लें और किसी सिद्ध काली साधक से सुरक्षा कवच बनवाकर जरुर धारण करें ,जो ऐसा हो की सुरक्षा भी करे औए पिशाचिनी के आगमन को रोके भी नहीं |


योग्य ग्यानी से समस्त प्रक्रिया और मंत्रादी समझ लें ,जांच लें |किसी भी हानि अथवा परेशानी के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे |

धन्यवाद.


विशेष -


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Sunday, November 8, 2020

राहु


 




राहु 


राहू एक मायावी ग्रह है , दैत्य होने के कारण इस मे सारे वो अवगुण है जो एक राक्षस मे पाए जाते है , अगर राहू अशुभ स्थिति मे हो और उस की दशा आ जाए तो व्यक्ति भटक जाता है,  व्यक्ति अपनी जाति से बाहर निम्न जाति की लडकी के प्रेम जाल मे फंस जाता है या किसी ऐसी लडकी से प्रेम कर बैठता है जिन के विवाह को समाज मान्यता नही देता है , 


राहू की अंतरद्शा मे होने वाला प्यार एक हसीन धोखा होता है , जातक घर वालों से छुप कर नशा करने लगता है , झूठ बोलने लगता है , ख्याली पुलाव बनाने लगता है और ख्वाबों की दुनिया मे खोया रहता है , सटटा लगाने लगता है , कर्ज मे डूबता है , प्रेत बाधा का शिकार हो जाता है ,राहू जातक को पागलपन,  मानसिक वेदना वाली बिमारिया दे सकता है 


अगर जातक को पहले से ही बता दिया जाए तो अपनी बुद्धि और विवेक से काफी हद तक अपने आप को बचा सकता है 


यदि राहू कुंडली मे शुभ स्थिति मे हो तो जातक को बहुत कम समय मे ढेर सारे शुभफल प्रदान करता है,  लेकिन शुभ होने पर भी राहू अपने स्वभाव का त्याग नही करता थोडा बहुत रंग जरुर दिखाता है 


" नीम के पौधे की जड़ मे कितना भी दूध और घी डाल दिया जाए वो अपनी कड़वाहट कभी नही छोडता !

 

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Saturday, November 7, 2020

हथेली देखकर जानें डॉक्टर, इंजीनियर या एक्टर बनेंगे ...


 



हथेली देखकर जानें डॉक्टर, इंजीनियर या एक्टर बनेंगे ...


   

अपने कैर‌ियर को लेकर हर कोई च‌िंत‌ित होता है तो जा‌ह‌िर सी बात है क‌ि आप भी च‌िंत‌ित होंगे। लेक‌िन च‌िंता से कोई पर‌िणाम नहीं म‌िलता है ..


आप अपनी हथेली की बनावट और कुछ रेखाओं को ठीक से देखें तो यह जान सकते हैं क‌ि आपके ल‌िए क‌िस क्षेत्र में कैर‌ियर बनाना आसान और लाभप्रद रहेगा।


समुद्रशास्‍त्र के अनुसार ज‌िस व्यक्त‌ि की हथेली में गुरु पर्वत उन्नत होता है, सूर्य रेखा और भाग्य रेखा सीधी और स्पष्ट होती वह सरकारी क्षेत्र में उच्चाध‌िकारी होते हैं। 


ऐसे व्यक्त‌ि प्रशासन‌िक सेवा के ल‌िए प्रयास कर सकते हैं, इन्हें कामयाबी म‌िलती है। इस तस्वीर में 1 नंबर पर गुरु पर्वत, 2 नंबर पर भाग्य रेखा और 3 नंबर पर सूर्य रेखा देख सकते हैं।


उंगल‌ियां लंबी हैं और बुध पर्वत उभरा हुआ हुआ ज‌िस पर तीन खड़ी रेखाएं हो। इसके साथ ही सूर्य पर्वत गहरी पतली हो। शुक्र और चन्द्र प्रर्वत पर कोई अशुभ च‌िन्ह न हों साथ ही हृदय और मस्त‌िष्क रेखा स्पष्ट हो तब व्यक्त‌ि च‌िक‌ित्सा के क्षेत्र में सफल होता है।


 इस तस्वीर में नंबर 1 पर बुध, 2 पर सूर्य रेखा और पर्वत, 3 पर मस्त‌िष्क रेखा, 4 पर हृदय रेखा, 5 पर शुक्र पर्वत, 6 पर चन्द्र पर्वत देख‌िए।


समुद्रशास्‍त्र के अनुसार हथेली में उंगल‌ियां आगे से गोलाई ल‌िए हों और चन्द्र और मंगल पर्वत उभरे हों तो व्यक्त‌ि सफल इंजीन‌ियर बनता है।


 इसके अलावा उंगल‌ियां मोटी और नोकदार हों। हथेली चौड़ी और अंगूठा छोटा और मजबूत तो व्यक्त‌ि इंजीन‌ियर बनता है।


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Friday, November 6, 2020

अत्यधिक भाग्यशाली लोगो के हाथों में होती है यह रेखा आपके हाथों में भी है ...


 



अत्यधिक भाग्यशाली लोगो के हाथों में होती है यह रेखा आपके हाथों में भी है ...




दोस्तों ये तो आप जानते ही होंगे की प्रत्येक व्यक्ति की हथेली में बहुत सारी लकीरें होती हैं और ‘समुद्र शास्त्र’ के अनुसार लकीरों से बनने वाले हर चिन्हों का कुछ ख़ास महत्त्व होता है। 


कोई चिन्ह आपको बहुत भाग्यशाली बना सकता है तो कोई दुर्भाग्य का प्रतीक होता है। हमारे हाथों में ऐसी कई रेखाएं होती हैं जो हमारे भाग्य को बनाने में एक अहम योगदान रखती हैं।


 हाथ के अलावा आपकी अंगुलियों में भी कुछ ऐसा रेखाएं होती हैं जो आपकी उंगलियों की बनावट पर निर्भर करती है। 


हस्तरेखा विशेषज्ञों की मानें तो व्यक्ति का भविष्य उसके हाथ की हथेलियों व हाथों की उंगलियों पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति के हाथ में ये अलग अलग प्रकार की पाई जाती है|


आपकी जानकारी के लिए बता दे की यदि आपके हाथ की उंगलियों पर शंख, चक्र, त्रिशूल और कमल आदि के चिह्नों बने हैं तो आपसे ज्यादा भाग्यशाली और कोई न होगा।  


माना जाता है कि जिन लोगों के हाथ पर शंख, चक्र, त्रिशूल और कमल आदि के चिह्न होते हैं वह अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करते हैं। और ऐसे लोगों को अपने जीवन में ज्यादा मेहनत की जरुरत नहीं पड़ती।


उनके सारे काम बुहत ही आसानी के साथ पूरे हो जाते हैं। ऐसे लोग दूसरों से बिल्कुल अलग होते हैं। लेकिन इनके जीवन में संघर्ष भी बहुत होता है।


हस्तरेखाशास्त्र द्वारा भविष्य जानने में हथेली पर मौजूद रेखाओं के अलावा हाथों-अंगुलियों की बनावट का विशेष महत्व होता है। इसके अतिरिक्त हथेली पर मौजूद कुछ विशेष चिह्न भी आपके जीवन के बारे में बहुत कुछ कहते हैं।


बहुत से लोगो के हथेली विशेष चिन्ह बने होते है पर शंख, चक्र, त्रिशूल, कमल आदि ऐसे चिह्नों को बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी लोग भगवान के कृपा पात्र मोने जाते हैं और जीवन में दूसरों से बहुत अलग होते हैं। 


इन्हें सफलता भी दूसरों से अधिक और कम मेहनत में मिलती है। हालांकि ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष भी बहुत होता है। और आज हम यहां जिस चिह्न की चर्चा कर रहे हैं वह बहुत कम हाथों में होता है 


और बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। यह है विष्णु-चिह्न जो की बहुत ही काम लोगो के हाथो में पाया जाता है|आइये जांए है इस चिन्ह के बारे में थोड़ा विस्तार से|


हमारे हथेली पर हृदय रेखा जब गुरु पर्वत पर जाकर दो भागों में बंट जाती है, जिसका एक सिरा ऊपर की तरफ तर्जनी और मध्यमा अंगुली के बीच की ओर और दूसरा सिरा हथेली पर तर्जनी अंगुली के नीचे गुरु पर्वत की ओर जा रहा होता है


 इससे ड्रॉ किया जाए, तो वहां अंग्रेजी के ‘वी’ अक्षर की तरह दीखता है, यह भगवान विष्णु का चिह्न माना जाता है। इसे ही विष्णु रेखा भी कहते हैं।


और ये रेखा बहुत ही कम लोगो के हाथो में पाई जाती है और जिनके हाथो में पाई जाती है वो लोग बहुत ही भाग्यशाली मने जाते है|


विष्णु-चिह्न जिस भी हाथ पर हो, वह भगवान का विशेष कृपा पात्र होता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं होता कि ये जीवन में बिना कुछ किए सबकुछ पा सकते हैं। 


इन लोगों को अपने जीवन में सत्य के साथ चलना होता है। अगर ये अच्छे कर्मों के साथ चलते हैं और कोई भी प्रयास करते हैं तो अवश्य ही सफलता मिलती है, 


लेकिन अगर ये कुछ भी गलत करने की कोशिश करते हैं, तो तुरंत इन्हें इसका भुगतना करना पड़ता है।


 और भी बहुत कुछ कहता है आपकी और हमारी हस्तरेखा आप भी अपने जीवन से जुड़ा हुआ किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो संपर्क करें


 और कॉल करें और हस्तरेखा से जुड़ा हुआ सारी जानकारी प्राप्त करें किंतु मुक्त फ्री वाले संपर्क ना करें 


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Thursday, November 5, 2020

64 योगिनी महा यंत्र कवच


 




64 योगिनी महा यंत्र कवच


इस यंत्र का महत्त्व नाथ सम्प्रदाय में अन्यतम है। कहा जाता है की यह साबर और महाविद्याओं की साधना में अनिवार्य है। इस यंत्र को योगिनी हृदयँ में महायंत्र की संज्ञा दी गई है।


यह यंत्र सदा ही गोपनीय रहा है क्योकि यह 64 योगिनियों को समर्पित है जो समस्त नाथ ,साबर ,अघोर आदि साधनाओ की सिद्धिदात्री है। बिना 64 योगिनी की सहायता से इन सभी साधनाओ में सफलता संदिग्ध ही रहती है। 


बहुत दिनों से इस यंत्र की खोज में थे। आखिरकार हमे एक सिद्ध योगी से इसकी पूर्ण विधि प्राप्त हो गयी और साथ ही उसने सात्विक और तामसिक दोनों ही विधियों हमे बतादी जो इसे सिद्ध करने के लिए जरूरी है।


 सात्विक विधि में जहां नारियल, आदि सात्विक वस्तुए एक एक 64 योगिनी को समर्पित की जाती है वाही तामसिक विधि में मीट एवं मद्ध का इस्तमाल होता है।


 इस यंत्र को सर्वप्रथम भोजपत्र या ताँबे में बनाया जाता है फिर एक-एक योगिनी की पूजा अर्चना एवं मन्त्र जपना परता है।इसके बाद मूल योगिनी मन्त्र का पाठ कर हवंन कर इस यंत्र को सिद्ध करा जाता है। हमने जो लाभ इस यंत्र से अनुभव करे है -


# हर प्रकार की साधना में विचित्र अनुभव क्योकि 64 योगिनीय हमारी हर साधना में सफलता प्रदान करती है ।


#आध्यात्मिक रहस्यों एवं ज्ञान की प्राप्ति स्वप्न, शुषुप्ति अवस्था में। # कुण्डलिनी जागरण में तीव्रता से सफल होना


#साबर मंत्रो की सिद्धि


# पूर्ण सुरक्षा


# हमारे अनुभव में यह भी आया है की इस यंत्र के धारण से व्यक्ति की इच्छाओ की पूर्ती जल्द होती है। 64 योगिनियां महाविद्या साधना में विशेष सफलता प्रदान करती है।


 वास्तव में यह यंत्र धारणीय एवं पूजनीय है। और हमारा खुद का अनुभव है की साधक को इसे सिद्ध करना ही चाइये। यह यंत्र एक अखाड़े के योगी से मुझे प्राप्त है और उनके वचन से बंधे होने के कारण मैं इसकी पूर्ण विधि कही प्रकाशित नहीं करूँगा।


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Wednesday, November 4, 2020

बरकत और खुशहाली के लिए घर में सही स्थान पर रखें कछुआ

 





बरकत और खुशहाली के लिए घर में सही स्थान पर रखें कछुआ


यदि घर में बरकत न हो रही हो, किसी तरह की परेशानी आपका पीछा न छोड़ रही हो या फिर बीमारियों की वजह से तंग आ गए हों तो फेंगशुई के ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं। फेंगशुई कहता है कि यदि आप अपने घर में धातु से बने कछुए को सही जगह रखें तो संभव है कि आपको अपनी इन परेशानियों से मुक्ति भी मिल जाए और आपकी जंदगी में खुशियां ही खुशियां ले आए।


यदि आपका करियर या बिज़नस आगे बढ़ता हुए प्रतीत न हो रहा हो तो फेंगशुई कहता है कि धातु से बना हुआ कछुआ लेकर उसे पानी से भरे बर्तन में उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इससे व्यापार और करियर दोनों तरक्की की राह पकड़ लेते हैं।


कहां रखना चाहिए यदि घर की उत्तर दिशा में आपका बेडरूम है, तो भूल से भी पानी से भरे बउाल को बेडरूम में न रखें। ऎसी स्थिति में सिर्फ धातु का कछुआ रखें। फेंगशुई के अनुसरार बेडरूम में पानी रखना अशुभ माना जाता है।


बताया जाता है कि कछुआ रखने के लिए सबसे सही दिशा उत्तर है। उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। इसके अलावा पूर्व दिशा में भी कछुए को रखा जा सकता है। बस इतना ध्यान रखें कि कछुए का मुंह घर के अंदर की ओर रहे। बाहर की ओर मुंह किए हुए कछुए के बारे में कहा जाता है कि इससे धन जिस तेजी से आता है उसी तेजी से खर्च भी हो जाता है।


यदि बेडरूम में रखना चाह रहे हों तो इसे पानी से भरे बर्तन में रखने की भूल कतई न करें। फेंगशुई के नियमों की मानें तो बेडरूम में पानी रखना अशुभ माना जाता है।


कहते हैं कि इसे घर में रखने से परिवार के सदस्यों की उम्र लंबी होती है।


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राजगुरु जी


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कई लोग यह जानना चाहते हैं कि हमारा विदेश योग✈️ कब होगा और कैसे होगा यह आप आपकी कुंडली से ही जान सकते हैं आपकी कुंडली निकालें और जो मैं सूत्र बता रहा हूं वह देखेl


 





कई लोग यह जानना चाहते हैं कि हमारा विदेश योग✈️ कब होगा और कैसे होगा यह आप आपकी कुंडली से ही जान सकते हैं आपकी कुंडली निकालें और जो मैं सूत्र बता रहा हूं वह देखेl  


 🕉️ केतु अगर आपका प्रथम भाव में है तो विदेश यात्रा नहीं होगी और     अगर गए तो वापस आना पड़ेगा    

                                  

  🕉️ दूसरे भाव में अगर केतु है तो आपको पदोन्नति मिलेगी और यात्रा होगी वरना नहीं होगी अगर विदेश यात्रा हुई तो अवश्य लाभ होगा उसमें कोई शंका नहीं                             


🕉️ तीसरे भाव में अगर आपके केतु है तो अवश्य हंड्रेड परसेंट विदेश यात्रा होगी यह लिख लीजिए                    


🕉️ अगर चतुर्थ भाव में केतु है तो विदेश यात्रा नहीं होगी अगर विदेश में रहते होंगे तो भी वापस माता के पास आना पड़ेगा


 🕉️ पंचम भाव में अगर केतु है तो स्वयं अपने बाहुबल से और संतानों के प्रयत्नों से विदेश यात्रा होगी और शादी प्रेम और संबंध भी इसमें मददगार रहेंगे                        


  🕉️ अगर आप के छठे भाव में केतु है तो विदेश यात्रा के लिए आपको संघर्ष करना पड़ेगा लेकिन विदेश यात्रा नहीं होगी  


 🕉️ अगर आपके सप्तम भाव में केतु है तो यहां आपका पत्नी और परिवार रहेगा लेकिन आप की विदेश यात्रा जरूर होगी    


🕉️ अगर आपके अष्टम भाव में केतु है तो आपकी इच्छा अनुसार यात्रा नहीं होगी और आपको लाभ भी नहीं मिलेगा  


  🕉️ अगर आपके नवम भाव में केतु है तो अवश्य विदेश यात्रा होगी और लाभ भी मिलेगा                                


  🕉️ अगर आपके दशम भाव में केतु है तो यात्रा कोई भी तक के बिना होगी लेकिन कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा हां नुकसान अवश्य होगा     


  🕉️ केतु अगर आपके एकादश भाव में है तो आपको विदेश यात्रा के लिए प्रयास करना पड़ेगा फिर भी आपको वीजा मिलने में आशंका रहेगी 


  🕉️ अगर आपके द्वादश भाव में केतु है तो विदेश यात्रा अवश्य होगी और आपका परिवार भी विदेश में रहेगा और लाभ भी बहुत मिलेगा आपको       


   🕉️ मेरी मति अनुसार यह सूत्र रखे हैं फिर भी आपकी कुंडली से मैच कीजिएगा और सही लगे तो मेरे पोस्ट में अवश्य टिप्पणी कीजिएगा और अगर कुछ है तो आपकी कुंडली रखे ।


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Tuesday, November 3, 2020

करवाचौथ व्रत एवं महत्व


 




करवाचौथ व्रत एवं महत्व 


करवा चौथ व्रत आज 4 नवंबर 2020 को है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा रखा जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं। 


करवा चौथ पर बुधवार को महिलाएं अटल सुहाग की कामना कर व्रत रखेंगी। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ेंगी। इस दिन अमृत-सर्वसिद्धि सर्वार्थ योग संग बुधवार का संयोग भगवान गणेश की खास कृपा बरसाएगा। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सुबह 3:24 बजे लग जाएगी। 


दूसरे दिन 5 नवंबर को सुबह 5:14 बजे तक रहेगी। ज्योतिष  के मुताबिक इस बार चतुर्थी बुधवार को पड़ने से भगवान गणेश की अर्चना करने से लाभ होगा। महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य की कामना कर व्रत रखती हैं।


 मनवांछित पति पाने की कामना में कुंवारी लड़कियां भी व्रत रखती हैं। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा हैं। राशि के स्वामी शुक्र और बुध हैं। इसलिये बुधवार को दिनभर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।


ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, इस दिन महिलाओं को अपनी राशि के अनुसार शृंगार करना चाहिए। 


मेष

आपको करवा चौथ पर लाल रंग की साड़ी, सूट या लहंगा पहनना चाहिए। आपके लिए यह शुभ रहेगा।


वृषभ

करवा चौथ पर सिल्वर या लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पति के प्यार में कमी नहीं आती है।


मिथुन

इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर हरे रंग की साड़ी, सूट या लहंगा पहना चाहिए और इसी रंग की चूड़ियां पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको बुध देव का आशीर्वाद मिलेगा।


कर्क

इस राशि की महिलाओं को लाल में सफेद बॉर्डर या सफेद साड़ी में लाल बॉर्डर की साड़ी के साथ रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनना आपके लिए शुभ रहेगा।


सिंह

इस राशि की महिलाओं को लाल, नारंगी और गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं। ऐसा करने से आपको करवा माता का वरदान जल्द ही मिल सकता है


कन्या

इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर लाल, हरा या गोल्डन रंग की साड़ी, सूट या लहंगा पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से इन महिलाओं को पूजा का शुभ फल मिल सकता है।


तुला

करवा चौथ पर लाल, सिल्वर या गोल्डन रंग के कपड़े व चूड़ियां पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से इन्हें पूजा का शुभ फल तुरंत प्राप्त हो सकता है। करवा चौथ व्रत के इन नियमों के बिना पूरी नहीं होती पूजा, जरूर जान लें। 


वृश्चिक

करवा चौथ पर लाल, मैरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच प्यार भी बढ़ेगा।


धनु

इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर पीले या आसमानी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करना इन महिलाओं के दांपत्य जीवन में शुभ फल प्रदान कर सकता है।


मकर

इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर नीले रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से इनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहेंगी।


कुंभ

करवा चौथ पर नीले या फिर सिल्वर रंग के कपड़े और ज्वैलरी पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से इन्हें पूजा का शुभ फल प्राप्त हो सकता है।


मीन

आपको करवा चौथ पर लाल या गोल्डन रंग के कपड़े पहनना शुभ रहेगा। इसके साथ ही गोल्डन कलर की चूड़ियां पहनना भी आपके लिए शुभ रहेगा।


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तंत्र काम-वासना यानि सेक्स नही है








तंत्र काम-वासना यानि सेक्स नही है 

सेक्स यांत्रिक है, प्रेम मांत्रिक है, आत्मीयता तांत्रिक है 

तंत्र है दो आकाशों का मिलन न कि देह का मिलन 

देह है यंत्र ! दो देहों के बीच जो संबंध होता है वह है यांत्रिक ! सेक्स यांत्रिक है ! काम वासना यांत्रिक है ! जैसे दो मशीनों के बीच घटना घट रही हो !

मन है मंत्र ! मंत्र शब्द मन से ही बना है ! जो मन का है वही मंत्र ! जिससे मन में उतरा जाता है वही मंत्र ! जो मन का मौलिक सूत्र है वही मंत्र ! मन और मंत्र की मूल धातु एक ही है !

तो देह है यंत्र ! देह से देह की यात्रा यांत्रिक-कामवासना, सेक्स !

मन है मंत्र ! मन से मन की यात्रा मांत्रिक ! जिसको तुम साधारणत - प्रेम कहते हो ! दो मनों का मिल जाना ! दो मनों के बीच एक संगीत की थिरकन ! दो मनों के बीच एक नृत्य ! देह से ऊपर है ! देह है भौतिक, मंत्र है मानसिक, मनोवैज्ञानिक, सायकॉलॉजिकल !

और आत्मा है तंत्र ! दो आकाशों का मिलन ! जब दो आत्मायें मिलती हैं तो तंत्र ! न देह, न मन ! तंत्र ऊंचे से ऊंची घटना है ! तंत्र परम घटना है !
तो इस से ऐसा समझो...

देह -- यंत्र, शारीरिक, sexual.
मन -- मंत्र, मानसिक, Psychological.
आत्मा - तंत्र, आध्यात्मिक, Cosmic.

ये तीन तल हैं ! तुम्हारे जीवन के, यंत्र का तल, मंत्र का तल, तंत्र का तल ! इन तीनों को ठीक से पहचानो ! और तुम्हारे हर काम तीन में बंटे हैं ! 

कोई व्यक्ति भोजन करता यंत्रवत ! न उसे स्वाद का पता है, न वह भोजन करते वक्त भोजन कर रहा है ! डाल रहा है किसी तरह ! हिसाब लगा रहा है दुकान का ! ग्राहकों से बात कर रहा है, हिसाब-किताब, बही-खाते, सब चल रहा है भीतर, इधर भोजन डाले जा रहा है ! यह भोजन हुआ यांत्रिक ! तो भोजन भी यंत्रवत हो गया !

फिर कोई व्यक्ति बड़े मनोभाव से.. किसी ने बड़े प्रेम से भोजन बनाया है ! तुम्हारी मां ने बड़े प्रेम से भोजन बनाया है, कि तुम्हारी पत्नी ने दिन भर तुम्हारी प्रतीक्षा की है...! ऐसा अपमान तो न करो उसका !! इतने भाव से बनाये गये भोजन का ऐसा तिरस्कार तो न करो ! कि तुम खाते-बही कर रहे हो, कि तुम भीतर ही भीतर गणित बिठा रहे हो, कि तुम यहां हो ही नहीं !!

कोई मन से भोजन करता है तो भोजन भी मांत्रिक हो जाता है ! तब सब हटा दिया ! कहीं और नहीं, यहीं है ! बड़े मनोभावपूर्वक, बड़ी तल्लीनता से, बड़े ध्यानपूर्वक, बड़ी अभिरुचि से, स्वाद से, सम्मान से...!

और कोई ऐसे भी भोजन करता है जो आध्यात्मिक है ! उपनिषद कहते हैं, अन्न ब्रह्म ! अन्न ब्रह्म है !! इन ऋषियों ने भोजन भी आध्यात्मिक ढंग से किया होगा ! तो तांत्रिक ! क्योंकि भोजन भी वही है ! हम भोजन में उसी (परमात्मा) का तो स्वाद लेते हैं ! भोजन में वही तो हमारे भीतर जाकर जीवन का नवसंचार करता, उर्जा से भरता, पुनरुज्जीवित करता है ! जो मुर्दा कोष्ठ हैं उन्हें बाहर फेंक देता, नये जीवित कोष्ठ निर्मित कर देता ! तो परमात्मा भोजन से भीतर आता है ! तो ऐसे भोजन करना - तांत्रिक !

ऐसे तुम समझो प्रत्येक क्रिया के तीन तल हैं ! कोई आदमी रास्ते पर घूमने गया और हजार-हजार विचारों में उलझा है तो—यांत्रिक ! और कोई रास्ते पर घूम रहा है, विचारों में उलझा हुआ नहीं है, सुबह की हवा उसे छूती है, संवेदनशील है, सुबह का सूरज अपनी किरणें बरसाता है, पक्षी गुनगुनाते हैं, वह इन सबको सुन रहा है, होश्पूर्ण, मंत्रमुग्ध, मस्ती में जा रहा है ! तो ये मांत्रिक !! और फिर कोई ऐसे भी जा सकता है कि हर हवा का झोंका परमात्मा का झोंका मालूम पड़े ! और हर किरण उसकी ही किरण मालूम पड़े, और हर पक्षी की गुनगुनाहट उसके ही वेदों का उच्चार, उसके ही कुरान का अवतरण ! तो तांत्रिक !!

तुम अपने जीवन की प्रत्येक क्रिया को तीन में बांट सकते हो ! ध्यान रखना, यंत्र में ही मत मर जाना ! अधिक लोग यंत्र की तरह ही जीते हैं ! यंत्र की तरह ही मर जाते हैं ! बहुत थोड़े से धन्यभागी मांत्रिक हो पाते हैं - कवि, संगीतज्ञ, नर्तक ! बहुत थोड़े से लोग ! और वे भी बहुत थोड़े से क्षणों में, चौबीस घंटे नहीं ! चौबीस घंटे तो वे भी यांत्रिक होते हैं ! कभी-कभी किसी क्षण में, किसी पुलक में, जरा सा द्वार खुलता है ! जरा सा झरोखा खुलता है और उस तरफ का जगत झांकता है ! उस आयाम का प्रवेश होता है ! क्षण भर को काव्य की, संगीत की, झलक आती है ! फिर द्वार बंद हो जाते हैं !

फिर बहुत विरले लोग हैं ! कृष्ण, और बुद्ध, और अष्टावक्र, बहुत विरले लोग हैं, करोड़ों में कभी एक होता, जो तांत्रिक रूप से जीता है ! जिसका प्रतिपल दो आकाशों का मिलन है...प्रतिपल ! सोते, जागते, उठते, बैठते जो भी उसके जीवन में हो रहा है, उसमें अंतरिक आकाश और वाह: आकाश मिल रहे हैं, परमात्मा और प्रकृति मिल रही है, संसार और निर्वाण मिल रहा है ! परम मिलन घट रहा है !

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Monday, November 2, 2020

अपने प्यार को खो देते हैं इन राशियों के लोग, आप भी जानें


 





अपने प्यार को खो देते हैं इन राशियों के लोग, आप भी जानें


प्रेम वो एहसास है जिसे जीवन में व्यक्ति को एक बार तो जरुर महसूस करना चाहिए। यूं तो जीवन में सच्चा प्यार बहुत मुश्किल से मिलता है। मगर कई बार ऐसा भी होता है कि सच्चा प्यार मिलने के बाद भी कुछ लोग अपनी ही गलतियां के कारण उस सच्चे प्यार को खो बैठते हैं। 


यानि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ लोगों के भाग्य में सच्चा प्यार होता ही नहीं है। तभी तो कुछ लोग सच्चा प्यार मिलने के बाद भी उसकी कदर नहीं करते हैं। हालांकि यह जरुरी नहीं है कि जीवन में हर किसी व्यक्ति को सच्चा प्यार मिले। मगर कुछ लोग ऐसे खुशकिस्मत होते हैं कि उन्हें जीवन में सच्चा प्यार मिल ही जाता है।


 इसलिए अगर हो सके तो आप भी सच्चे प्यार की कदर करना सीखें। ताकि आपको जीवन में कभी पछताना ना पड़े। तो आइए ऐसी ही कुछ राशियों के बारे में जानते हैं जिनके जातक अपनी ही गलतियों के कारण अपने सच्चे प्यार को खो देते हैं।


1. सिंह राशि के जातक


सच्चे प्यार को खोने वाले लोगों में सबसे पहला नाम सिंह राशि के जातकों का आता है। सिंह राशि के जातक दिखने में तो बहुत खुबसूरत होते हैं लेकिन इन लोगों का स्वभाव बहुत गुस्से वाला होता है। यानि ये लोग छोटी से छोटी बात को लेकर गुस्सा करते रहते हैं। ये लोग दिखने में जितने अच्छे होते हैं अंदर से उतने ही गुस्सैल भी होते हैं। इनका गुस्सा इतना तेज होता है कि ये लोग अपने गुस्से के कारण अपने सच्चे प्यार को भी खो देते हैं।


2. मिथुन राशि के जातक


मिथुन राशि के लोगों के लिए अपने प्यार से अधिक अपना करियर मायने रखता है। इन लोगों के लिए अपना करियर सबसे जरूरी होता है। ये लोग हमेशा अपना करियर बनाने में लगे रहते हैं। जिसके कारण इनका कोई भी रिश्ता ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकता है।


3. कुंभ राशि के जातक


कुंभ राशि के लोग प्यार के मामले में बेहद बदकिस्मत होते हैं। ये लोग हमेशा सच्चे प्यार की तलाश में लगे रहते हैं। लेकिन फिर भी इन्हें अपना सच्चा प्यार नहीं मिल पाता है। यानि इन लोगों को अपना परफैक्ट प्यार कभी भी नहीं मिलता है।


4. कन्या राशि के जातक


कन्या राशि के लोग अपने पाटर्नर की तुलना हमेशा दूसरे लोगों से करते रहते हैं। और यही वजह है कि अगर इन लोगों के जीवन में सच्चा प्यार आता भी है तो वह प्यार इन्हें छोड़कर चला जाता है। इसके अलावा ये लोग कभी भी अपनी गलती को नहीं मानते हैं। और इसके कारण भी ये लोग अपने सच्चे प्यार को खो बैठते हैं। लेकिन जो लोग अपने जीवन में सच्चा प्यार हासिल करना चाहते हैं तो अपने प्यार की कदर करना सीखें।


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Sunday, November 1, 2020

वीर भैरव साधना : ( एक प्रत्यक्ष साधना तंत्र )


 




वीर भैरव साधना :   (  एक प्रत्यक्ष साधना तंत्र  )


आप सभी क्या आप किसी भूत-प्रेत, शैतानी शक्ति से पीड़ित है तो अवश्य करें !


यह साधना..


मजारों और मंदिरों पर वर्षों चक्कर लगाने के बाद भी पीछा नही छूटता 


            किसी भी व्यक्ति पर मुठ, या उसके शरीर पर किसी भी प्रकार का काला जादू , टोना - टोटका तांत्रिक प्रयोग किया हुआ है ! 


भूत -प्रेत , चांडाल , शैतानी शक्ति - जींद या अन्य बुरी शक्ति से पीड़ित है  या आप का पैर गलत जगह पड़ गया है , आप के शरीर में कोई आत्मा आती है , जिससे आप का शरीर दुःखी ओर जीवन नर्क समान बनता जा रहा है 


          येसी बीमारी जिसका इलाज करते - करते डॉक्टर भी हार मान गये है तो कीजिये ..


-: वीर भैरव साधना :-


कई लोगों के रोजाना फ़ोन और  massege आते है, और अपनी अक्सर बताते  है कि हम ऐसी समस्याओं पीड़ित है , और अनेक प्रकार के ज्योतिष, तांत्रिकों से इलाज़ कराया , लाखो रुपिया ख़र्च करने के बाद भी समस्या खत्म नही हुई है ! 


आप लोगों के आग्रह पर तंत्र जगत की दुर्लभ गोपनीय साधना देने जा रहा हूँ , किसी भी जातक को अगर ऊपर बताई अनुसार कोई भी परेशानी है तो ये साधना अवश्य करें , और अपने जीवन को खुश हाल बनायें ..! 


अज्ञानता वश छोटी मोटी क्रिया सीखने के बाद लोग अपने आप को तांत्रिक , अघोरी या औघड़ कहने लगते है , 


काले - लाल कपड़े पहनकर गले में रंगीन कांच की मालाएं डाल लेते है और अपना रूप डरावना कर लेते है , ओर रोगी या रोगी के परिजन उनके बहकाने में आ जाते है  और वो लोग पूर्ण ज्ञान नही होने पर शैतानी दैत्य शक्तोयों को छेड़ देते है, ओर उनकी इस हरक़त से रोगी ( जातक ) का जीवन नर्क बन जाता है 


इसके लिए क्या करना चाहिए ..


                       सबसे पहले जो आवश्यकता है , रोगी की  बात सुनना चाहिये उसके बाद अपने गुरु , ईस्ट के बल पर ये सोचना चाहिए कि आखिर रोगी की प्रॉब्लम क्या है ,


तंत्र के हर क्षेत्र में 

शैतान , ब्रह्म राक्षस , भूत-प्रेत , डाकिनी - साकनी , चुड़ैल - कच्चे कलुआ , मुठ ओर भी अनेक दैत्य पीड़ित शक्तियाँ है 


और ये सभी वीरों पर आधारित होती है ,


जैसे हनुमान जी के भी वीर होते है , उसका ज्ञान होना अनिवार्य है तभी जाकर ऐसी क्रियाओं से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करना चाहिये ! 


मेरी तरफ से उपहार स्वरूप एक दुर्लभ क्रिया ..


         भगवान काल भैरव के 52 स्वरूपों में से अत्यंत बलशाली उग्र रूप है वीर भैरव !


वीर भैरव अपराजेय है , इसके सामने कोई भी शक्ति ठहर नही सकती ! 


इसकी साधना साधक को बल, पराक्रम तो प्रदान करती ही है , साथ ही साधक के सभी मनोरथों को भी पूरा करती है 


इस साधना से पूर्व में गुरु कृपा से मेने स्वयं हजारों लोगों को ठीक किया है और आज वो हंसी खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे है 


अघोर मंत्रो से सिद्ध प्राण- प्रतिष्ठा युक्त सहयोग राशि मात्र 1100 / Rs 


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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...