भूत, प्रेत, पिशाच, परविद्या, परमन्त्र, परयन्त्र, परतंत्र सर्व उच्चाटनार्थ श्री महाविद्या मूलमंत्र ----------
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनम में वशमानय स्वाहा।।
108 बार।।
ॐ ह्रीं श्रीं सिद्धि आगच्छ आगच्छ अवतर अवतर स्वाहा।। 108 बार ।।
यथा स्थिति अनुकूल अवस्थानुसार जपादि करिष्ये।।
वास्तव में यह यंत्र धारणीय एवं पूजनीय है। और हमारा खुद का अनुभव है की साधक को इसे सिद्ध करना ही चाइये। यह यंत्र एक अखाड़े के योगी से मुझे प्राप्त है और उनके वचन से बंधे होने के कारण मैं इसकी पूर्ण विधि कही प्रकाशित नहीं करूँगा।
इसलिए जो भी इस महायंत्र की पूर्ण विधि जानना चाहते है कृपया मुझे personally फ़ोन करके ले ले क्योकि मैं भी वचनबद्ध हूँ।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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