Saturday, August 31, 2019

श्मसान और उन की शक्तियाँ.....





श्मसान और उन की शक्तियाँ......


              तंत्र शास्त्र के अनुसार इस संसार में चार महा श्मसान है । और सम्पुर्ण श्मसानको दश भाग में विभाजित किया हुवा है । सफेदा, यमदंड, सुकिया, फुलिया, हल्दिया, कामेदिया, किकदिया, मिचमिचिया, सिलासिलिया और पिलिया ये दश प्रकार के श्मसान है ।

 यह दश नाम उन प्रेतों के है जो उन श्मसान के कोतवाल है । यानी यह वह शक्तियाँ है, जो उन श्मसान की रखवाली करते है । 

               यह शक्तिशाली प्रेत शक्तियाँ है, जो श्मसान साधना के समय में साधक अपने मंत्रो द्वारा अभिमंत्रित करके इन की शक्ति को जागृत करते है ।

 इन्ही प्रेत शक्तियों के बल के द्वारा श्मसान की एकांतिकता में अभिचार कर्म, भुतप्रेत, डाकिनी, शाकिनी, पिशाच और भैरव आदि के मंत्र सिद्ध किये जाते है । 

इसे ही कहि कहि मसान भी कहा जाता है । कहि कहि तांत्रिक एवं साधक मसान जगाते है या मसान साधना कहते है, तो उसका अर्थ यही शक्तिशाली श्मशायिक प्रेत शक्तियाँ से ही है ।

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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राजगुरु जी

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विपरीत प्रत्यंगिरा तन्त्र







विपरीत प्रत्यंगिरा तन्त्र


शत्रु द्वारा बारम्बार तन्त्र क्रियाओं के किये जाने पर शत्रु यदि रुकने की बजाए और गहरे तन्त्र आघात देने लगें, प्राण हरण पर ही उतर आएँ अर्थात मानव संवेदनाओं की सीमा को लाँघ कर घिनौनी हरकतों पर उतर आएँ तो उसकी क्रिया को उस पर वापिस इस तरह से लौटना की शत्रु को आपके दर्द का एहसास हो इसे विपरीत प्रत्यंगिरा कहा जाता है I

 प्रत्यंगिरा और विपरीत प्रत्यंगिरा में ये भेद है की प्रत्यंगिरा शक्ति तो सिर्फ वापिस लौटती है किन्तु विपरीत प्रत्यंगिरा शत्रु को ही वापिस चोट पहुंचाती है और खुद की निश्चित रूप से रक्षा करती है I 

इस प्रयोग के बाद शत्रु आप पर दोबारा यह प्रयोग कभी नहीं कर सकता I उसकी वह शक्ति खत्म हो जाती है I

मन्त्र : 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं प्रत्यंगिरे मां रक्ष रक्ष मम शत्रून् भंजय भंजय फें हुं फट् स्वाहा I

विनियोग :

 अस्य श्री विपरीत प्रत्यंगिरा मंत्रस्य भैरव ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, श्री विपरीत प्रत्यंगिरा देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग: I
                                   

|| माला मन्त्र II

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ कुं कुं कुं मां सां खां पां लां क्षां ॐ ह्रीं ह्रीं ॐ ॐ ह्रीं बां धां मां सां रक्षां कुरु I ॐ ह्रीं ह्रीं ॐ स: हुं ॐ क्षौं वां लां धां मां सा रक्षां कुरु I ॐ ॐ हुं प्लुं रक्षा कुरु I

 ॐ नमो विपरीतप्रत्यंगिरायै विद्याराज्ञी त्रैलोक्य वंशकरि तुष्टिपुष्टिकरि सर्वपीड़ापहारिणि सर्वापन्नाशिनि सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिनि मोदिनि सर्वशस्त्राणां भेदिनि क्षोभिणि तथा I 

परमंत्र तंत्र यंत्र विषचूर्ण सर्वप्रयोगादीन् अन्येषां निवर्तयित्वा यत्कृतं तन्मेSस्तु कपालिनि सर्वहिंसा मा कारयति अनुमोदयति मनसा वाचा कर्मणा ये देवासुर राक्षसास्तिर्यग्योनि सर्वहिंसका विरुपकं कुर्वन्ति मम मंत्र तंत्र यन्त्र विषचूर्ण सर्वप्रयोगादीनात्म 

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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Friday, August 30, 2019

चौसठ योगिनी और उनका जीवन में योगदान




चौसठ योगिनी और उनका जीवन में योगदान


स्त्री पुरुष की सहभागिनी है,पुरुष का जन्म
 सकारात्मकता के लिये और स्त्री का जन्म नकारात्मकता को प्रकट करने के लिये किया जाता है।

 स्त्री का रूप धरती के समान है और पुरुष का रूप उस धरती पर फ़सल पैदा करने वाले किसान के समान है। स्त्रियों की शक्ति को विश्लेषण करने के लिये चौसठ योगिनी की प्रकृति को समझना जरूरी है। 

पुरुष के बिना स्त्री अधूरी है और स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है। योगिनी की पूजा का कारण शक्ति की समस्त भावनाओं को मानसिक धारणा में समाहित करना और उनका विभिन्न अवसरों पर प्रकट करना और प्रयोग करना माना जाता है,

बिना शक्ति को समझे और बिना शक्ति की उपासना किये यानी उसके प्रयोग को करने के बाद मिलने वाले फ़लों को बिना समझे शक्ति को केवल एक ही शक्ति समझना निराट दुर्बुद्धि ही मानी जायेगी,और यह काम उसी प्रकार से समझा जायेगा,जैसे एक ही विद्या का सभी कारणों में प्रयोग करना।

 प्रकार से जन्म देना.
मलित की मालती
मन्त्रयोगी की मन्त्रयोगिनी
अस्थि की अस्थिरूपिणी
चक्र की चक्रिणी
ग्राह की ग्राहिणी
भुवनेश्वर की भुवनेश्वरी
कण्टक की कण्टिकिनी
कारक की कारकी
शुभ्र की शुभ्रणी
कर्म की क्रिया
दूत की दूती
कराल की कराली
शंख की शंखिनी
पद्म की पद्मिनी
क्षीर की क्षीरिणी
असन्ध असिन्धनी
प्रहर की प्रहारिणी
लक्ष की लक्ष्मी
काम की कामिनी
लोल की लोलिनी
काक की काकद्रिष्टि
अधोमुख की अधोमुखी
धूर्जट की धूर्जटी
मलिन की मालिनी
घोर की घोरिणी
कपाल की कपाली
विष की विषभोजिनी

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।



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राजगुरु जी

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Thursday, August 29, 2019

अघोर लक्षमी साधना







अघोर लक्षमी साधना


अघोर लक्षमी साधना ।।। 108 लक्षमी को आबद्ध करने की कला ।।। आप जो भी अघोर लक्षमी दीक्षा ले चुके माँ की कृपा हेतु कीजिये।।।

धर्म अर्थ काम और मोक्ष जीवन के चार मुख्य स्तंभ है. इन सभी पक्षों मे व्यक्ति पूर्णता प्राप्त करे यही उद्देश्य साधना जगत का भी है.

 इसी लिए व्यक्ति के गृहस्थ और आध्यात्मिक दोनों पक्ष के सबंध मे साधनाओ का अस्तित्व बराबर रहा है. हमारे ऋषि मुनि जहा एक और आध्याम मे पूर्णता प्राप्त थे वही भौतिक पक्ष मे भी वह पूर्ण रूप से सक्षम थे. 

साधना के सभी मार्गो मे इन मुख्य स्तंभों के अनुरूप साधनाऐ विद्यमान है ही. इस प्रकार अघोर साधनाओ मे भी गृहस्थ समस्याओ सबंधित निराकरण को प्राप्त करने के लिए कई साधना विद्यमान है. 

इन साधनाओ का प्रभाव अत्यधिक तीक्ष्ण होता है, तथा व्यक्ति को अल्प काल मे ही साधना का परिणाम तीव्र ही मिल जाता है. धन का निरंतर प्रवाह आज के युग मे ज़रुरी है. 

साधक के लिए यह एक नितांत सत्य है की सभी पक्षों मे पूर्णता प्राप्त करनी चाहिए. जब तक व्यक्ति भोग को नहीं जानेगा तब तक वह मोक्ष को भी केसे जान पाएगा. 

इस मुख्य चिंतन के साथ हर एक प्रकार की साधना का अपना ही एक अलग स्थान है. व्यक्ति चाहे कितना भी परिश्रम करे लेकिन भाग्य साथ ना दे तो सफलता मिलना सहज नहीं है. 

ऐसे समय पर व्यक्ति को साधनाओ का सहारा लेना चाहिए तथा अपने कार्यों की सिद्धि के लिए देवत्व का सहारा लेना चाहिए. पूर्णता प्राप्त करना हमारा हक़ है और साधनाओ के माध्यम से यह संभव है. 

किसी भी कार्य के लिए व्यक्ति को आज के युग मे पग पग पर धन की आवश्यकता होती है. हर व्यक्ति का सपना होता हे की वह श्रीसम्प्पन हो. 

लक्ष्मी से सबंधित कई प्रयोग अघोर मार्ग मे निहित है लेकिन जब बात तीव्र धन प्राप्ति की हो तो अघोर मार्ग की साधनाए लाजवाब है. अघोरियो के प्रयोग अत्यधिक त्वरित गति से कार्य करते है तथा इच्छापूर्ति करते है.

 आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति करने के लिए जो विधान है उसके माध्यम से व्यक्ति को किसी न किसी रूप मे धन की प्राप्ति होती है तथा त्वरित गति से होती है. 

इस महत्वपूर्ण और गुप्त विधान को साधक सम्प्पन करे तब चाहे कितने भी भाग्य रूठे हुए हो या फिर परिश्रम सार्थक नहीं हो रहे हो, व्यक्ति को निश्चित रूप से धन की प्राप्ति होती ही है.

साधक अष्टमी या अमावस्या की रात्रि को स्मशान मे जाए तथा तेल का दीपक लगाये. अपने सामने लाल वस्त्र बिछा कर ५ सफ़ेद हकीक पत्थर रखे तथा उस पर कुंकुम की बिंदी लगाये. 

साधक के वस्त्र लाल रहे. तथा दिशा उत्तर या पूर्व. उसके बाद साधक सफ़ेद हकीक माला से निम्न मंत्र की २१ माला जाप करे.

ॐ शीघ्र सर्व लक्ष्मी वश्यमे अघोरेश्वराय फट

साधक को यह क्रम ५ दिन तक करना चाहिए. ५ वे दिन उन हकिक पथ्थरो को उसी लाल कपडे मे पोटली बना कर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान मे रख दे.

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सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

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Wednesday, August 28, 2019

भारत का उत्थान तुम कर सकते हो - 







भारत का उत्थान तुम कर सकते हो - 





 आज से हजारों वर्ष पहले सिंधु नदी के किनारे पहली बार आर्यों ने आंख खोली, हमारी पूर्वजों ने पहली बार अनुभव किया कि ज्ञान भी कुछ चीज़ होती है, पहली बार उन्होने एहसास किया कि जीवन मे कुछ उद्देश्य भी होता है, कुछ लक्ष्य भी होता है, तब उन्होने सबसे पहले गुरू मंत्र रचा, गुरू की ऋचाओँ को आवाहन किया।


 और भी देवताओं का कर सकते थे, भगवान रुद्र का कर सकते थे, विष्णु का कर सकते थे, उन ऋंषियों के सामने ब्रह्मा थे, इंद्र थे, वरुण थे, यम थे, कुबेर थे, सैकड़ों थे। मगर सबसे पहले जिस मंत्र कि रचना कि या संसार मे सबसे पहले जिस मंत्र कि रचना हुई, वह गुरू मंत्र था।


 गुरू शरीर नही होता, अगर आप मेरे शरीर को गुरू मानते है तो गलत है आप, यदि मुझ में ज्ञान ही नही है तो फिर मैं आपका गुरू हूं ही नही।


 यदि आप एक-एक पैसा खर्च करते है तो मेरे ह्रदय मे भी उस एक-एक पैसे कि वैल्यू है। मै उतने ही ढंग से आपको वह चीज़ देना चाहता हूं और आप उतनी ही पूर्णता के साथ उसे प्राप्त करें तब मेरा कोई अर्थ है। अन्यथा ऐसा लगता है कि आप मुझे दे रहे हैं और मैं भी फोर्मलिटी निभा रहा हूं ऐसा मै नही करना चाहता। फोर्मलिटी बहुत हो चुकी। 



फूलों के हार बहुत पहन चूका, आपकी जय जयकार बहुत सुन चूका, टाँगे, बग्गी गाडी मे बहुत चढ़ चूका, हवाई जहाज मे यात्रा कर चूका, विदेश मे यात्रा कर चूका, यह सब बहुत हो चूका। बेटे, पोते, पोतियां, गृहस्थ और संन्यास जीवन सब देख चूका।


 संन्यास क्या होता है वह भी उच्च कोटी के साथ देख चूका। अब बस एक बात रह गई है कि जितने शिष्य है उन सबको अपने आप में सुर्य बनायें अद्वितीय बनायें। अब केवल इतनी इच्छा रह गई है। और कुछ इच्छा ही नही रह गई है। 



 सम्राट होते होंगे, मैंने देखा नही सम्राट कैसे होते है, मगर सम्राटों के सिर भी गुरू के चरणों मे झुकते है, उनके मुकुट भी गुरू के चरणों मे पड़ते हैं यदि वह सही अर्थों मे गुरू है, ज्ञान, चेतना युक्त है। 


 हम अपने आप मे इस शरीर को उतना उत्थानयुक्त बना दें, उतना चेतनायुक्त बना दें, उस मूल उत्स को जान लें कि हम क्या है? और जब हमारा अपना पिछला जीवन देखना शुरू कर देंगे तो आपको इतने रहस्य स्पष्ट होंगे कि आपको आर्श्चय होगा कि क्यों मेरे जीवन मैं ऐसा था, क्यां मैं इतनी ऊंची साधनाएं कर चूका था, फिर मैं इतना कैसे गिर गया? 



क्या हो गया मेरे साथ? यह कैसा अटैचमेंट था गुरू के साथ? इतना अटैचमेंट था कि मैं गुरू के बिना एक मिनट भी नही रह सकता था, अब मैं दो-दो महिने कैसे निकाल देता हूँ। 



 जब आपको पिछला जीवन देखने कि क्रिया प्रारंभ होने लगेगी, तब आप एक क्षण भी अलग नही रह पाएंगे, तब एहेसास होगा कि हम बहुत बड़ा अवसर खो रहे है, बहुत बडे समय से वंचित हो रहे हैं, क्षण एक-एक करके बीतते जा रहे है और जो क्षण बीतते जा रहे हैं वें क्षण लॉट कर नहीं आ सकते। 


जो समय बित गया, बित गया। बित गया तो समय निकल गया, इस शरीर में भी एक सलवट और बढ गई, कल एक और सलवट बढ जाएगी। अगर सर्प ऐसा कर सकता है, कायाकल्प कर सकता है, अपनी पुरी केंचुली को, झुर्रीदार त्वचा को, अपने बुढ़ापे को निकाल कर एक तरफ रख देता है, पुरा नवीन ताजगी युक्त वापस शारीर उसका बन सकता है तो हमारा क्यों नही बन सकता ?



 इसलिये नही बन सकता क्योंकि केवल उस वासुकी के पास यह ज्ञान रह गया है और हमने उसे समझा नही, हमने बस उसको विषैला समझ लिया, जहरीला समझ लिया। आपने उसके ज्ञान को नही समझा। आपने मुझे फूलों के हार पहना दिए, जय जय कार कर दिया मगर आप मेरा ज्ञान नही समझ पाये। जब ज्ञान नही ग्रहण कर पाएंगे तो फिर एक बहुत बड़ा अभाव आपके जीवन मे भी रहेगा। 



 मेरे जीवन मे भी रहेगा कि यह ज्ञान, यह चेतना आप प्राप्त नहीं कर पाए। यह ज्ञान, यह चेतना यां तो पुस्तकों मे मिल पाएगी या प्रामाणिक होगी। और मैं ऐसा कोई ग्रंथ लिखना चाहता भी नहीं कि मेरे मरने के पांच सौ साल बाद भी कोई कहे कि इसमे गलती है। 


 पांच सौ साल बाद भी लोग कहे कि यह तो बिलकुल नवीन और प्रामाणिक है एक चेतना युक्त है। वैसा ग्रंथ मैं आपको बनाना चाहता हूँ। आप आपने आप को कायर या बुजदिल समझते हैं, आप आपने बारे में समझते हैं कि आप कुछ कर नही सकते। मैं प्रवचन बोल कर भी जाऊंगा तो मुझे मालूम है कि आप सब कुछ सुनने के बाद भी वही खडे रह जायेंगे कि मैं क्या कर सकता हूँ, इस उम्र मे होगा भी क्या, अब करने से लाभ भी क्या,




 अब मैं तो बुढा हो गया मेरा तो शरीर कमजोर है, अब मैं कुछ नहीं कर सकता। यह आपके जीवन कि हीन भावना बोल रही है आप नहीं बोल रहे हैं। आपके ऊपर समाज ने जो प्रहार किए, वे बोल रहे हैं, आप नहीं बोल रहे हैं। आपके जीवन में जो दुःख है उन दुखों ने आपको इतना बोझिल बना दिया है वह बोल रहे हैं।


 वृध्दावस्था आ ही नहीं सकती, संभव नही हैं। बुढ़ापा तो एक शब्द है, नाम है। हमने एक नाम लिया कि बुढ़ापा है। बुढ़ापा शब्द क्या चीज है?


 चेतावनी -


 सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ । 


 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।


 विशेष - 


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हेरम्ब गणपति साधना








हेरम्ब गणपति साधना 







 रोग, चिंता, सर्वदुःख निवारण के लिए रोग, चिंता, मानसिक तनाव आदि मानव जीवन का अभिशाप है, जो अच्छे-भले चल रहे जीवन में विष घोल देता है। 





 रोग छोटा या बड़ा कोई भी हो, यदि उसका समय पर निवारण न किया जाए, तो मनुष्य की समस्त कार्यशक्ति क्षीण हो जाती है, और वह कुछ भी नहीं कर पाता है, दूसरों की दया दृष्टी पर निर्भर होकर मात्र पंगु बनकर रह जाता है। 




 आज जिस वातावरण में हम सांस ले रहे है, इसमे मनुष्य का रोगी होना स्वाभाविक है। जहां न शुद्ध वायु है, न जल है, और न ही शुद्ध भोजन है, ऐसी स्थिति में रोगी होना कोई आश्चर्यजनक नहीं। इसलिए मधुमेह, ह्रदय रोग, टी. बी. आदि असाध्य रोग तीव्रता से हो रहे है।



 हेरम्ब गणपति साधना आरोग्य एवं मानसिक शांति प्राप्ति का एक सुंदर उपाय है, इसके प्रभाव से जहां कायाकल्प होता है, वहीं साधक में एक संजीवनी शक्ति का संचार होता है, जिससे उसे कैसा भी भयंकर रोग हो, उस पर नियंत्रण प्राप्त कर वह स्वस्थ, यौवनवान बन जाता है।



 आप प्रातः स्नान आदि नित्य क्रिया के बाद अपने पूजा स्थान में पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। धुप और दीप जला लें। अपने सामने पंचपात्र में जल भी ले लें। 


 इन सभी सामग्रियों को आप चौकी पर रखें जिस पर लाल वस्त्र बिछा हुआ हो। पहले स्नान, तिलक, अक्षत, धुप, दीप, पुष्प आदि से गुरु चित्र का संक्षिप्त पूजन करें। उसके बाद गुरु मंत्र की दो माला जप करें। 



 गणपति पूजन फिर गुरु चित्र के सामने किसी प्लेट पर कुंकुम या केसर से स्वस्तिक चिन्ह बनाकर 'हेरम्ब गणपति यंत्र' को स्थापित करें। दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें - 


 ॐ गनाननं भूत गणाधिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारू भक्षणं । उमासुतं शोकविनाशकरकंनमामि विघ्नेश्वर पंड़्क्जम ॥ 





 फिर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन करें - 


 ॐ गं मंगलमूर्तये नमः समर्पयामी ।



 ॐ गं एकदन्ताय नमः तिलकं समर्पयामी । 

ॐ गं सुमुखाय नमः अक्षतान समर्पयामी ।

 ॐ गं लम्बोदराय नमः धूपं दीपं अघ्रापयामी , दर्शयामि । 

ॐ गं विघ्ननाशाय नमः पुष्पं समर्पयामी । 


 इसके बाद अक्षत और कुंकुम से निम्न मंत्र बोलते हुए यंत्र पर चढाएं - 



 ॐ लं नमस्ते नमः । ॐ त्वमेव तत्वमसि । ॐ त्वमेव केवलं कर्त्तासि । ॐ त्वमेवं केवलं भार्तासि । ॐ त्वमेवं केवलं हर्तासी ।





 फिर 'हेरम्ब माला' से निम्न मंत्र की ५ माला ११ दिन तक जप करे 



- ॐ क्लीं ह्रीं रोगनाशाय हेरम्बाय फट






 चेतावनी - 


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Tuesday, August 27, 2019

राशि रत्न वशीकरण साधना




राशि रत्न वशीकरण साधना नोट :- 






 ( यह साधना जग वशीकरण जैसी ही है इस साधना को सिद्ध करणे से आपके रूके काम आप किसी भी व्यक्ति से करवा सकते है आप अपने कारोबार मे, या अन्य जगाह पर इस साधना का उपयोग कर सकते है )





 साधना सामग्री :- 



 साधक अपनी राशि का नग खरीद कर सिद्ध करे वशीकरण ,वशीकरण माला, गुलाब का इत्र, सिद्ध मोहन जाल किसी भी दुकान मे आसानी से मिलेगा इसे भी सिद्ध करे विधी :- 




 इस साधना को बुधवार से प्रारंभ करना चाहिए यह साधना तिन दिन की है सर्व प्रथम साधक सरस्वती माता का पुजन करे फिर साधना आरंभ करे अपने राशि के नग को इत्र लगाकर सामने रखकर वशीकरण माला से मंत्र जप करे तिन माला साधना पुर्ण होने के बाद अंगूठी बनवाकर पहन कर जो चाहे किसी भि व्यक्ति से कार्य करवा ले 




 मंत्र:-



 मोहकम मोहकम कहां से आया यह किसका संदेश लाया किसको रोली किसको चंदन किसको फुल बताशा अंजन काल भैरव 64 जोगिनी काल को मोडु मुख को जोडू जो जो देखे चरनो मे पडे मेरा काम करे नही करे तो **********गुरू कि शक्ति मेरी भक्ती *************का मंत्र सच्चा चले विधी छु .






इस मंत्र मे कुछ शब्द गोपनीय रखे है ताकी कोई अन्य कॉपी ना कर सके आज इंटरनेट पर इतने ब्लॉग है की लोग कॉपी कर के अपने ब्लॉग मे लम्बी लम्बी बाते करते हैं मंत्र प्राप्त करने हेतु आप मुझे सम्पर्क करे और भी बहुत कुछ कहती है 



आपकी जन्मकुंडली आपके जीवन और भविष्य जुड़े हुए कुछ संकेत जिसके बारे में आप जानना चाहते हैं ..




 या कुंडली का विश्लेषण चाहते हैं या हस्तरेखा अंक ज्योतिष वास्तु या अन्य प्रयोग विधि उपाय प्राप्त करना चाहते हैं तो संपर्क करें और खास प्रयोग विधि और कुंडली का विश्लेषण प्राप्त करें .. जन्म कुंडली देखने और समाधान बताने की



 दक्षिणा - 501 मात्र . Pytam 


नम्बर - 9958417249 


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Friday, August 23, 2019

कैसे करते हैं मां बगलामुखी का तांत्रिक प्रयोग, पढ़ें संपूर्ण विधि






कैसे करते हैं मां बगलामुखी का तांत्रिक प्रयोग, पढ़ें संपूर्ण विधि






मां बगुलामुखी दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर होगी। इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। 


सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्ट पहुंच सकता है। इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है।


गृहस्थ भाइयों के लिए माता की आराधना का सरल उपाय प्रस्तुत है। आप इसे करके शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी देवी-देवता का अनुष्ठान (साधना) आरम्भ करने बैठे तो सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नए ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं।


 याद रहे अगर आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या
मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। माता बगलामुखी की आराधना के लिए जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान

 रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए। इसके पश्चात गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) 

यह मंत्र पढें-

अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:।

 उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-

ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:,ॐ माधवाय नम:। अन्त में ॐ हृषीकेशाय नम: 


कहके हाथ धो लेना चाहिए।


इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें।
चोटी बांधे और तिलक लगाएं। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें। याद रहे ध्यान अथवा मंत्र संबंधित देवी-देवता का संपर्क नंबर है।


जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंचती है।। इसलिए मंत्र शुद्ध पढ़ना चाहिए। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा।


 इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें। अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-

ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग:


 (जल नीचे गिरा दें)। अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए।


ध्यान-




मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,

सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,

पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं

देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम

जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,

वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,

गदाभिघातेन च दक्षिणेन,

पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें।


मंत्र है : 

ॐ ह्रीं बगलामुखी! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।


इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं।

आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-1. ब्रह्मचर्य, 2. शुद्ध और स्वच्छ आसन 3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 5.पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना।


तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है।


गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है।


अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए।

मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं।


गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं।


मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं।



चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                    

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Thursday, August 22, 2019

नजर आदि दूर करने हेतु - हनुमान प्रयोग






नजर आदि दूर करने हेतु - हनुमान प्रयोग


यंहा मैं ऐसे मंत्र का प्रयोग बताने जा रहा हूॅ, जो किसी भी व्यक्ति पर
किये गये पर-प्रयोग, बाधा, बुरी नजर आदि को हटाने में पूर्ण सक्षम है।

 मेरा
अनुभव है कि यदि किसी व्यक्ति की बुरी नजर किसी भी व्यक्ति के रोजगार
पर, उसकी सम्पत्ति पर, अथवा उसके सुख पर लग जाए तो अच्छा-खासा
परिवार तबाह हो जाता है। प्रभावित व्यक्ति कर्ज, बीमारी, मुकदमों आदि में घिर
जाता है, उसका सुख सम्पूर्णतः दुख में बदल जाता है।

यदि आप ऐसे ही प्रयोगों, बुरी नजर आदि से स्वयं को प्रभावित महसूस
करते हैं तो इस निम्नांकित मंत्र का प्रयोग कीजिए और परिणाम मुझे बताईए।

मेरा पूर्ण विष्वास है कि आपको निष्चित रूप से इन समस्त व्याधियों से मुक्ति
प्राप्त हो जाएगी। लेकिन इस मंत्र को गुरू से प्राप्त करना आवष्यक है, अन्यथा
परिणाम संदेहात्मक ही रहेगा।

मंत्रः-  

ओम ह्रीं ब्रीम बिकट , वीर हनुमंत वीर मन्त्र  को मारो ! उलट दो  पाताल , काल जाल संघारो ! जो धन जहा से आये वाही को जाए !टोनहिन का टोना ओझा का दंड ,द्रोही शत्रु को मारो ! ना मारो तो माता अंजनी के बत्तीस धार का दूध हराम करो ! सीता के सर चोट पड़े हुम फट स्वाहा !

साथ में हनुमान जी के १२ नामो का भी जाप करे ! मंदिर में भोग में रोठ लगाये ! घी से यथा सभव हवन करे 

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

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राजगुरु जी

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भैरवनाथ को खुश करने के 10 उपाय





भैरवनाथ को खुश करने के 10 उपाय


यूं तो भगवान भैरवनाथ को खुश करना बेहद आसान है लेकिन अगर वे रूठ जाएं तो मनाना बेहद मुश्किल। पेश है काल भैरव अष्टमी पर कुछ खास सरल उपाय जो निश्चित रूप से भैरव महाराज को प्रसन्न करेंगे।

1. रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार)। यही तीन दिन भैरव नाथ के माने गए हैं।

2. उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।

3. शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। मन लगाकर उनकी पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।

4. प्रति गुरुवार कुत्ते को गुड़ खिलाएं।

5. रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें।

6. सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।

7. शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।

8. रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मं‍दिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।

9. पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं।

10. सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

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तांत्रिक बनना है तो ये जरूर पढ़े





तांत्रिक बनना है तो ये  जरूर पढ़े


आज हम आपको  तंत्र मंत्र से जुड़े कुछ मंत्र बताने जा रहे है जिस का उपयोग कर आप बन सकते है एक बहुत बड़े तांत्रिक लेकिन ध्यान रहे इस मंत्र का उपयोग कभी गलत मत करना वरना हो सकता है भरी नुकशान , चलो चलते है पूरी खबर की और बताते है क्या है मामला आजकल काला जादू मान कर लोग इससे डरते हैं।

लेकिन शास्त्रों में तंत्र को विज्ञान मान कर इसका पूरा एक विधि-विधान बताया गया है जिसके आधार पर प्राकृतिक शक्तियां कार्य करती हैं। तंत्र के जानकारों के अनुसार इस विद्या का उदगम प्राचीन पुस्तकों में दिया गया है। आज हम आपको तंत्र से जुड़ी कुछ ऐसे ही तथ्य बताने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे। तो खबर थोड़ा ध्यान से पढ़े

आप को बता दे की तंत्र का ज्ञान सबसे पहले शिव भगवान ने दिया। और उन्होंने ही विश्व कल्याण हेतु तंत्र, मंत्र तथा यंत्रों की रचना की थी। और तो और आगे चल कर तंत्र को तीन भागों आगम, यामल तथा तंत्र में बांट दिया गया।फिर कालान्तर में तंत्र में वाममार्ग, दक्षिण मार्ग तथा मध्यम मार्ग भी प्रचलित हो गए।

ये बात जरूर जान ले की तंत्र साधना में मोहनं, स्तंभनं,विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण तथा मारण नामक छह षटकर्म बताए गए हैं। इन षटकर्मों का उपयोग कभी भी किसी के अहित के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इस षटकर्मों के अलावा योग विद्या, रसायन शास्त्र को भी तंत्र विज्ञान का ही एक भाग माना गया है।

आप को बता दे की  मन की एकाग्रता के साथ-साथ लयात्मक मंत्रों का उपयोग होता है। साधक अपने इष्टदेव से जुड़े मंत्रों के जाप तथा मन की एकाग्रता से तंत्र द्वारा मनचाहे कार्य करवाने की क्षमता विकसित कर लेता है।

वैसे तो बहुत से लोग तंत्र का प्रयोग सिद्धियां प्राप्त कर शक्तिशाली बनने के लिए करते हैं। पर आजकल इसके लिए कई लोग यक्ष साधना, भूत-प्रेत वश में करना, जिन्न वश में करना जैसे प्रयोग भी करते हैं जो गलत है।बता दे की बिना उचित मार्गदर्शन के तंत्र प्रयोग करने वाले लोग या तो मानसिक विभ्रम के चलते अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं या फिर निराश हो जाते हैं।

निश्चय ही अगर साधना पूर्ण मनोभाव और समर्पण के साथ कि जाये तो साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते है.और जीवन को एक नविन दिशा मिलती ही है.तो अब देर कैसी आज ही संकल्प ले और साधना के लिए आगे बड़े.

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...