चौसठ योगिनी और उनका जीवन में योगदान
स्त्री पुरुष की सहभागिनी है,पुरुष का जन्म
सकारात्मकता के लिये और स्त्री का जन्म नकारात्मकता को प्रकट करने के लिये किया जाता है।
स्त्री का रूप धरती के समान है और पुरुष का रूप उस धरती पर फ़सल पैदा करने वाले किसान के समान है। स्त्रियों की शक्ति को विश्लेषण करने के लिये चौसठ योगिनी की प्रकृति को समझना जरूरी है।
पुरुष के बिना स्त्री अधूरी है और स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है। योगिनी की पूजा का कारण शक्ति की समस्त भावनाओं को मानसिक धारणा में समाहित करना और उनका विभिन्न अवसरों पर प्रकट करना और प्रयोग करना माना जाता है,
बिना शक्ति को समझे और बिना शक्ति की उपासना किये यानी उसके प्रयोग को करने के बाद मिलने वाले फ़लों को बिना समझे शक्ति को केवल एक ही शक्ति समझना निराट दुर्बुद्धि ही मानी जायेगी,और यह काम उसी प्रकार से समझा जायेगा,जैसे एक ही विद्या का सभी कारणों में प्रयोग करना।
प्रकार से जन्म देना.
मलित की मालती
मन्त्रयोगी की मन्त्रयोगिनी
अस्थि की अस्थिरूपिणी
चक्र की चक्रिणी
ग्राह की ग्राहिणी
भुवनेश्वर की भुवनेश्वरी
कण्टक की कण्टिकिनी
कारक की कारकी
शुभ्र की शुभ्रणी
कर्म की क्रिया
दूत की दूती
कराल की कराली
शंख की शंखिनी
पद्म की पद्मिनी
क्षीर की क्षीरिणी
असन्ध असिन्धनी
प्रहर की प्रहारिणी
लक्ष की लक्ष्मी
काम की कामिनी
लोल की लोलिनी
काक की काकद्रिष्टि
अधोमुख की अधोमुखी
धूर्जट की धूर्जटी
मलिन की मालिनी
घोर की घोरिणी
कपाल की कपाली
विष की विषभोजिनी
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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राजगुरु जी
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महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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