क्या हैं तांत्रिक संभोग
ये एक ऐसी संभोग प्रैक्टिस से है जो पुराने समय से चली आ रही हैं। तांत्रिक संभोग का ज़िक्र प्राचीन लेखों में भी किया गया है।
संभोग की यह विधि भारत में करीब 6000 साल पहले संज्ञान में आई। प्राचीन हिन्दु और बुद्ध ध्यानयोगियो द्वारा सिखाया जाने वाला यह सेक्स मूलत: आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता था।
तांत्रिक संभोग एक प्राचीन हिंदू अभ्यास है जो कई सालों से चलता आ रहा हैं। यह यौन क्रिया का एक धीमा स्वरूप है जो अंतरंगता बढ़ाने के साथ ही साथ एक पॉवरफुल ऑर्गेज्म तक पहुंचाता हैं।
पश्चिमी देशों में 18वीं शताब्दी के अंत में परसिया के प्रांत क्वाजविन में इसका अभ्यास किया जाने लगा था। हालांकि 1960 के दशक में इसका ज्यादा प्रसार हुआ। एशिया मे यह आध्यात्मिक महत्व के लिए काम में लिया जाता था वहीं, पश्चिमी देशों में यह संभोग आसानों के लिए मशहूर हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य ईश्वर की अनुभूति है।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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