Sunday, January 24, 2021

अगर बिजनेस में हो रहा है नुकसान तो राशि के अनुसार जरूर करें ये छोटा सा उपाय, अगले ही दिन से दिखेगा प्रत्यक्ष असर


 



अगर बिजनेस में हो रहा है नुकसान तो राशि के अनुसार जरूर करें ये छोटा सा उपाय, अगले ही दिन से दिखेगा प्रत्यक्ष असर 


तेजी से बढ़ती तकनीकि ने नौकरी और बिजनेस दोनों में ही कॉम्पीटिशन लाकर खड़ा कर दिया है। कई बार देखा जाता है कि लोगों का बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा होता है लेकिन एकदम से पता नहीं क्या हो जाता है कि सब कुछ तहस-नहस हो जाता है।


 कई बार जलन कि भावना से लोग दूसरे के बिजनेस को बंद कराने के लिए कई ऐसे टोटके करते है जो सफल हो जाते है और आपको परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


अगर आपका बिजनेस भी ठीक नहीं चल रहा है और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। 


शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित ओम दीक्षित आपको राशि के अनुसार कुछ आसान से उपाय बताने जा रहे हे जिसकी मदद से आप अपने बिजनेस को फिर से एक नई राह दे सकते हो, हो रही बिजनेस में हानि से बहुत जल्द ही उभर सकते है।


मेष- बारह गोमती चक्र लेकर उसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर दुकान या अपने ऑफिस के बाहर मुख्य दरवाजे पर लटका दें। दुकान ठीक से चलने लगेगी।


वृषभ- अगर किसी ने आपके व्यवसाय में टोटका कर दिया है तो उसे दूर करने के लिए रविवार के दिन दोपहर में पांच नींबू काटकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में रख दें। इसके साथ एक मुट्ठी काली मिर्च और एक मुट्ठी पीली सरसों रख दें। सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।


मिथुन- इस राशि के लोग अपने व्यापार को सही करने के लिए कांसे के छोटे से बर्तन में कपड़ा बांधकर दुकान की पूर्व दिशा की ओर रख दें।


कर्क- एक एकाक्षी नारियल लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूजा स्थान पर रखें। नियमित इस नारियल को धूप-दीप दिखाएं इससे व्यापार में उन्नति होती है।


सिंह- इस राशि के लोग चांदी के बर्तन में सेंधा नमक का एक छाटा सा टुकड़ा लेकर पूजा स्थान की पूर्व दिशा में रखें।


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कन्या- इस राशि के लोग कपूर के पांच टुकड़ों को एक कटोरी में रखकर दुकान की पूर्व दिशा की ओर रखें।


तुला- इस राशि के लोग अपने ऑफिस में सफेद रंग की किसी भी भगवान की मूर्ति को पूर्व दिशा में रख दें।


वृश्चिक- इस राशि वालों को शहद की शीशी लाल कपड़े में लपेट कर घर या दुकान के दक्षिणी कोने में रखनी चाहिए।


धनु- इस राशि के लोग पीले कपड़े में कोई भी धार्मिक पुस्तक लपेट कर घर, दुकान या फैक्टरी के पूर्वी कोने में रखें।


मकर- इस राशि के लोग नारियल तेल में काले तिल एवं नारियल पर काला धागा बांध कर दोनों चीजें घर या दुकान के पूर्वी कोने में रखें।


कुंभ- नारियल के दो सूखे गोलों में अनाज भरकर एक का दान कर दें और दूसरा घर या दुकान में रखें।


मीन- इस राशि के लोग चांदी के सिक्के को लाल कपड़े में लपेटकर व्यापारिक स्थान की दक्षिण दिशा में टांग दे।


और भी अनेक प्रकार के समस्याओं में फंसे हुए हैं तो संपर्क करें और खास विधि प्रयोग करके जीवन में होने वाले हर प्रकार के समस्याओं का समाधान प्राप्त करें ...


 

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Friday, January 22, 2021

जानें कैसे होता है सियार सिंगी से व्यापार और नौकरी में लाभ या प्रमोशन…


 




जानें कैसे होता है सियार सिंगी से व्यापार और नौकरी में लाभ या प्रमोशन…


 सियार सिंगी (Siyar Singhi) बहुत ही चमत्कारी वस्तु होती है इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा (Positive Energy) का अनुभव होता है, सियार सिंगी बालों के एक गुच्छे कि तरह होती है, असल में सियार के सींग नहीं होते परन्तु कुछ सियारों के नाक के ऊपर बालो का एक गुच्छा बन जाता है। 


धीरे-धीरे वह कड़ा और बड़ा हो जाता है और सींग जैसा बन जाता है इसे सियार सिगी कहते है और यह हजारों में से किसी एक के नाक पर होता है, इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है। 


यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति हजारों गुना बढ़ जाती है। इसके द्वारा आप किसी से भी अपना मनोवांछित काम करवा सकते है।


इसे सिद्ध करने की अनेकों विधियां है पर यदि इसे होली या दीपावली के दिन निम्न विधि से सिद्ध किया जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नजर आता है।


 आपके सबके लिए एक आसान और प्रमाणिक विधि जो बहुत प्रयासों के बाद मिल सकी है उसका उल्लेख हम यहां कर रहे है, और उम्मीद करते है कि यह आप लोगों के लिए उपयोगी होगी, यह विधि दीपावली से पहले धन तेरस बाले दिन शुरू की जाती है मतलब दीपावली तक रोज होना चाहिए।


सियार सिंगी को सिद्ध करने का अचूक मंत्र


ॐ चामुण्डाये नमः


सियार सिंगी को सिद्ध करने की विधि


दीपावली से पहले धन तेरस को एक सियार सिंगी का एक जोड़ा लें। उसे लाल कपडे पर स्थापित करे। लाल आसन बिछा कर लाल वस्त्र धारण कर बैठ जाएं। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 


सियार सिंगी पर गंगा जल छिड़कें। चावल चढ़ाएं और पांच लौंग साबुत और पांच चोटी इलायची चढ़ाये। उपरोक्त मंत्र 2100 बार जप करे। जप समाप्ति के बाद अग्नि में 21 आहुति गुग्गल की दे। ऐसा रोज दीपावली तक करें। दीपावली वाली रात पूजा के बाद इस नीचे लिखे मंत्र का सियार सिंगी के सामने 1100 बार जाप करें।


सियार सिंगी सिद्ध मंत्र


ॐ नमो भगवते रुद्राणी चमुन्डानी घोराणी सर्व पुरुष क्षोभणी सर्व शत्रु विद्रावणी। ॐ आं क्रौम ह्रीं जों ह्रीं मोहय मोहय क्षोभय क्षोभय, मम वशी कुरुं वशी कुरुं क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं स्वाहा।


इस मंत्र को जपने के बाद सियार सिंगी को किसी चांदी या ताम्बे की डिब्बी में मीठा सिन्दूर डाल कर उसमें पांच लौंग पांच इलायची और एक कपूर का छोटा सा टुकड़ा डाल कर रख ले


सियार सिंगी प्रयोग विधि


जब किसी पर प्रयोग करना हो तो इस डिब्बी को खोल कर सियार सिंगी के सामने दोनों मंत्रों का एक एक माला जाप करे और उस व्यक्ति का नाम बोल कर चामुंडा मां से उसे अपने अनुकूल करने की प्रार्थना करे और डब्बी को अपनी जेब में रखकर चले जाएं आपका कार्य सिद्ध हो जायेगा।


सियारसिंगी में असली या नकली की पहचान कैसे करें?


कुछ जानकारी है जिसके आधार पर आप लोग असली और नकली की पहचान कर सकते हैं। परन्तु उसके लिए कुछ समय की जरुरत होती है – पहचान :सियारसिंगी के बाल बढ़ते हैं। सियारसिंगी के छोटे-छोटे सीग होते है जों बढ़ते हैं। सियारसिंगी का आकार भी बढ़ता है और उन का जों हिस्सा जहा बाल नहीं होते सिंदूर के साथ गीला रहता है


कैसे करें सियार सिंगी से वशीकरण


सियार सिंगी का प्रयोग, सियार सिंगी की पहचान/फायदे, सियार सिंगी मंत्र- सियार सिंगी के बारे मे माना गया है इसको अपने घर मे रखने से जातक के घर मे हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। साथ ही ये तंत्र-मंत्र साधना व विधि का एक बड़ा चमत्कारी रूप है।


 सियार सिंगी नाम को सुनकर व्यक्ति कल्पना करता है की ये सियार के सिर पर उगा वो सिंग है, जिसका प्रयोग साधना के लिए किया जाता है, पर दरअसल उनके सिंग नहीं होते, बस नाक के ऊपर बालों का गुच्छा उग आता है, जो वक़्त के साथ बड़ा होने के साथ-साथ कड़ा हो जाता है और यही सियार सिंगी कहलता है। जिसका इस्तेमाल वशीकरण के लिए होता है।


सियार सिंगी वशीकरण मंत्र और सिद्ध करने की विधि


“ॐ ह्रीं गं जूं सः (जिसको वश में करना हो उसका नाम ले) में वश्य वश्य कुरु स्वाहा”


इस साधना को करने की विधि कुछ इस प्रकार है- शनिवार के दिन इसको प्रारम्भ करके 7 दिनों तक करे और हर दिन 21 माला जाप करना होगा। मंत्र जप के लिए मुंगे की माला का इस्तेमाल करके सूर्यास्त के बाद साधना शुरू करे। ये साधना करते हुए पश्चिम दिशा की तरफ मुह रखे और आपका वस्त्र लाल रंग का होना चाहिए।


 आसान भी उसी प्रकार लाल रंग का रखे। मंत्र सिद्ध होने पर आप जिस व्यक्ति को वश मे करना चाहते है, उसके सामने जाकर बताए मंत्र को 5 बार जप करे। ध्यान रहे की आप सिंगी को अपनी जेब में रखे या लॉकेट में धारण करके पहन सकते है


सियार सिंगी से व्यापार और नौकरी में लाभ या प्रमोशन


सियार सिंगी का प्रयोग लोग कई बार उस हालत मे भी करते है जब उनकी प्रगति नहीं हो रही होती या किसी कारण से व्यापार सही नहीं चल रहा होता। ऐसे मे एक असरदार मंत्र है-


“ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीम ॐ हरीम, पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवे , सर्व जन्य वश्य कुरु कुरु नमः”


इसे आप बुधवार के दिन शुरू करे और सियार सिंगी को किसी एक स्टील की प्लेट में स्थापित करले। ध्यान रखे 21 दिनों तक इसी सियार सिंगी के सामने आपको रोज 108 बार बताए मंत्र का जप करना होगा। मंत्र जप से पहले सियार सिंगी स्थापित करके उसके ऊपर कुमकुम या केसर से तिलक लगाना होगा और चावल व फूल भी आपको अर्पित करने होंगे।


 21 दिन तक जप करके अब आप इसे एक डिब्बी में ध्यान से रख दे। फिर इसे अपनी दूकान मे किसी सुरक्षित जगह रखे और फिर 21 बार उसी मंत्र का जप करे। ऐसा करने के बाद साधक स्वय अपने व्यापार मे होने वाली तरक्की को देख सकता है।


ऐसे करें सिद्ध सियारसिंगी को


गीदड़ एक वन्य प्राणी है जिसे सियार भी कहा जाता है इस प्रजाति के बहुत सी नस्ले होती है और एक नस्ल ऐसी भी होती है जिसके माथे के ऊपर एक बहुत छोटा सा सींघ होता है जो थोड़ा सख्त होता है और उसके ऊपर भूरे और काले रंग के बाल होते हैं ||


 इसको गीदड़ सिंघी कहा जाता है मगर सींग वाला गीदड़ बहुत हे दुर्लभ नस्ल है। गीदड़ सिंघी की ज्योतिष में बहुत ही महत्वता है क्यूंकि इसमें नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने और सकारत्मक ऊर्जाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की शक्ति होती है। गीदड़ सिंघी के उपयोग से इंसान बहुत ही भाग्यशाली बन सकता है और बहुत सारा धन प्राप्त कर सकता है ।


अगर गीदड़ सिंघी को अभिमंत्रित कर लिया जाये तो इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। गीदड़ सिंघी को सिन्दूर की डिब्बी में बंद करके रखा जाता है। नीचे दी हुई विधि को कृपा उसे इस्तेमाल करने से पहले उसे ध्यान से पढ़ लें क्योंकि इस विधि में गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।


गीदड़ सिंघी के उपयोग


(1) धन और सम्पति प्राप्त करने के लिए


(2) भाग्यशाली बनने के लिए


(3) किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने ले लिए


(4) पति पत्नी के बीच की अनबन ख़त्म करने के लिए


(5) व्यवसाय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए


(6) मनचाहा प्यार पाने के लिए


(7) किसी को भी अपने तरफ आकर्षित करने के लिए


(8) क़र्ज़ मुक्त होने के लिए


(9) कोर्ट केस में जीत हासिल करने के लिए


कैसे करते है गीदड़ सिंघी का प्रयोग??


गीदड़ सिंघी को उपयोग में लाने से पहले उसको अभिमंत्रित किया जाता है जिससे उसकी शक्ति कई गुना हो जाती है फिर आप उसके इस्तेमाल से अपने मन की कोई भी इच्छा पूरी कर सकते है।


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


 


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Wednesday, January 20, 2021

तूफानों से टक्कर लेने वाली बगुलामुखी देवी


 



तूफानों से टक्कर लेने वाली बगुलामुखी देवी 


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संसार में कोई साधना प्रयोग सफल हो न हो मगर बगुलामुखी देवी की साधना आज भी  उतनी ही तीव्र है जितनी कि हजारो वर्ष पूर्व थी समय 

के साथ साथ सभी साधना प्रयोगो में कुछ ना कुछ अंतर अवश्य आता है 


और उनके मंत्रो में सुधार करना पड़ता है मगर कहना ही पड़ता है कि ये 

साधना आज भी उतना ही पैनापन लिए हुए है इसमें रत्तीभर का फर्क न- ही पड़ा है हमारे जीवन में कोई न कोई परेशानी अवश्य ही लगीरहती है 


कोई न कोई शत्रु नया पैदा होता ही रहता है और हम  प्रयास करके  भी 

छुटकारा प्राप्त नहीं कर सकते लिहाजा दिन पर दिन अंदर ही अंदर घुटते 

रहते है कभी किसी तांत्रिक ,मांत्रिक ,ज्योतिषी के चक्कर लगाते रहते है ले -

किन हमें कही सफलता नहीं मिलती आज के वैज्ञानिक युग में  सोचते  है 

कि मन्त्र,तंत्र जैसा कुछ होता नहीं है मगरअपने पडोसी को या अपने नज -दीक पहचान वालो को आगे बढ़ता हुआ देख जलने लगते है और किसी भी प्रकार उनको नुकसान करने कीकोशिश करते है ऐसे में वे किसी टोना टोटका 

करने वाले  व्यक्ति से कुछ ख़राब क्रियाएँ या कहे टोना ,टोटका करा देते है 


यह  टोना, टोटका करना -कराना तो बहुत ही आसान होता है  मगर इस

तरह की क्रियाओ को समाप्त करना काफी कठिन होता है इस सब के चक्कर

में व्यक्ति  उलझता जाता है कि उसका तन, मन , धन तीनो नष्ट होते रहते 

है औरउसको  मानसिक रूप से भी परेशानी रहने लगती है वह बेचारा ऐसे कुचक्र में फस जाता है मगर खुद उसे ही कुछ भी पता नहीं चलता शत्रु भी  हमेशा पीठ पीछे वार पे वार किया करता है और हमें पता ही नहीं चलता ऐसे में हम करे भी तो क्या करे किस पर दोषारोपड करेकुछ समझ  में नहीं आता ऐसे में लोग अक्सर किसी झड़ फूक करने वाले व्यक्ति में पद जाते है  


और वह भी धीरे धीरे धन ऐंठता रहता है क्योकि सच बात यह है कि ऐसी  

क्रियाओ को  करना तो बहुत आसान है मगर पूर्णरूप से निदान कर पाना 

इतना आसान काम नहीं है ऐसे में हमारे पास एक ही रास्ता बचता है कि

 हम ऐसे सिद्धपुरुष को ढूढे जिसे बंगलामुखी  सिद्ध हो मगर ऐसे योगी  

सन्यासीमिलना बहुत कठिन कार्य है मुझे याद है किजब में साधक के रूप में साधना करता था तब गुरु मुख से सुनने को मिला था कि ऐसी साधना सीखने के लिए जीवन के पूरे दस साल लगा दिए मगर कोई भी पूर्णता से जानने वाला कोई सिद्ध पुरुष नहीं नहीं मिला साधना को प्राप्त करने के लिए हिमा- लय ,जंगलो ,पहाड़ो ,नगर -नगर गांवो मतलब  कि कहा -कहा  नहीं  ढूढ़ा  मगर निराशा ही  हाथ लगी तब कही जाकर एक सिद्ध पुरुष से मुलाकात  हुई यह सिद्धपुरुष ,झाँसी के पास दतिया के रहने वाले थे जब गुरू जी ने प्रमाण माँगा तो वे दूर एक खाली स्थान पर ले गए एक खम्बे पर कौआ बैठा था उन सिद्ध नेउस कौआ की औरदेखा कौआ भटाक से नीचे आ गिरा कहने का मतलब ये साधना इतनी तीव्र होती है  कि कोई भी शत्रु आपके  सामने  खड़ा नहीं रह सकता इसी शक्ति के माध्यम से किसी भी प्रकार का तांत्रिक प्रयोग को या टोना टोटके को दूर किया जा सकता है इसके माध्यम से अनेक कार्य किये जा सकते है शेष आगे --------- 


Note:-


अगर आप योग से सम्बंधित किसी भी विषय पर जानना चाहते तो      नीचे लिखे दिए दिये पते पर संपर्क करे | 


साधना प्रायोग से सम्बंधित जानकारी के लिए फ़ोन पर बात करें .


आपको कहीं भी नहीं मिलने वाली अगर आप को कहीं मिल भी जाती है तो उसकी सही  विधि और सही विधान नहीं मिलेगा यह साधना केवल गुरु मुख और गुरुद्वारा ही मिल सकता है 


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।


 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है


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Tuesday, January 19, 2021

अघोरेश्वर प्रत्यक्षीकरण साबर प्रयोग


 




अघोरेश्वर प्रत्यक्षीकरण साबर प्रयोग -------


साबर साधनाओ के अद्बुध करिश्मो के बारे मे तो सब परिचित ही है. अघोर मार्ग का उद्धार करने वाले भगवान श्री दत्तात्रेय और साबर मंत्रो का सबंध अपने आप मे अटूट है. श्री दत्तभगवान की प्रेरणा तथा आशीर्वचन से नाथ योगियो द्वारा साबर मंत्रो का प्रचार प्रसार हुआ था.


 इस प्रकार अघोर साधनाओ मे भी साबर मंत्रो का प्रयोग प्रचुरमात्रा मे होने लगा था. अघोरी के लिए भगवान अघोरेश्वर मुख्य देव है, जिनके मुख से समस्त तन्त्रो का सार निकलता रहता है. जो शिवतत्व को अपने अंदर स्थापित कर सदा शिव आनंद से युक्त हो कर अपने आप मे ही लिन रहता है वही अघोरी है. 


सिद्ध अघोरी की यही पहचान है जो अघोरेश्वर की तरह ही निर्लिप्त रहता है समस्त विकारों भेदभाव तथा पाशो के बंदन से छूट गया है. ज़रुरी नहीं की वह स्मशान भष्म से युक्त हो, नग्न रहे या घृणा पर विजय होने का प्रदर्शन करे. जो इन सब से ऊपर उठ चूका हो, जिसके लिए ये भेद ही न हो, वही तो है अघोरी. 


किसी समय मे इनका घर मे आना, स्वयं शिव के आने जितना सौभाग्यदायक माना जाता था लेकिन कुछ स्वार्थपरस्तो ने तो कुछ हमारी अवलेहना भ्रम और कुतर्क ने इस मार्ग का ग्रास कर उसे भय का रूप दे दिया. खेर, अघोरी के लिए यह ज़रुरी है की वह अघोरेश्वर के चिंतन मे लिन रहे. 


भगवान अघोरेश्वर स्मशान मे बिराजमान है, सर्पो से लिप्त वह स्मशान भस्म को धारण किये हुए है. जिनके चेहरे पर आनंद ही है तथा और कोई भाव हे ही नहीं. ऐसे अघोरेश्वर के श्रेष्ठ रूप का ध्यान करना साधक के लिए उत्तम है. 


प्रस्तुत साधना भगवान अघोरेश्वर के इसी रूप के दर्शन प्राप्त करने की साधना है. वस्तुतः यह अपने आप मे अत्यधिक महत्वपूर्ण साधना है जिसको करने के बाद साधक का चित हमेशा निर्मल रहता है, भेद से मुक्ति मिलती है 


तथा सर्वसर्वात्मक भाव का उसमे उदय होता है. साथ ही साथ अघोरेश्वर के वरदान से साधक अष्टपाशो से मुक्त होने लगता है. इस प्रकार की भावभूमि प्राप्त होते साधक को विविध प्रकार की साधनाओ मे सफलता प्राप्त होने लगती है. 


वैसे भी अघोरी के लिए यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण क्रम है की साधनामार्ग के इष्ट के दर्शन कर उनके आशीर्वाद प्राप्त करना.


साधक को चाहिए की वह इस साधना को स्मशान मे ही सम्प्पन करे. रात्री मे ११:३० के बाद इस साधना को शुरू करना चाहिए. साधना को सोमवार से शुरू करे. साधक को स्नान कर अघोर गुरु पूजन सम्प्पन कर विशेष शाबर मन्त्र का ५१ माला जाप करना चाहिए. 


मंत्र जाप के लिए साधक को रुद्राक्ष माला का प्रयोग करना चाहिए. आसान तथा वस्त्र काले हो. आसान के निचे चिता भष्म को बिछा देना चाहिए. इस क्रम को ११ दिन तक करने पर विविध अनुभूतिया होने लगती है, साधक जब इसे २१ दिन कर लेता है तब उसे भगवान अघोरेश्वर के दर्शन होते है.


ॐ अघोर अघोर प्रत्यक्ष वाचा गुरु की अघोरनाथ दर्शय दर्शय आण सिद्धनाथ की


साधक को भयभीत ना हो कर वीर भाव से यह साधना करनी चाहिए.


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 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है


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Saturday, January 16, 2021

सट्टा साधना


 



सट्टा साधना


तंत्र विद्या सीखने की इच्छा रखने वाला संपर्क करें :-


> साधना


>>यह साधना केवल जरूरत मंद व्यक्ति ही करें शौक के तोर पर यह साधना ना करें क्योंकि अगर शौक के तोर पर करोगे तो इसका कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि यह साधना जरूरतमंद व्यक्ति यो के लिए ही है यह एक सरल साधना है जो केवल शनिवार या मंगलवार के दिन रात्रि में की जाति है।

>यह मेरी अनुभूत साधना है इसीलिए जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता के लिए मैं यह साधना पोस्ट की है।


>>सामग्री:-

>5 गुलाब के फूल

>5 कोरे पान दंडी सहित

>एक मीठा पान दंडी सहित

>5 पतासे

>दो लौंग

>दो सिगरेट

>एक सीसी इत्र की गुलाब या चमेली की

>एक पैकेट अगरबत्ती


>>>मंत्र:-

इंद्री चली वन को जिन लाये  हर नाम कल का पता**** ************बलवान।


NOTE:- मंत्र सम्पूर्ण नहीं दे रहे क्यों की लोग बिना गुरु के ही साधना शुरु कर देते है जो की घातक सिद्ध हो सकता हैं।


>>>विधि:-

यह सभी सामग्री को शनिवार या मंगलवार के दिन शाम के समय लगभग 7:00 बजे के बाद एक पत्तल में इकट्ठा कर ले और हाजिरी बना कर किसी दरिया के किनारे पहुंच जाएं जो चलता दरिया हो वहां पहुंचकर अगरबत्ती को जलाकर दरिया के किनारे पर लगा दें और हाजरी की सामग्री दरिया में छोड़ दे और अपना कार्य करने की स्वर्ण आकर्षण भैरव से लगाएं और वहां से सीधा उस कमरे में पहुंच जाएं जहां आप को साधना करनी है 


साधना किसी भी समय टाइम के अनुसार 3 घंटे तक खड़े होकर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें और इत्र अपने कपड़ों में लगाएं और अगरबत्ती से कमरे को सुगंधित करें उस कमरे में आप से अलग और कोई और ना आए और ना जाए केवल आप ही उस कमरे में रहे अपना आसन नीचे जमीन पर लगा दे और जाप के बाद वही पर लेट कर शो जाएं किसी से कोई बात ना करें।


                       

>चेतावनी― मंत्र साधना गुरु जी की निगरानी में ही करें अन्यथा परिणाम घातक हो सकते है। 


>इंटरनेट पर बहुत सारी साधनाए उपलब्ध है जिसमे मंत्र साधना, विधान बता रखा है,पर कितनो को सिद्धि प्राप्त हुई है आप सब लोग जानते ही है,ऐसे कोई सिद्धि प्राप्त हो ही नहीं सकती। इसलिए गुरु जी की आज्ञा से ही साधना करनी चाहिए, तभी सिद्धि प्राप्त हो सकती हैं।


>विशेष आग्रह:- कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ध्यान में रखते हुए भक्तों से मेरा निवेदन है की कोई भी भक्त हमसे मिलने की कोशिश न करें। हम फोन के माध्यम से जितना हो सके आप सभी का मारगदर्शन करेंगे।


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


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Wednesday, January 6, 2021

श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र


 




श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र


इस स्तोत्र की रचना महर्षि अंगिरा द्वारा की गयी थी तथा इसमें शत्रुओं का जड़-मूल से नाश करने की अद्भुत क्षमता है - एवं इसका प्रयोग कभी निष्फल नहीं जाता। अच्छी संख्या या निर्धारित संख्या में जप पूर्ण हो जाने के पश्चात यदि इसे भोजपत्र में लिखकर दायीं भुजा अथवा कण्ठ में धारण कर लिया जाए तो स्वतः ही शत्रुओं का मर्दन होने लग जाता है। समस्त अनिष्टकारी ग्रहों तथा किसी भी प्रकार के शत्रुओं के जाल से निकालने के लिए यह स्तोत्र अमृततुल्य है। 


किसी भी कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर अमावस्या की रात्रि तक यदि प्रतिदिन एक हजार की संख्या में इस स्तोत्र का नियमित पाठ किया जाए तो अनायास ही समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है - अथवा अनिष्टकारी ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। 


स्तोत्र निम्न प्रकार है : 


विनियोग : 


ॐ ॐ ॐ अस्य श्री प्रत्यंगिरा मंत्रस्य 

श्री अंगिरा ऋषिः, 

अनुष्टुप छन्दः, 

श्री प्रत्यंगिरा देवता, 

हूं बीजम्, 

ह्रीं शक्तिः, 

क्रीं कीलकं ममाभीष्ट सिद्धये पाठे विनियोगः।


अंगन्यास : 


श्री अंगिरा ऋषये नमः शिरसि

अनुष्टुप छंदसे नमः मुखे

श्री प्रत्यंगिरा देवतायै नमः हृदि

हूं बीजाय नमः गुह्ये

ह्रीं शक्तये नमः पादयो

क्रीं कीलकं नमः सर्वांगे

ममाभीष्ट सिद्धये पाठे विनियोगाय नमः अंजलौ। 


ध्यान : 


भुजैश्चतुर्भिधृत तीक्ष्ण बाण,

धनुर्वरा - भीश्च शवांघ्रि-युग्मा। 

रक्ताम्बरा रक्त तनस्त्रि-नेत्रा, 

प्रत्यंगिरेयं प्रणतं पुनातु।।


स्तोत्र : 


ॐ नमः सहस्र सूर्येक्षणाय श्रीकण्ठानादि रुपाय पुरुषाय पुरू हुताय ऐं महा सुखय व्यापिने महेश्वराय जगत सृष्टि कारिणे ईशानाय सर्व व्यापिने महा घोराति घोराय ॐ ॐ ॐ प्रभावं दर्शय दर्शय। 


ॐ ॐ ॐ हिल हिल ॐ ॐ ॐ विद्द्युतज्जिव्हे बंध-बंध मथ-मथ प्रमथ-प्रमथ विध्वंसय-विध्वंसय ग्रस-ग्रस पिव-पिव नाशय-नाशय त्रासय-त्रासय विदारय-विदारय मम शत्रून खाहि -खाहि मारय-मारय मां सपरिवारं रक्ष-रक्ष कर कुम्भस्तनि सर्वापद्र-वेभ्यः। 


ॐ महा मेघौघ राशि सम्वर्तक विद्युदन्त कपर्दिनी दिव्य कनकाम्भो- रुहविकच माला धारिणी परमेश्वरि प्रिये। छिन्दि-छिन्दि विद्रावय-विद्रावय देवि! पिशाच नागासुर गरुण किन्नर विद्याधर गन्धर्व यक्ष राक्षस लोकपालान् स्तम्भय-स्तम्भय कीलय-कीलय घातय-घातय विश्वमूर्ति महा तेजसे। 

ॐ हूं सः मम् शत्रूणां विद्यां स्तम्भय-स्तम्भय। 

ॐ हूं सः मम् शत्रूणां मुखं स्तम्भय-स्तम्भय। 

ॐ हूं सः मम् शत्रूणां हस्तौ स्तम्भय-स्तम्भय। 

ॐ हूं सः मम् शत्रूणां पादौ स्तम्भय-स्तम्भय। 

ॐ हूं सः मम् शत्रूणां गृहागत कुटुंब मुखानि स्तम्भय-स्तम्भय। 


स्थानम् कीलय-कीलय, ग्रामं कीलय-कीलय मंडलम कीलय-कीलय देशं कीलय-कीलय सर्वसिद्धि महाभागे। धारकस्य सपरिवारस्य शांतिम कुरु कुरु फट स्वाहा। 


ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ अं अं अं अं अं हूं हूं हूं हूं हूं खं खं खं खं खं फट स्वाहा। जय प्रत्यंगिरे। 

धारकस्य सपरिवारस्य मम रक्षाम् कुरु कुरु ॐ हूं सः जय जय स्वाहा।


ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ब्रह्माणि! मम शिरो रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वैष्णवि! मम कण्ठं रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कौमारी! मम वक्त्रं रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नारसिंही! ममोदरं रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं इंद्राणी! मम नाभिं रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चामुण्डे! मम गुह्यं रक्ष-रक्ष, हूं स्वाहा 


ॐ नमो भगवति उच्छिष्ट चाण्डालिनि, त्रिशूल वज्रांकुशधरे मांस भक्षिणी, खट्वांग कपाल वज्रांसि-धारिणी। दह-दह, धम-धम, सर्व दुष्टान् ग्रस-ग्रस, ॐ ऐं ह्रीं श्रीं फट स्वाहा।


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Tuesday, January 5, 2021

बगलामुखी हवन


 



बगलामुखी हवन


१) वशीकरण : मधु, घी और शर्करा मिश्रित तिल

से किया जाने वाला हवन (होम) मनुष्यों को

वश में करने वाला माना गया है। यह हवन

आकर्षण बढ़ाता है।


२) विद्वेषण : तेल से सिक्त नीम के पत्तों से

किया जाने वाला हवन विद्वेष दूर करता है।


३) शत्रु नाश : रात्रि में श्मशान की अग्नि में

कोयले, घर के धूम, राई और माहिष गुग्गल के होम

से शत्रु का शमन होता है।


४) उच्चाटन : गिद्ध तथा कौए के पंख, कड़वे तेल,

बहेड़े, घर के धूम और चिता की अग्नि से होम करने

से साधक के शत्रुओं को उच्चाटन लग जाता है।


५) रोग नाश : दूब, गुरुच और लावा को मधु, घी

और शक्कर के साथ मिलाकर होम करने पर साधक

सभी रोगों को मात्र देखकर दूर कर देता है।


६ ) मनोकामना पूर्ति : कामनाओं की सिद्धि

के लिए पर्वत पर, महावन में, नदी के तट पर या

शिवालय में एक लाख जप करें।


७) विष नाश / स्तम्भन :


एक रंग की गाय के दूध में मधु और शक्कर मिलाकर

उसे तीन सौ मंत्रांे से अभिमंत्रित करके पीने से

सभी विषों की शक्ति समाप्त हो जाती है

और साधक शत्रुओं की शक्ति तथा बुद्धि का

स्तम्भन करने में सक्षम होता है।


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Monday, January 4, 2021

*दाम्पत्य जीवन और आपकी जन्म पत्रिका*


 



*दाम्पत्य जीवन और आपकी जन्म पत्रिका*


*सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं।*


*जैसे:-


१.-यदि सप्तम भाव पर राहु, शनि व सूर्य की दृष्टि हो एवं सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख नहीं मिलता।* 


*२.-यदि सूर्य-शुक्र की युति हो व सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता है।*


*३.-यदि लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है व जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है।* 


*४.-यदि सप्तम भाव में राहु स्थित हो और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छ्ठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की संभावना होती है।*


*५.-यदि लग्न में मंगल हो व सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो व द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रभाव हो तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख से वंचित होना पड़ता है।*


*६.-यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो एवं सप्तम भाव पर सूर्य, शनि व राहु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।*


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हथेली से जाने कि लव मैरिज होगी या नहीं.


 





💕  हथेली से जाने कि लव मैरिज होगी या नहीं. 


            


          बहुत से सम्मानित सज्जनों के पास जन्म सम्बधित डिटेल न होने के कारण जन्म कुंडली उपलब्ध नहीं है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे अपना भविष्य नहीं जान सकते। हस्तरेखाओं से भी आसानी से जीवन में हर क्षेत्र में होने वाली घटनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में यह जन्म कुंडली की तुलना में अधिक सटीक होता है।


     💝  आमतौर पर यह माना जाता है कि सबसे छोटी अंगुली के नीचे प्रेम या विवाह की रेखाएं होती हैं। जनमानस में यह भ्रम फैला दिया गया है कि यहां जितनी रेखाएँ होंगी, उतनी संख्या में विवाह होते हैं। 


लेकिन अनुभव में मैंने देखा है कि इन रेखाओं का विवाह से कोई संबंध नहीं है। जिन लोगों की हथेली में तीन रेखाएँ हैं उनका भी एक ही विवाह होता है। दूसरी बात यह भी है कि यदि इतनी आसानी से रेखाओं से संकेत मिलते तो, हर कोई ज्योतिषी बन जाता। 


हस्तरेखा या ज्योतिष में कोई भी योग हार्ड एण्ड फास्ट नहीं होता है। केवल संकेत मिलते हैं और उन्ही के आधार पर हमें अपनी धारणा बनानी होती है। और यह कतई आसान नहीं है और लम्बे अनुभव से आता है।


    💟  प्रेम विवाह की रेखाएँ बृहस्पति और मंगल के स्थान पर होती हैं। जब इन रेखाओं का परस्पर योग बने, तो उस उम्र में व्यक्ति प्रेम संबंध बनाने की शुरुआत करता है। ये रेखाएँ जितनी दीर्घ होंगी, प्रेम संबंध उतना ही लम्बे समय तक चलता है। 


जब ये रेखाएँ सुंदर और स्पष्ट आकर में जहाँ परस्पर मिलें, उसी उम्र विशेष में जातक का प्रेम विवाह होता है। यदि ये रेखाएँ एक दूसरे से दूर रहकर ही रुक जाती हैं तो प्रेम तो होगा लेकिन यह प्रेम विवाह में कन्वर्ट नहीं होगा। 


इस स्थिति में अरैन्जड मैरिज कहना चाहिए। इसका अर्थ है कि जिससे प्रेम किया है उससे विवाह नहीं होगा। जब ये रेखाएँ एक दूसरे को काट कर आगे बढ़ रही हों तो भी प्रेम विवाह होता है। 


जब ये रेखाएँ कटी-फटी स्थिति में एक-दूसरे से मिल रही हों तो प्रेम विवाह तो होगा लेकिन शीघ्र ही दोनों प्रेमियों में मतभेद हो जाएगा और दोनों अलग हो जायेंगे।


ॐ卐ॐ卐ॐ


सभी का भविष्य मंगलमय हो।

ॐ卐ॐ


 


ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।


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Sunday, January 3, 2021

योगिनी साधना:👉🏻 गुप्त विद्या


 



योगिनी साधना:👉🏻 गुप्त विद्या


तंत्र में सदा से योगिनीयो का अत्यंत महत्व रहा है.तंत्र अनुसार योगिनी आद्य शक्ति के सबसे निकट होती है.माँ योगिनियो को आदेश देती है और यही योगिनी शक्ति साधको के कार्य सिद्ध करती है.


मात्र लोक में यही योगिनिया है जो माँ कि नित्य सेवा करती है.


योगिनी साधना से कई प्रकार कि सिद्धियाँ साधक को प्राप्त होती है.प्राचीन काल में जब तंत्र अपने चरम पर था तब योगिनी साधना अधिक कि जाती थी.


परन्तु धीरे धीरे इनके साधको कि कमी होती गयी और आज ये साधनाये बहुत कम हो गयी है.इसका मुख्य कारण है समाज में योगिनी साधना के प्रति अरुचि होना,तंत्र के नाम से ही भयभीत होना,तथा इसके जानकारो का अंतर्मुखी होना।


इन्ही कारणो से योगिनी साधना लुप्त सी होती गयी.परन्तु आज भी इनकी साधनाओ के जानकारो कि कमी नहीं है.आवश्यकता है कि हम उन्हें खोजे और इस अद्भूत ज्ञान कि रक्षा करे.आज हम जिस योगिनी कि चर्चा कर रहे है वो है " सिद्ध योगिनी " कई स्थानो पर इन्हे सिद्धा योगिनी या सिद्धिदात्री योगिनी भी कहा गया है.ये सिद्दी देने वाली योगिनी है.


जिन साधको कि साधनाये सफल न होती हो,या पूर्ण सफलता न मिल रही हो.तो साधक को सिद्ध योगिनी कि साधना करनी चाहिए।इसके अलावा सिद्ध योगी कि साधना से साधक में सतत प्राण ऊर्जा बढ़ती जाती है.


और साधना में सफलता के लिए प्राण ऊर्जा का अधिक महत्व होता है.विशेषकर माँ शक्ति कि उपासना करने वाले साधको को तो सिद्ध योगिनी कि साधना करनी ही चाहिए,क्युकी योगिनी साधना के बाद भगवती कि कोई भी साधना कि जाये उसमे सफलता के अवसर बड़ जाते है.साथ ही इन योगिनी कि कृपा से साधक का गृहस्थ जीवन सुखमय हो जाता है.


जिन साधको के जीवन में अकारण निरंतर कष्ट आते रहते हो वे स्वतः इस साधना के करने से पलायन कर जाते है.आइये जानते है इस साधना कि विधि।

आप ये साधना किसी भी कृष्ण पक्ष कि अष्टमी से आरम्भ कर सकते है.


इसके अलावा किसी भी नवमी या शुक्रवार कि रात्रि भी उत्तम है इस साधना के लिए.साधना का समय होगा रात्रि ११ के बाद का.आपके आसन तथा वस्त्र लाल होना आवश्यक है.इस साधना में सभी वस्तु लाल होना आवश्यक है.


अब आप उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये और भूमि पर ही एक लाल वस्त्र बिछा दे.वस्त्र पर कुमकुम से रंजीत अक्षत से एक मैथुन चक्र का निर्माण करे.इस चक्र के मध्य सिंदूर से रंजीत कर े सुपारी का प्रयोग करे.इसके बाद सर्व प्रथम गणपति तथा अपने सद्गुरुदेव का पूजन करे.इसके बाद गोलक या सुपारी को योगिनी स्वरुप मानकर उसका पूजन करे,कुमकुम,हल्दी,कुमकुम मिश्रित अक्षत अर्पित करे,लाल पुष्प अर्पित करे.भोग में गुड का भोग अर्पित करे,साथ ही एक पात्र में अनार का रस अर्पित करे.


तील के तेल का दीपक प्रज्वलित करे.इसके बाद एक माला नवार्ण मंत्र कि करे.जाप में मूंगा माला का ही प्रयोग करना है या रुद्राक्ष माला ले.नवार्ण मंत्र कि एक माला सम्पन करने के बाद,एक माला निम्न मंत्र कि करे,


ॐ रं रुद्राय सिद्धेश्वराय नमः


इसके बाद कुमकुम मिश्रित अक्षत लेकर निम्न लिखित मंत्र को एक एक करके पड़ते जाये और थोड़े थोड़े अक्षत गोलक पर अर्पित करते जाये।


ॐ ह्रीं सिद्धेश्वरी नमः

ॐ ऐं ज्ञानेश्वरी नमः

ॐ क्रीं योनि रूपाययै नमः

ॐ ह्रीं क्रीं भ्रं भैरव रूपिणी नमः

ॐ सिद्ध योगिनी शक्ति रूपाययै नमः


इस क्रिया के पूर्ण हो जाने के बाद आप निम्न मंत्र कि २१ माला जाप करे.


ॐ ह्रीं क्रीं सिद्धाययै सकल सिद्धि दात्री ह्रीं क्रीं नमः


जब आपका २१ माला जाप पूर्ण हो जाये तब घी में अनार के दाने मिलाकर १०८ आहुति अग्नि में प्रदान करे.ये सम्पूर्ण क्रिया आपको नित्य करनी होगी नो दिनों तक.आहुति के समय मंत्र के अंत में स्वाहा अवश्य लगाये।अंतिम दिवस आहुति पूर्ण होने के बाद एक पूरा अनार जमीन पर जोर से पटक कर फोड़ दे और उसका रस अग्नि कुंड में निचोड़ कर अनार उसी कुंड में डाल दे.अनार फोड़ने से निचोड़ने तक सतत जोर जोर से बोलते रहे,


सिद्ध योगिनी प्रसन्न हो।


साधना समाप्ति के बाद अगले दिन गोलक को धोकर साफ कपडे से पोछ ले और सुरक्षित रख ले.कपडे का विसर्जन कर दे.नित्य अर्पित किया गया अनार का रस और गुड साधक स्वयं ग्रहण करे.सम्भव हो तो एक कन्या को भोजन करवाकर दक्षिणा दे,ये सम्भव न हो तो देवी मंदिर में दक्षिणा के साथ मिठाई का दान कर दे.इस प्रकार ये दिव्य साधना पूर्ण होती है.


निश्चय ही अगर साधना पूर्ण मनोभाव और समर्पण के साथ कि जाये तो साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते है.और जीवन को एक नविन दिशा मिलती ही है.इस साधना को यदि 21 दिनों तक किया जाए और साधना स्थल सुनसान वीरान जंगल या श्मशान हो अथवा ऐसा शिवमंदिर जो पुराना हो तो अद्भुत सफलता मिल सकती है ।


💀चेतावनी-बिना गुरु मार्गदर्शन और सुरक्षा कवच के साधना न करें 


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


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राजगुरु जी


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Saturday, January 2, 2021

प्रेम विवाह के बाद कैसी होगा आगे का वैवाहिक जीवन, जानें ज्योतिष की नज़र से*



 




*प्रेम विवाह के बाद कैसी होगा आगे का वैवाहिक जीवन, जानें ज्योतिष की नज़र से*


*विवाह को लेकर अक्सर दो तरह के विचार सामने आते हैं। कुछ लोग तो प्रेम विवाह को सफल मानते हैं, वहीं कुछ लोग तयशुदा विवाह को अधिक सफल मानते हैं।*


*कुंडली में कुछ ऐसे योग होने से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं। राहू के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं।*


*राहू का संबंध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने की सोचता है। राहू का स्वभाव संस्कृति से हटकर कार्य करने की प्रवृत्ति का माना जाता है।*


*जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहू या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।*


*जन्म कुंडली में मंगल का शनि अथवा राहू से संबंध या युति हो रही हो तो भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती हैं। इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव या भावेश से संबंध बनाता है तो जातक अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करता है।*


*जिस व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहू की दृष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की संभावना अधिक बनती है।*


*व्यक्ति की कुंडली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब/अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैं। जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द्रमा लग्न से पंचम भाव में स्थित हो तो भी प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*जब पंचम भाव में मंगल हो तथा पंचमेश व एकादेश का राशि परिवर्तन अथवा दोनों कुंडली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में भी प्रेम विवाह होने के पूर्ण योग बनते हैं। पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में भी प्रेम विवाह कि संभावना बनती है।*


*जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हो तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है। कुंडली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक-दूसरे से दृष्टि संबंध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं। सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हो तब प्रेम विवाह का भाव बली होता है।*


*पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृष्टि संबंध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हो तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैं।*


*यदि सप्तमेश की दृष्टि, युति व स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हो तो प्रेम विवाह होता है। द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश की युति हो व भाग्येश इनसे दृष्टि संबंध बना रहा हो, तो भी प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रेम विवाह करने से पहले लड़के और लड़की को एक-दूसरे को जानने का पर्याप्त समय मिल जाता है।*


*इसके फलस्वरूप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसंद-नापसंद को अधिक कुशलता से समझ पाते हैं, इसलिए इसके साथ ही समय रहते प्रेम विवाह करने से पहले लड़का और लड़की को अपने-अपने ग्रह नक्षत्रों की दिशा का भी बोध कर लेना और यह जान लेना चाहिए कि क्या प्रेम विवाह के उपरांत उन दोनों की वैवाहिक जिंदगी खुशनुमा रह पाएगी भी या नहीं।


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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...