Saturday, January 2, 2021

प्रेम विवाह के बाद कैसी होगा आगे का वैवाहिक जीवन, जानें ज्योतिष की नज़र से*



 




*प्रेम विवाह के बाद कैसी होगा आगे का वैवाहिक जीवन, जानें ज्योतिष की नज़र से*


*विवाह को लेकर अक्सर दो तरह के विचार सामने आते हैं। कुछ लोग तो प्रेम विवाह को सफल मानते हैं, वहीं कुछ लोग तयशुदा विवाह को अधिक सफल मानते हैं।*


*कुंडली में कुछ ऐसे योग होने से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं। राहू के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं।*


*राहू का संबंध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने की सोचता है। राहू का स्वभाव संस्कृति से हटकर कार्य करने की प्रवृत्ति का माना जाता है।*


*जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहू या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।*


*जन्म कुंडली में मंगल का शनि अथवा राहू से संबंध या युति हो रही हो तो भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती हैं। इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव या भावेश से संबंध बनाता है तो जातक अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करता है।*


*जिस व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहू की दृष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की संभावना अधिक बनती है।*


*व्यक्ति की कुंडली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब/अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैं। जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द्रमा लग्न से पंचम भाव में स्थित हो तो भी प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*जब पंचम भाव में मंगल हो तथा पंचमेश व एकादेश का राशि परिवर्तन अथवा दोनों कुंडली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में भी प्रेम विवाह होने के पूर्ण योग बनते हैं। पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में भी प्रेम विवाह कि संभावना बनती है।*


*जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हो तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है। कुंडली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक-दूसरे से दृष्टि संबंध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं। सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हो तब प्रेम विवाह का भाव बली होता है।*


*पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृष्टि संबंध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हो तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैं।*


*यदि सप्तमेश की दृष्टि, युति व स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हो तो प्रेम विवाह होता है। द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश की युति हो व भाग्येश इनसे दृष्टि संबंध बना रहा हो, तो भी प्रेम विवाह की संभावना बनती है।*


*तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रेम विवाह करने से पहले लड़के और लड़की को एक-दूसरे को जानने का पर्याप्त समय मिल जाता है।*


*इसके फलस्वरूप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसंद-नापसंद को अधिक कुशलता से समझ पाते हैं, इसलिए इसके साथ ही समय रहते प्रेम विवाह करने से पहले लड़का और लड़की को अपने-अपने ग्रह नक्षत्रों की दिशा का भी बोध कर लेना और यह जान लेना चाहिए कि क्या प्रेम विवाह के उपरांत उन दोनों की वैवाहिक जिंदगी खुशनुमा रह पाएगी भी या नहीं।


सम्पूर्ण जन्म कुंडली विश्लेषण हेतु आप सम्पर्क कर सकते हो *"कुंडली परामर्श के लिए संपर्क करें:-* जन्म  कुंडली  देखने और समाधान बताने  की


दक्षिणा -  251 मात्र .


पेटियम : --    9958417249


विशेष


किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें राजगुरु जी


तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान


महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट


 (रजि.) 


किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :


मोबाइल नं. : - 09958417249  


                      


व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

No comments:

Post a Comment

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...