Tuesday, March 12, 2019

हरिद्रा गणपति






हरिद्रा गणपति


यहां तक कि पूजन में, हवन में और भोजन में भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। अनुष्ठान विधिवत करना ही श्रेयस्कर रहता है । सामान्यतः गणेश जी की प्रतिमा की ही पूजा की जाती है क्योंकि यह सरल होता है परंतु यदि गणेश यंत्र की पूजा की जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं…

जैसा कि नाम से पता चलता है भगवान गणेश की इस साधना में ज्यादा से ज्यादा हल्दी का प्रयोग किया जाता है। यहां तक कि पूजन में, हवन में और भोजन में भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। अनुष्ठान विधिवत करना ही श्रेयस्कर रहता है ।

 सामान्यतः गणेश जी की प्रतिमा की ही पूजा की जाती है क्योंकि यह सरल होता है परंतु यदि गणेश यंत्र की पूजा की जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं। कहा भी गया है कि गणेश जी की पूजा उपासना और साधना से समस्त सद्ेच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति होती है।

विनियोग-

पहले देश-काल का उच्चारण करें फिर कहें-अस्य हरिद्रा गणनायक मंत्रस्य मदन ऋषि अनुष्टुप छंद हरिद्रागणनायको देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

ऋष्यादिन्यास-

मदन ऋषये नमः शिरसि अनुष्टुप छंद से नमः मुखे हरिद्रा गण नायक देवतायै नमः विनियोगाय नमः सर्वांगे।

करन्यास-

हूं गं ग्लौं अंगुष्ठाभ्याम् नमः,

हरिद्रा गणपतये तर्जनीभ्याम् नमः वर वरद मध्यमाभ्याम् नमः,

सर्वजन हृदयनम् अनामिकाभ्याम् नमः,

स्तंभय- स्तंभय कनिष्ठिकाभ्याम् नमःस्वाहा,

करतल कर पृष्ठाभ्याम् नमः।

 षड्गंन्यास-

हूं गं ग्लौं हृदयाय नमः हरिद्रा गणपतये शिरसे स्वाहा वर वरद शिखाये वषट् सर्वजन हृदयं कवचाय हुम स्तंभय -स्तंभय नेत्र त्रयाय वौषट स्वाहा।

 ध्यान-

पाशाकुशौ मोदक मेदकंतम्  करैदर्धानं कनकासनस्थम् हरिद्र खंडम् प्रतिमम् त्रिनेत्रम् पीतांशुकं रात्रि गणेश मीडे।

 ध्यान करने के बाद सर्वतोभद्रमंडल या गणेश मंडल में  गणेश प्रतिमा स्थापित करने से पहले नौ पीठ शक्तियों की पूजा गंध,पुष्प अक्षत से करनी पड़ती है।

 पीठ शक्तियों के पूजन का क्रम पूर्व से उत्तर की ओर गणपति पूजा की विधि से ही रहता है। मंत्र भी क्रमशः

 तेजोवत्यै नमःतेजोवत्यै आवाहयमि स्थापयामि चालिन्यै नमः,

नंदायै नमःनंदाम आवाहयमि स्थापयामि भोगदायै नमः,

भोगदां आवाहयामि स्थापयामि काम रूपिण्यै नमः

 कामरूपिणी आवाहयामि स्थापयामि उग्रायै नमः,

उग्रां आवाहयामि तेजोवत्यै नमः,

तेजोवतीं आवाहयामि स्थापयामि सत्तायै नमःसत्यां आवाहयामि,

स्थापयामि मध्य भाग में विघ्नाशिन्यै नमःविघ्न नाशिनीम आवाहयमि स्थापयामि।

 पीठ शक्ति का पूजन कर गणेश मूर्ति को पहले घी से फिर दूध से तथा जल से स्नान करवा कर सूखे कपड़े से पोंछ कर पुष्पों के आसन पर गणेश मंडल के बीच में हृम सर्वशक्ति कमलासनाय मंत्र बोल कर गणेश प्रतिमा को स्थापित कर दें। अब गणेश के मूल मंत्र का जप करें ।

 मंत्र-

ऊं गं गणपतयै नमः।

चार लाख जप का पुरश्चरण होता है जप का दशांश हवन हल्दी, घी और चावलों से करें  हवन का दशांश तर्पण किया जाता है और फिर ब्राह्मण भोज करवाया जाता है।

 इसे गणेश चतुर्थी के दिन आरंभ करके प्रति दिन नियमित रूप और नियमित संख्या में जप कर पूरा किया जा सकता है।

अन्य प्रयोग ः

 गणेश साधना के अन्य प्रयोग भी  हैं, नियम वही हैं कि प्रतिमा या गणेश यंत्र की साधना करनी चाहिए ,परंतु यंत्र साधना तत्काल फल देती है।

 इसलिए जहां तक हो सके, किसी ज्योतिष कार्यालय से संपर्क कर यंत्र मंगवा लेना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो सके तो गणेश प्रतिमा उपासना ही करें।

विधि-

तांबे के पत्र अथवा भोजपत्र पर गणेश यंत्र की रचना करवाएं यह कार्य गणेश चतुर्थी के दिन ही होना चाहिए। यंत्र बन जाने पर उसी दिन से उसकी पूजा भी आरंभ कर देनी चाहिए।

सर्वप्रथम यंत्र को पंचामृत तथा गंगाजल से स्नान करवाएं ,फिर आसन पर लाल वस्त्र बिछा कर उसे स्थापित कर दें।

लाल चंदन,लाल पुष्प से उसकी पूजा कर धूप-दीप दें। गुड़ ,मोदक का नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य समर्पित करने के बाद रुद्राक्ष,लालचंदन अथवा मूंगे की माला से जप प्रारंभ करें।

ध्यान –

 गजाननम् भूत गणादि सेवितं कपित्थ जम्बु फल चारु भक्षणम् उमा सुतं शोकविनाशकारकंनमामि विघ्नेशवर पाद पंकजम्। इसके बाद एक लाख मंत्र जप का संकल्प करके

ऊं गं गणपतयै नमः

का 108 जप करें प्रति दिन एक माला जप करते रहें । जप समाप्त होने पर यह शलोक पढ़ कर यंत्र को प्रणाम कर उठ जाएं।

 वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभम् निर्विघ्न कुरु मे देव सर्व कायेषु सर्वदा सर्वं विघ्न विनाशाय सर्व कल्याण हेतवे पार्वती प्रिय पुत्रायगणेशाय नमो नमः

 जिस दिन  मंत्र की जप संख्या एक लाख  पूरी हो जाए उस दिन एक सौ आठ हवन करें और पांच कुमारी कन्याओं को भोजन करा दक्षिणा दे कर विदा करें।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                    08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

No comments:

Post a Comment

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...