मनो भैरव साधना
भैरव के अनेक रुप है।काल भैरव को ही तंत्र किताब मेँ आठ भैरव मेँ विभाजन किया गया है,पर आज एक ऐसा भैरव का जिक्र करना चाहता हु, जिसका किताब मेँ, नाम तो किया पुजा विधि भी नही मिलेगा।मनोभैरव तीन नेत्र वाले एक देव है।
इनका अगर कुपा, किसी को मील जाए तो वह ब्रह्मा तुल्य हो जाता है।वाक सिद्धि,प्राप्ति सिद्धि यू कहे तो अष्टो सिद्धि का सिद्धि मीलता है।ए मंत्र कुछ घंटे मेँ अपना असर देखना सूरु करता है।
प्रतिदिन सर्फ मंत्र का जाप करने से भी लाभ दो गुना मीलता है,धन लाभ,नौकरी प्राप्ति या मन मेँ जो भी ईच्छा है वह सत्य होने लगते है।अगर साधना किया जाए तो भैरव के दर्शन होते है और भैरव साधक के प्रोतेक ईच्छा को पुर्ण करते रहते है।
साधना करने के लीए रात दस बजे से धूप दीप जाला ले और बटुक भैरव को जो दिया जाता है इसको भी वेसे भोग देना है।रोज भोग देना है और धूप दीप भी जलाना है।
मंत्र को एक हजार जाप 21 दिन जाप करना है।जब मनोभैरव आए तो अपने ईच्छा बोल दे।
मंत्र-
ॐ वज्र मनोभैरवाय सर्व सिद्धि प्रदाय प्रदाय सर्व कार्य साधय साधय सर्व मनोरथ सिद्धि सिद्धि हुं हुं क्रीँ क्रीँ फट॥
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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