वलगा माला मन्त्र साधना
सम्पूर्ण जीवन के सौन्दर्य का सार तंत्र है | यह समस्त चर और अचर जगत तंत्रमय ही है सूर्य का प्रतिदिन उदित होना और अस्त होना भी तंत्रात्मक प्रक्रिया ही है . पराशक्ति प्रकृति तंत्र के माध्यम से ही सम्पूर्ण विश्व को नियंत्रित करती है -----
जब भी किसी विशष्ट विषय पर लिखा जाता है तो कही से या तो अध्ययन करके या अपने अनुभव से, किन्तु बिना अध्ययन या गुरु निर्देशन के आप ना तो कुछ लिख सकते हैं और न ही बता सकते हैं, फिर किसी ने नेट से पढ़कर लिख हो या साहित्य से---- हैं ना क्यों कि कोई भी व्यक्ति माँ के पेट से सीख नहीं आ सकता क्योंकि ये युग महाभारत कालीन नहीं है | एक बात और हमें कुछ भी क्रियान्वित करते रहना चाहिए चाहे आप कहीं से भी देख कर करें, पढ़कर करें, बस अपनी विचारधारा सकारात्मक रखें सफलता या असफलता तो बाद में है---
इस तरह के बहुत सारे प्रश्न आते हैं किन्तु सही उत्तर देने की अपेक्षा लोग टीका टिप्पणी ज्यादा करते हैं , सिर्फ एक निवेदन है, हम एक सकारात्मक सोच लेकर प्रत्येक लेख को पढ़ें समझें और यदि आपकी इच्छा है तो एक बार प्रयास अवश्य करें किन्तु उस साधना पर मन्त्र पर टीका टिप्पणी न करें, हाँ यदि शंका है कहें जरुर , क्योंकि शंका होगी तो ही समाधान भी संभव होगा|
एक बात मेरा उन भाइयों से भी निवेदन है जिन्होंने तंत्र को बड़ी गहराई से समझा है, वे जानते हैं कि तंत्र एक क्रमबद्ध क्रिया है या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है या इत्यादि---- तो उनसे अनुग्रह है कि जिन्हें नहीं पता या भ्रमित हैं तो उनका भ्रम दूर करें या सिखाने हेतु आगे आयें सभी साधना साधन में उपलब्ध करवाने हेतु सदैव तत्पर हूँ ----
अब मै आगे के क्रम अप्सरा यक्षिणी की साधना देने से पहले कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग जिनकी आवश्यकता है दे रह हूँ ----
भगवती बागला मुखी की जयंती अभी कुछ दिनों पूर्व निकल गयी किन्तु प्रकृति के प्रकोप की वजह से न केवल नेपाल अपितु भारत के कुछ क्षेत्र भी प्रभावित थे अतः जिससे मन खिन्न था कि कुछ लिखने या देने का मन ही नहीं बना पाई |
किन्तु अभी एक भाई कहने पर प्रदत्त बगलामाला मन्त्र
साधना----
स्नेही भाइयो बहनों !
माँ बागला मुखी तंत्र की षट्कर्म साधन की अधिष्ठात्री हैं सम्पूर्ण सम्मोहन, वशीकरण, स्तम्भन, विद्वेषण, उच्चाटन, और मारण इन सभी कर्मों को सिर्फ एक ही साधना से सीख या किया जा सकता है, माँ बागला के बारे में हालांकि मेरे ख्याल से सभी जानते हैं क्योंकि तना ज्यादा लिख जा चूका है कि अब किसी भी तरह के लेख की आवश्यकता नहीं है अतः सीधे ही मूल विधान पे आ रही हूँ |
साधना विधान
v प्रस्तुत साधना में पूर्ण पवित्रता व ब्रह्मचर्य का पालन करना है |
v साधक को दिन में नींद नहीं लेनी है, न व्यर्थ कि बातचीत करे, पूर्ण ब्रहमचारी व्रत का पालन करें
v साधना काल में साधक बगलामुखी यंत्र , या चित्र स्थापित कर उसके सामने मन्त्र जप करे |
v साधना काल में ही साधक न तो बाल कटवाए ना ही किसी प्रकार का क्षौर कर्म करे|
v यह साधना या मन्त्र जप रात्री में ही होता है अतः साधक मन्त्र जप कि क्रिया रात्री १० बजे से प्रातः ४ बजे के बीच करे परन्तु जो साधना संपन्न कर चुकें हैं वे साधक दिन में भी मन्त्र जप कर सकतें हैं |
v साधना काल में दीपक के लिए जिस रुई का उपयोग करें उसे पहले ही पीले रंग में रंग कर सुखा ले व दीपक के लिए गौ के घी में हल्दी मिला ले या फिर पीली सरसों का तेल उपयोग में लायें |
v जो कौल साधक हैं वे साधना में कुलाचार का पूजन, वीर साधना, चक्रानुष्ठान अवश्य ही करें जिससे पूर्ण सफलता प्राप्त हो सके |
पीले वस्त्र, पीला आसन, उत्तर दिशा जप संख्या १,२५००० या लघु अनुष्ठान ५१,०००, ३१,००० २१,००० का भी संपन्न कर सकते हैं | ये बगला साधना है, प्रयोग नहीं, यदि प्रयोग करना हो तो हि ३१ २१ का विधान करें किन्तु साधना तो सवा लक्ष से हि संपन्न होती है और उसी अनुसार नियम संयम का ध्यान रखें |
विनियोग :-
अस्याः श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि | त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे | श्री बगलामुखी देवतायै नमो हृदये | ह्रीं बीजाय नमो गुह्यो | स्वाहा शक्तये नम: पादयो: | ॐ नम: सर्वांगे |श्री बगलामुखी-देवता-प्रसाद सिद्धयर्थे न्यासे विनियोगः |
Asyaah shree brahmaastr-vidya bagalaamukhyaa naarad rishaye namah shirasi . trishthup chandase namo mukhe . shree bagalaamukhi devataayai namo hridaye . hreem beejaay namo guhyo . swahaa shaktaye namah paadayoh . aum namah sarwaange . shree baglaamukhi-devataa-prasaad siddhyarthe nyaase viniyogah .
आवाहन :-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्व-दुष्टानां मुख स्तम्भिनी सकल-मनोहारिणी
अम्बिके इहागच्छ सन्निधिं कुरु सर्वार्थं साधय साधय स्वाहा |
Om ang hreem shreem baglamukhi sarv-dushtanam mukh
stambhini
Sakal-manoharini ambike ihagacch sannidhim kuru sarvartham sadhay
Sadhay swaha .
ध्यान :-
ॐ सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनं पीतांशुकोल्लासिनीं हेमाभांगरूचिं
शशांकमुकुटां सच्चम्पकस्त्रग्युताम् | हस्तैर्मुद्गरपाशवज्ररशनाः सविंभ्रतीं
भूषणैर्व्याप्तागीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत् ||
Om sauvarnsansansthitaam trinayanam pitamshukollasinim hemabhangruchi
Shshankmukutam sacchmpakstrgyutam . hastaymurdgarpaashvjrarshnah savimbhratim
Bhushnayvyarptaagim baglamukhim trijagatam sanstambhini chintyet .
माला मंत्र :-
ॐ नमो भगवती, ॐ नमो वीरप्रतापविजय भगवती, बगलामुखी!
मम सर्वनिन्दकानाम् सर्वदुष्टानाम वाचम् मुखम् पदम् स्तम्भय,
जिव्हाम मुद्रय मुद्रय, बुद्धिम् विनाशय विनाशाय, अपरबुद्धिम कुरु,
कुरु, अत्मविरोधिनाम् शत्रुणाम् शिरो, ललाटम् मुखम्, नेत्र, कर्ण,
नासिकोरू, पद, अणु-अणु, दन्तोष्ठ, जिव्हा, तालु, गुह्य, गुदा, कटि,
जानु, सर्वांगेषु केशादिपादान्तम् पादादिकेश्पर्यन्तम् , स्तम्भय स्तम्भय,
खें खीं मारय मारय, परमंत्र, परयंत्र, परतन्त्राणि, छेदय छेदय, आत्ममन्त्रतंत्राणि
रक्ष रक्ष, ग्रहम निवारय निवारय , व्याधिम् विनाशय विनाशय, दुखम् हर हर,
दारिद्रयम् निवारय निवारय, सर्वमंत्रस्वरूपिणि, दुष्टग्रह, भूतग्रह, पाषाणग्रह,
सर्वचाण्डालग्रह, यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह, भूतप्रेत पिशाचानाम्, शाकिनी
डाकिनीग्रहाणाम, पूर्वदिशम् बंधय बंधय, वार्ताली! माम् रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशम् बंधय
बंधय किरातवार्ताली! माम् रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशम् बंधय बंधय, स्वप्नवार्ताली! माम्
रक्ष रक्ष, उत्तरदिशम् बंधय बांधय भद्रकालि! माम् रक्ष रक्ष, ऊर्ध्व दिशम् बंधय
बंधय उग्रकाली! माम् रक्ष रक्ष, पाताल दिशम् बंधय बंधय बगला परमेश्वरी! माम्
रक्ष रक्ष, सकल रोगान् विनाशय विनाशय, शत्रु पलायनम् पंचयोजनम्ध्ये
राजजनस्वपचम् कुरु कुरु, शत्रून दह दह, पच पच, स्तम्भयस्तम्भय, मोहय मोहय,
आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय हुम् फट् स्वाहा |
Om namo bhagvati, om namo virpratapvijay bhagvati ,baglamukhi !
Mum sarvnindkanam sarvdushtanam mukham padam stambhay
Jivham mudray mudray buddhim vinashay vinashay aparbuddhim
Kuru kuru aatmvirodhinam shatrunam shiro lalatam mukham netra karn
Nasikoru pad anu-anu dantoshth jivha talu guha guda kati janu sarvangeshu
Keshadipadantam padadikeshparyantam stambhay stambhay, kem khim
Maray maray parmantra paryantra partantrani cheday cheday aatmamantratantrani
Raksh raksh , graham nivaray nivaray sarnmantraswarupini dushtgrah, bhutgrah, paashangrah,
Sarvchandalgrah, yakshkinnarkimpurushgrah , bhutpret pishachanam , shakini
Dakinigrahanam purvdisham bandhay bandhay, vaartaali maam raksh raksh, dakshindisham bandhay
bandhay swapnvaartaali maam raksh raksh, paschimdisham bandhay bandhay, ugrakaali maam raksh
raksh, paataaldisham bandhay bandhay, baglaa parmeshwari maam raksh raksh, sakal rogan
Vinaashay vinaashay, shatru palaayanam panchyojanmadhye rajajanaswapacham kuru kuru,
Shatroon dah dah, pach pach, stambhay stambhay, mohay mohay, aakarshay aakarshay, mam
Shatroon ucchaatay ucchaatay, hum fat swaha.”
चूँकि ये माला मन्त्र साधना है अतः इसमें हवन विधान नहीं है , तथा पूर्णाहुति के लिए अंतिम दिवस बेसन के लड्डुओं का भोग लगाकर पूर्ण विधि विधान से पूजन आरती संपन्न करें व तीन पांच या नौ कन्याओं को भोजन वस्त्र व दक्षिणा देकर विदा करें |
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
रजि
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