महामाया यन्त्र
सभी कर्म को जिताने वाला 1 एक यन्त्र राज
आज आपको महामाया यन्त्र राज के बारे मे बताने जा रहा हो जिसको सिर्फ 1 प्रोयग कर सफल किया जासकता है
और बुद्धि अनुसार प्रोयग करने पर कोई भी आपको परास्त नही कर पाये गा ऐसा मेरे द्वारा निर्माण कर लोगो ने पहन खुद कई अचम्भव बाते बताइ ह मे कुश हो की मेरे द्वारा दिए गए लोगो के काम पूरा हो रहा ह इसलिये जनहित के लिए पूरे विधि विधान द्वारा आप को दे रहा हो इसलिए इसका उपयोग कर लाभ उठाये नौकरी में प्रमोशन का विषय होघर का विवाद सुलझाना होपत्नी या पति को अनुकूल बनाना होघर का कोई सदस्य गलत मार्ग पर जा रहा हो,
और उसे सही मार्ग पर लाना होव्यवसाय का कोई महत्वपूर्ण सहमती पत्र चाहिएनौकरी के लिए साक्षात्कार में सफलता पाना होपड़ोसियों को अपने अनुकूल बनाना होसमाज और खेल में प्रतिष्ठा अर्जित करनी हो सभी काम मे उपयोग करे
कृष्ण पक्ष के किसी भी शुक्रवार से इस साधना को प्रारंभ करके अगले शुक्रवार तक करना है. समय रात्रि का मध्यकाल होगा. लाल वस्त्र,और लाल आसन प्रयोग करना है .
पश्चिम दिशा की और मुखकरके मंत्र जप होगा.सिद्धासन या वज्रासन का प्रयोग करना ह
जमीन को पानी से धोकर साफ़ कर लीजिए और उस पर एक त्रिकोण जो अधोमुखी होगा कुमकुम से उसका निर्माण कर लीजिए.
यन्त्र नीचे दीगयी आकृति के समान ही बनेगा. मध्य में एक मिटटी काऐसा पात्र स्थापित होगा, जिसमे अग्नि प्रज्वलित हो रही होगी.
यन्त्र निर्माण के बाद सद्गुरुदेव तथा भगवान गणपति का पूजन होगा. और ठीक इसी प्रकार 1 शुद्ध भोज पत्र पर अपना नाम सहित यन्त्र बने गा और भोज पत्र का यन्त्र उसी अग्नि के नीचे रखा जाये गा
पूजन के पश्चात हाथ में जल लेकर माया शक्ति की प्राप्ति का संकल्प तथा विनियोग करना है और निम्न ध्यान मंत्र का ७ बार उच्चारण करना है
विनियोग
अस्य माया मन्त्रस्य परब्रम्ह ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः परशक्ति देवता पुष्कर बीजं माया कीलकं पूर्ण माया प्रयोग
सिद्धयर्थे जपे विनियोगः
धयान लगाये
तापिच्छ-नीलां शर-चाप-हस्तां सर्वाधिकाम् श्याम-रथाधिरुढाम्Iनमामि रुद्रावसनेन लोकां सर्वान् सलोकामपि मोहयंतिम्II
ध्यान मंत्र के बाद देवी का पूजन कुमकुम से रंगे अक्षतों और लाल जवा पुष्पों से करना है,गूगल की धुप और तेल का दीपक प्रज्वलित करना है.
नैवेद्य में खीर अर्पित कर दे .
और त्रिकोण के प्रत्येक कोनों पर एक-एक धतूरे का फल स्थापित कर द
ह्रीं” बीज से २१ बार प्राणायाम करे ,और इसके बादगूगल,लोहबान मिलाकर मूल मन्त्र बोलते हुए यन्त्र के मध्य में स्थापित अग्निपात्र में सूकरी मुद्रा से आहुति दे.
इस प्रकार २१६ मन्त्र का उच्चारण करते हुए आहुति दें. और जप के बाद ध्यान मंत्र का पुनः ७ बार उच्चारण करें. खीर को कही एकांत स्थान पर पत्तल में डाल कर रख दें.
मन्त्र
ओं ह्रीं भू: ह्रीं भुवः ह्रीं स्वः ह्रीं शिवान्घ्री युग्मे विनिविष्टचित्तं सर्वेषां दृष्टयो हृदयस्य बालम् रिपुणाम् निद्रां विवशम् करोति महामाये मां परिरक्ष नित्यं ह्रीं स्वः ह्रीं भुवः ह्रीं भू: ओं स्वाहाII
यही क्रम आपको आगामी शुक्रवार तक नित्य करना है. और भोज पत्र पर बना हुआ यन्त्र किसी चांदी की त्रिमुख वाली मे पहन ले
इसके बाद जब भी आपको किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाना हो , मन्त्र को ७ बार बोलकर हाथो पर फूक मार ले और हाथ को पूरे शरीर पर फेर ले. आप खुद ही प्रभाव देखकर आश्चर्यचकित हो जायेगे.
अगर आप इस ताबीज को सिद्ध ना कर पाये तो हमसे अपने नाम द्वारा सिद्ध करा के पहन सकते ह जरूर लाभ उठाये आप लोग किसी भी छेत्र मे
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
No comments:
Post a Comment