नए साधक साधिका
जो भी नए साधक साधिका है वो चंद्रमा की कलाओं ओर घटते बढ़ते क्रम के अनुसार साधक साधिका स्वयं में कभी इन अंतरों को महसूस किया है या आपके गुरु ने बताया है।
साधक में बदलाव :-
नासिक क्रम,पंजो का धरती पर क्रम,नाभि की चौड़ाई,हिरदय क्रम ,आसन में बैठने का समय,मंत्रोच्चार की शुद्धता,ओर लिंग नाड़ी की अवस्तिथि।
साधिका में बदलाव:-
नासिक क्रम, नाभि की अवस्तिथि,स्तनों की आपस मे दूरी, मस्तक के माध्यम में उत्पन्न भार, योनि में कसावट ओर आकृति,कंठ की नाड़ी,ओर घुटनो का आपस मे दूर, साधना में बैठने का कुल समय।
हालांकि ये उच्च स्तर के साधक साधिका इन बदलावों को चरण पहचान जाते है मगर निम्न ओर माध्यम साधक साधिका गहराई से इनके बदलाव देखे या अपने गुरु से इस बारे में चर्चा कर।
इसीलिए अधिकांश साधना रात में ओर रात में भी अमावस्या या पूर्णिमा में कई जाती है और कुछ अति महत्व पूर्ण साधना ग्रहण काल मे की जाती है।
इसलिए ध्यान रखना चंद्रमा की कलाओं के समय का हर साधना में बहुत फर्क पड़ता है क्योंकि ये समस्त सारीरिक क्षमताओं को बदल देता है।
समझना अच्छे से।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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