बगलामुखी :-
ऊं ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा
इस मंत्र का पुरश्चरण एक लाख जप है। जपोपरांत चंपा के पुष्प से दशांश होम करना चाहिए। इस साधना में पीत वर्ण की महत्ता है। इंद्रवारुणी की जड़ को सात बार अभिमंत्रित करके पानी में डालने से वर्षा का स्तंभन होता है।
सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए एकांत में एक लाख बार मंत्र का जप करें। शहद व शर्करायुत तिलों से होम करने पर वशीकरण, तेलयुत नीम के पत्तों से होम करने पर हरताल, शहद, घृत व शर्करायुत लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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