Friday, April 24, 2020

भैरव-उपासना की दो शाखाएं






भैरव-उपासना की दो शाखाएं- 


बटुक भैरव तथा काल भैरव के रूप में प्रसिद्ध हुईं। जहां बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में विख्यात हैं वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक के रूप में प्रसिद्ध हुए।

● पुराणों में भैरव का उल्लेख ●

तंत्रशास्त्र में अष्ट-भैरव का उल्लेख है –

असितांग-भैरव, रुद्र-भैरव, चंद्र-भैरव, क्रोध-भैरव, उन्मत्त-भैरव, कपाली-भैरव, भीषण-भैरव तथा संहार-भैरव।

कालिका पुराण में भैरव को नंदी, भृंगी, महाकाल, वेताल की तरह भैरव को शिवजी का एक गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण में भी

महाभैरव, संहार भैरव, असितांग भैरव, रुद्र भैरव, कालभैरव, क्रोध भैरव ताम्रचूड़ भैरव तथा
चंद्रचूड़ भैरव नामक आठ पूज्य भैरवों का निर्देश है।

इनकी पूजा करके मध्य में नवशक्तियों की पूजा करने का विधान बताया गया है। शिवमहापुराण में भैरव को परमात्मा शंकर का ही पूर्णरूप बताते हुए लिखा गया है -

भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्य परात्मन:।
मूढास्तेवै न जानन्ति मोहिता:शिवमायया॥

जय श्रीकाल भैरव 🙏

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(रजि.)

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