कालसर्प दोष राशिनुसार करें नागदेव की आराधना
।।ॐ नवकुलाय विद्महे, विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात।।
संपूर्ण पृथ्वी का भार संभालने वाले शेषनाग व भगवान शिवजी के गले में शोभायमान नाग महाराज को हमारे पूर्वज, देव, दानव व किन्नर सभी पूजते हैं।
नाग महाराज का पूजन करने से समस्त प्रकार के कष्ट खत्म हो जाते हैं। जिस व्यक्ति को राहु-केतु की दशा या महादशा चल रही हो, कालसर्प दोष हो उस जातक को प्रसिद्ध शिवलिंग पर नाग-नागिन का चांदी अथवा पंचधातु का जोड़ा चढ़ाना चाहिए। समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
दोष-निवारण के लिए सिर्फ नागपंचमी पर ही नहीं बल्कि साल भर नाग देवता की राशि अनुसार स्तुति कर सकते हैं -
मेष- ॐ वासुकेय नमः
वृषभ- ॐ शुलिने नमः
मिथुन- ॐ सर्पाय नमः
कर्क- ॐ अनन्ताय नमः
सिंह- ॐ कर्कोटकाय नमः
कन्या- ॐ कम्बलाय नमः
तुला- ॐ शंखपालय नमः
वृश्चिक- ॐ तक्षकाय नमः
धनु- ॐ पृथ्वीधराय नमः
मकर- ॐ नागाय नमः
कुंभ- ॐ कुलीशाय नमः
मीन- अश्वतराय नमः
विशेष :
भगवान शिव की आराधना से नागदेव प्रसन्न होकर हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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