धूत विजय करक प्रयोग
जो लोग जुआ , सट्टा , मटका , रेसकोर्स , इत्यादि खेलने के शौक़ीन हों अथवा जिन्होंने इस शौक को ही अपना व्यापार बना रखा हो तो जुए इत्यादि में निरंतर सफलता प्राप्त के लिए उन्हें इस प्रयोग को अवशय ही सम्पन्न कर के लाभ उठाना चाहिए .
सामग्री ;;----- स्वर्णाकर्षण गुटिका ( मंत्र सिद्धि प्राण -
प्रतिष्ठित ) तेल का दीपक
माला ;-- विद्दुत माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )
समय ;-- रात का कोई भी समय
दिन ;;--- शुक्रवार
धारणीय वस्त्र ;;---- सफ़ेद रंग की धोती
आसन ;;-- सफ़ेद रंग का सूती आसन
दिशा ;;--- उत्तर
जाप संख्या ;;-- इक्कीस हजार ( २१००० )
अवधि -- इस्क्किस दिन
मंत्र ;;-----
'' ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि नमः '''
प्रयोग विधि ;;---
किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह प्रयोग करें . अपने दाहिने हाथ में स्वर्णाकर्षण गुटिका लेकर उसे पहले भली प्रकार से देखें , फिर सामने रख कर तेल का दीपक लगाकर उपरोक्त मंत्र का इक्कीस हजार जाप करें , जप के बाद इक्कीस दिनों में वह स्वर्णाकर्षण गुटिका गुटिका सिद्धि हो जाती हैं .
जब यह गुटिका सिद्धि हो जाये तो जब भी किसी जुए में जावें अथवा जुआ खेले या रेसकोर्स में जाये तो इस स्वर्णाकर्षण गुटिका को अपनी जेब में रखकर ले जाने से सफलता प्राप्त हो सकती हैं ,
नोट -
साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.
.चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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