Monday, December 3, 2018

सर्व जन अनुकूल सर्व मोहन कारक यन्त्र साधना





सर्व जन अनुकूल सर्व मोहन कारक यन्त्र साधना


हर व्यक्ति चाहता हैं की वह लोक प्रिय हो, समाज मे उसका आदर हो ,वह जहाँ जाए लोग उसके सानिध्य मे रहना चाहे और सभी के स्नेह का पात्र हो .पर कैसे यह संभव हो जबकि चारो तरफ अब सिर्फ एक गुण का ही परिचम लहरा रहा हैं और वह हैं धन ...

आजादी के चंद साल पहले तक जिनका भी चरित्र उच्च रहता था या था या होता था , ज्ञानवान भी रहा तो वह पुरे समाज का स्वत ही आदर का पात्र रहा , धनी से धनी व्यक्ति भी उसका आदर करता था , अब बस इतना हो गया हैं की चरित्र की जगह धन ने ले ली हैं .

कोई खास बदलाव नही हैं पर .. इस कारण समाज मे आज जो कुछ हैं या जो हुआ हैं वह हम और आप जानते समझते हैं .

पर एक दिन या महीने मे तो धन लाकर यह अवस्था नही लायी जा सकती हैं . तो अब दूसरा रास्ता बचता हैं की किसी पर मोहन या वशीकरण प्रयोग करे ..पर कितनो पर यह प्रयोग किये जा सकते हैं जबकि दिन प्रतिदिन के जीवन मे अनेको लोगों से मिलना होता हैं .

तो क्यों नही साधना का एक ऐसा विधान कर लिया जाए तो स्वतः हम मे ही आकर्षण पैदा कर दे . लोग हमे देखें और स्वत ही हमारे अनुकूल होते जाए बेवजह हमारे लिए समस्याए न पैदा करें और अनुकूलता भी दे अगर ऐसा होता हैं तो यह भी कोई चमत्कार से कम थोड़ी न हैं .

पर इसके लिए तो कितना न साधना करनी पड़ेगी .हालाकि साधना से बचने की बात नही हैं , सदगुरुदेव जी ने तो एक से एक उच्च कोटि के प्रयोग हमारे मध्य अनेको को सम्पन्न कराये हैं कुछ तो ब्रह्माण्ड वशीकरण प्रयोग , समपूर्ण चराचर वशीकरण प्रयोग ,ऐसे भी प्रयोग जिन्हें भगवान श्री कृष्ण और भगवान बुद्ध ने समपन्न कर के समपूर्ण विश्व को अपने वशीभूत मे कर लिया .

पर हम उन प्रयोगों को एक सामान्य सा ही समझते रहे या यूँ कहूँ की विश्वास की कमी की ऐसा भी हो सकता हैं ...यही हमारी नुय्नता रही . पर अब समय हैं की उन प्रयोगों को समझे .

पर आज जब समय की आत्याधिक कमी हैं तब यन्त्र विधान की साधनाए हमारे लिए वरदान सिद्ध हो सकती हैं यदि पुरे विश्वास के साथ इनको करते हैं .

इस यंत्रके निर्माण के नियम इस प्रकार हैं .

किसी भी शुभ दिन या पर्व मे इसका निर्माण कर सकते हैं .

इस यंत्र को भोज पत्र ही बनाया जा सकता हैं .
प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके यह कार्य समपन्न करें.

वस्त्र और आसन पीले रंग के हो कहीं ज्यादा उचित होगा .दिशा उत्तर की उचित होगी .

स्याही इस यंत्रलेखन के लिए –

लालचंदन ,गोरोचन ,केशर और कस्तूरी से मिला कर बनायी गयी हो .

यंत्र लेखन के लिए चमेली की लकड़ी का प्रयोग करें .
यंत्र निर्माण के बाद तीन दिन तक इसका पूजन करना हैं .
इस दौरान (इन तीन दिनों मे) ब्रम्हचर्य का पालन करे .
इसके बाद इस यन्त्र को त्रिलोह के ताबीज के अंदर रख कर अपनी भुजा मे धा रण कर लेना हैं , जब तक यह यंत्र आप धारण करे रहेंगे तब तक आप इसका प्रभाव स्वत अनुभव करते रहेगे .

अब यंत्र का तीन दिन धूप दीप से पूजन करना हैं और सदगुरुदेव पूर्ण पूजन , गुरू मंत्र का जप किस प्रकार करना हैं और सारी प्रक्रिया के प्रारम्भ और अंत मे क्यों अनिवार्य रूप से पाठ किया जाता हैं बार बार लिखने की आवश्यकता नही हैं यह तो सभी आप ,पहले से ही परिचित हैं .

दक्षिणा शुल्क 1500 रू +डाक व्यय

चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

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