Tuesday, January 29, 2019

हेरम्ब गणपति साधना




हेरम्ब गणपति साधना

रोग, चिंता, सर्वदुःख निवारण के लिए 

रोग, चिंता, मानसिक तनाव आदि मानव जीवन का अभिशाप है, जो अच्छे-भले चल रहे जीवन में विष घोल देता है। रोग छोटा या बड़ा कोई भी हो, 

यदि उसका समय पर निवारण न किया जाए, तो मनुष्य की समस्त कार्यशक्ति क्षीण हो जाती है, और वह कुछ भी नहीं कर पाता है, दूसरों की दया दृष्टी पर निर्भर होकर मात्र पंगु बनकर रह जाता है। 

आज जिस वातावरण में हम सांस ले रहे है, इसमे मनुष्य का रोगी होना स्वाभाविक है। जहां न शुद्ध वायु है, न जल है, और न ही शुद्ध भोजन है, ऐसी स्थिति में रोगी होना कोई आश्चर्यजनक नहीं। इसलिए मधुमेह, ह्रदय रोग, टी. बी. आदि असाध्य रोग तीव्रता से हो रहे है।

हेरम्ब गणपति साधना आरोग्य एवं मानसिक शांति प्राप्ति का एक सुंदर उपाय है, इसके प्रभाव से जहां कायाकल्प होता है, वहीं साधक में एक संजीवनी शक्ति का संचार होता है, जिससे उसे कैसा भी भयंकर रोग हो, उस पर नियंत्रण प्राप्त कर वह स्वस्थ, यौवनवान बन जाता है।

आप प्रातः स्नान आदि नित्य क्रिया के बाद अपने पूजा स्थान में पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। धुप और दीप जला लें। अपने सामने पंचपात्र में जल भी ले लें। 

इन सभी सामग्रियों को आप चौकी पर रखें जिस पर लाल वस्त्र बिछा हुआ हो। पहले स्नान, तिलक, अक्षत, धुप, दीप, पुष्प आदि से गुरु चित्र का संक्षिप्त पूजन करें। उसके बाद गुरु मंत्र की दो माला जप करें।

गणपति पूजन

फिर गुरु चित्र के सामने किसी प्लेट पर कुंकुम या केसर से स्वस्तिक चिन्ह बनाकर 'हेरम्ब गणपति यंत्र' को स्थापित करें।

दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें -

ॐ गनाननं भूत गणाधिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारू भक्षणं ।
उमासुतं शोकविनाशकरकंनमामि विघ्नेश्वर पंड़्क्जम ॥

फिर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन करें -

ॐ गं मंगलमूर्तये नमः समर्पयामी ।
ॐ गं एकदन्ताय नमः तिलकं समर्पयामी ।
ॐ गं सुमुखाय नमः अक्षतान समर्पयामी ।
ॐ गं लम्बोदराय नमः धूपं दीपं अघ्रापयामी , दर्शयामि ।
ॐ गं विघ्ननाशाय नमः पुष्पं समर्पयामी ।

इसके बाद अक्षत और कुंकुम से निम्न मंत्र बोलते हुए यंत्र पर चढाएं -

ॐ लं नमस्ते नमः । ॐ त्वमेव तत्वमसि । ॐ त्वमेव केवलं कर्त्तासि ।
ॐ त्वमेवं केवलं भार्तासि । ॐ त्वमेवं केवलं हर्तासी । 

फिर 'हेरम्ब माला' से निम्न मंत्र की ५ माला ११ दिन तक जप करे -

ॐ क्लीं ह्रीं रोगनाशाय हेरम्बाय फट

इस साधना को करते समय मे बडि विचित्र अनुभूतिया देखनि मिल सकति है.ज्यो किसीके पास plz share मत किजिये.

नोटः-

शुद्ध उच्चारण के साथ किसी साधक के मार्गदर्शन में इन मंत्रों का प्रयोग करना ही लाभकर होगा।यदि किसी भी प्रकार की दिक्कते हो,तो मुझसे सम्पर्क कर सकते है।

आप सभी को मेरी शुभकामनाएं साधना करें साधनामय बनें......

साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.

.चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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