बगलामुखी साधना :
सरल अनुष्ठान विधि
बगलामुखी साधना स्तम्भन की सर्वश्रेष्ट साधना मानी जाती है.यह साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में अनुकूलता के लिए की जाती है.:-
शत्रु बाधा बढ़ गयी हो.
कोर्ट में केस चल रहा हो.
चुनाव लड़ रहे हों.
किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्ति के लिए .
सरल अनुष्ठान विधि :-
पीले रंग के वस्त्र पहनकर मंत्र जाप करेंगे .
आसन का रंग पिला होगा.
साधना कक्ष एकांत होना चाहिए , जिसमे पूरी नवरात्री आपके आलावा कोई नहीं जायेगा.
यदि संभव हो तो कमरे को पिला पुतवा लें.
बल्ब पीले रंग का रखें.
ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है,
साधनाकाल में प्रत्येक स्त्री को मातृवत मानकर सम्मान दें
हल्दी या पिली हकिक की माला से जाप होगा, यदि व्यवस्था न हो पाए तो रुद्राक्ष की माला से जाप कर सकते हैं.
उत्तर दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.
साधना करने से पहले किसी तांत्रिक गुरु से बगलामुखी दीक्षा ले लेना श्रेष्ट होता है.
पहले दिन जाप से पहले हाथ में पानी लेकर कहे की " मै [अपना नाम लें ] अपनी [इच्छा बोले] की पूर्ति के लिए यह जाप कर रहा हूँ, आप कृपा कर यह इच्छा पूर्ण करें "
पहले गुरु मंत्र की एक माला जाप करें फिर बगला मंत्र का जाप करें.
अंत में पुनः गुरु मंत्र की एक माला जाप करें.
नौ दिन में कम से कम २१ हजार मन्त्र जाप करें. ज्यादा कर सकें तो ज्यादा बेहतर है.
अपने सामने माला या अंगूठी [जो आप हमेशा पहनते हैं ] को रख कर मन्त्र जप करेंगे तो वह मंत्रसिद्ध हो जायेगा और भविष्य मे रक्षाकवच जैसा कार्य करेगा.
ध्यान :-
मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्नवेदिम सिम्हासनो परिगताम परिपीत वर्णाम ,पीताम्बराभरण माल्य विभूषिताँगिम देवीम स्मरामि घृत मुद्गर वैरी जिह्वाम ||
मंत्र :-
|| ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं फट स्वाहा ||
विशेष :-
बगलामुखी प्रचंड महाविद्या हैं , कमजोर दिल के साधक और महिलाएं व् बच्चे बिना गुरु की अनुमति और सानिध्य के यह साधना न करें.
Note:-
अगर आप योग से सम्बंधित किसी भी विषय पर जानना चाहते तो नीचे लिखे दिए दिये पते पर संपर्क करे |
साधना प्रायोग से सम्बंधित जानकारी के लिए फ़ोन पर बात करें .
आपको कहीं भी नहीं मिलने वाली अगर आप को कहीं मिल भी जाती है तो उसकी सही विधि और सही विधान नहीं मिलेगा यह साधना केवल गुरु मुख और गुरुद्वारा ही मिल सकता है
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
( रजि )
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