Thursday, January 31, 2019

भैरवी चक्र साधना






भैरवी चक्र साधना:


इस साधना को ७ दिनों में पूरा किया जाता है। इस साधना में सबसे कम उम्र के भैरव को शिव स्वरुप मान के शिव की आसन पे बिठाया जाता है और सब से कम उम्र की भैरवी को माँ काली का स्वरुप मान कर काली के आसन पर बिठाया जाता है।

 यह क्रिया रात्रि १० बजे के बाद शुरू की जाती है। इसमें सभी भैरव और भैरवी दिगंबर रूप से साधना करते हैं।

 इस साधना के पुरोहित को कौलाचार्य कहते है और उनके आदेश को शिव का आदेश समझ कर यह साधना की जाती है। वहा अगर वो धर्म विरुद्ध बात भी कहें तो उसे वेदतुल्य समझा जाता है।

तत्पश्चात कौलाचार्य उस भैरव और भैरवी की पूजा शुरू करते हैं जिसे शिव और काली के रूप में स्थापित किया जाता है। 

भाग्यवश कम उम्र होने के कारन इस पूजा में उस शिव रूप का स्थान मुझे ही मिला था एवं भैरवी रूप में शिवानी नामक एक बंगाली साध्वी को माँ काली का रूप मिला था।

७ दिनों तक यह क्रिया रात्री १० बजे से सुबह ३ बजे तक की जाती थी। इस क्रिया को बोहत सारे भैरव, भैरवी पूरा करने में विफल रहे।

 पर माँ की कृपा से मैंने इसे दूसरी बार में ही पूरा कर लिया। इस साधना में अघोर भैरव और भैरवी मंत्र का प्रयोग किया जाता है जो की किसी गुरु की सहायता से ही करना चाहिए अन्यथा अनर्थ भी हो सकता है।

भैरव चक्र साधना:

यह साधना ३ दिन में पूरा किया जाता है। इस साधना को उस शमशान में पूरा किया जाता है जहा पर कम से कम नित्य एक शव जलता रहता हो। 

कामख्या और ब्रम्हपुत्र नदी के समीप एक शमशान में अष्टमी की रात को यह साधना सभी भैरवो ने शुरू की। इस साधना में भैरवी का प्रवेश निषेध होता है। 

यह साधना रात्री १२ बजे के बाद शुरू की जाती है और ब्रम्ह मुहूर्त तक चलती है। इस साधना में प्रथम दिन स्नान करने के बाद पूरे शरीर में भभूत लगा कर ३ दिनों तक शम्शाम में ही शिव के अघोर रूप में वास किया जाता है।

 इसमें प्रथम दिन भैरव के आकर्षण मंत्र मौरंग दौरंग मंत्र का जाप किया जाता है. दुसरे दिन झांग झांग झांग हांग हांग हांग हेंग हेंग महामंत्र से सभी क्रियाएँ की जाती हैं।

 फ़िर तीसरे दिन शमशान भैरव के महा मंत्र से साधना करने के बाद इस भैरव साधना का विसर्जन किया जाता है। 

भैरव साधना के बिना कोई भी वाम मार्गी पुरूष साधक नही हो सकता। जो साधक इस साधना को सफलता से पूरा कर लेता है उसके इक्षा मात्र से भक्तो के कष्ट दूर हो जाते हैं। 

अतः इसकी तांत्रिक साधना में बहुत महत्व है अतः आम लोगो से गुप्त रखा जाता है।

कामख्या योनी पूजा:

यह क्रिया १ दिवसीय होती है। इस पूजा में भैरव और भैरवी का होना अति आवश्यक होता है। तंत्र में योनी को ही श्रृष्टि का मुख्या द्वार बताया गया है। 

इसलिए जो उत्तम साधक होते हैं वह अपने किसी तांत्रिक साधना को करने से पहले योनी साधना अवश्य करते हैं।

 जो योनी का आदर नही करते उनपर माँ कभी प्रसन्न नही होती। इस पूजा की विधि को जान ने के लिए किसी वामाचार्य के पास जाना पड़ता है।यह भी गुप्त क्रिया है.

आप सभी को मेरी शुभकामनाएं साधना करें साधनामय बनें......

साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.

.चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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