Saturday, January 19, 2019

सुर - सुन्दरी साधना







सुर - सुन्दरी साधना .


रावण संहिता की सबसे दिव्य साधनाओं में से एक अति शक्तिशाली और तीव्र फलगामी साधना हम यहाँ दे रहे हैं
भूतडामर तंत्र के अनुसार इस योगिनी की कृपा से ही कुबेर धनवान बने थे

योगिनीयों में सर्व प्रधान है सुरसुन्दरी है इनकी साधना करने वाले के पास जीवन में कोई कमी नही रहती, वो सर्व शक्तिशाली और विद्वान बन जाता है सुरसुन्दरी जीवन उसके साथ रहकर उसकी आग्या का पालन करती है..

समाग्री : - 

सुरसुन्दरी यंत्र सुन्दरी गुटिका . सफेद हकीक माला . प्राण - प्रतिष्ठा युक्त मंत्र - सिद्धी चेतान्या . 

 सुरसुन्दरी की साधना इस तरह से है
सबसे पहले प्रातः काल में स्नान करके शुद्ध होकर
आसन पर बैठे

और 

"ऊँ हौं" 

इस मन्त्र से आचमन करे
आचमन के बाद

 " ऊँ हुं फट् "

 इस मन्त्र से दिग्बन्धन करें

फिर मूल मन्त्र से प्राणायाम करके करऩ्गन्यास करें
अष्टदल पद्म अंकित करके जीवन्यास करें
चौकी पर अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सुरसुन्दरी का ध्यान करें

ये ध्यान का मंत्र है

" पूर्ण चंद्र निभां गौरीं विचित्राम्बरधारिणीम् "
" पीनोतुंगकुचां वामां सर्वेषाम् अभयप्रदाम "

इस प्रकार ध्यान करके मूल मंत्र से पाद्यादि द्वारा धूप दीप नैवेद्य और गुलाब के फूलों से पूजा करें

इस मंत्र का जप करें ये ही मूल मंत्र है

" ऊँ ह्रीं आगच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा "

सुबह, दोपहर और शाम इन तीनों यमय में एक एक हजार जप करना है इसी मंत्र का
किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक साधना करनी है

अर्ध रात्रि को देवी साधक के पास आती है हो सकता है वो आपकी परीक्षा भी ले
साधक देवी को सन्मुख प्रसन्न देखकर चन्दन और पुष्प द्वारा अर्घ्य दे

और अपना वर मांगे, उस समय साधक देवी को माता, बहन या पत्नी कहकर संबोधन करे

साधक यदि सुरसुन्दरी को माता मानेगा तो देवी साधक को मनोहर द्रव्य प्रदान करती है और उसे राजा तक बना देती स्वर्ग और पाताल से जो चाहे वस्तु लाकर देती है, और प्रतिदिन देवी साधक के निकट आकर उसका पुत्र के समान पालन करती है

यदि साधक देवी को बहन माने तो वो कई तरह के दिव्य पदार्थ और दिव्य वस्त्र प्रदान करती है तथा देवकन्या और नागकन्या लाकर देती है, भूत भविष्य वर्तमान सब बताती है

यदि साधक देवी को पत्नी माने तो संसार में वो सबसे शक्तिशाली हो जाता है कोई उसे नुकसान नही पहुंचा सकता, वो साधक स्वर्ग, मर्त्य और पाताल में बेरोक टोक जाने की शक्ति पा लेता है

और देवी जो सब शकेतियां साधक को देती है उसका वर्णन नही किया जा सकता
साधक उनके साथ सुख संभोग करता हुआ समय बिताता है, इस प्रकार देवी भार्या रूप में पाने के बाद साधक दूसरी स्त्री की चाह ना करे नही तो देवी क्रोधित होकर साधक का नाश कर देती है

यह विधि पूर्ण निष्ठा पर लाभ देती ह.

नोट -

       साधना प्रायोग से सम्बंधित जानकारी के लिए फ़ोन पर बात करें .

आपको कहीं भी नहीं मिलने वाली अगर आप को कहीं मिल भी जाती है तो उसकी सही  विधि और सही विधान नहीं मिलेगा यह साधना केवल गुरु मुख और गुरुद्वारा ही मिल सकता है 

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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