प्रचंड भगवती धूमावती साधना
प्रचंड भगवती धूमावती तंत्र की सातवी महाविद्या के रूप जगत में प्रसिद्धि हैं . दतिया मध्य प्रदेश में माँ बंगलामुखी सिद्धि पीठ के के समीप ही भगवती धूमावती का भी स्थान हैं .
माँ भगवती धूमावती का साधना प्रयोग इस प्रकार हैं .
धूमावती मुखं पातु धूं धूं स्वाहास्वरूपिणी |
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी ||
कल्याणी ह्रदयपातु हसरीं नाभि देशके |
सर्वांग पातु देवेशी निष्कला भगमालिना ||
सुपुण्यं कवचं दिव्यं यः पठेदभक्ति संयुतः |
सौभाग्यमयतं प्राप्य जाते देवितुरं ययौ ||
॥ धूं धूं धूं धूमावती स्वाहा॥
मंत्र जाप संख्या : - सवा लाख
दिशा :- दक्षिण
स्थान :- शमशान , शिवालय , सिद्धि पीठ , या निर्जन स्थान ,
समय :- रात्रि
दिन ;- शनिवार / या धूमावती जयंती
आसन :- सफ़ेद
वस्त्र :- काले रंग की धोती , कला वस्त्र , काला कम्बल ,
हवन :- ( दशांश ) हवन
विधि :-
मोहनी एकादशी या किसी भी शुक्रवार को स्नान आदि से निवित्र होकर कांशे की थाली में समस्त तांत्रिक पूजन सामग्री स्थापित करके पंचोपचार पूजन करना चाहिए
व्यक्ति विशेष को वश में करने का अथवा सिद्धि का संकल्प लेते हुए , विधि - विधान पूर्वक गुरु - गणेश वंदना करके , मूल मंत्र का जाप करे , . जाप की पूर्णता पर दशांश हवन करके ब्राह्मण , एवं पांच कुवारी कन्यायो को भोजन सहित उपयुक्त दान - दक्षिणा देकर साधना को पूरा करे .इस महत्व पूर्ण सम्मोहनी साधना से साधक का व्यक्तित्व अत्यंत सम्मोहक और आकर्षक हो जाता हैं .उसके संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता .
यदि कोई साधना करने में असमर्थ हो , तो योग्य विद्द्वान द्वारा या साधना सम्पन्न करा के करवाकर सम्मोहनी कवच धारण करके उक्त लाभ प्राप्त कर सकता हैं .
साधना सामग्री :-
सिद्धि अधेर मंत्रो से अभिमंत्रित धूमावती यन्त्र . काले हकीक की या रुद्राक्ष की माला , गुड़हल के फूल , तेल का दीपक नैवेद्य , कपूर ,एवं पूजन की अन्य आवश्यक सामग्री ,.
विधि :-
भय रहित ह्रदय से नदी या तालाब में स्नान आदि से निवृत होकर पूर्ण विधि - विधान से एकाग्र भाव से साधना करें .
मंत्र जाप की समाप्ति पर दशांश यज्ञ हवन करना चाहिए . किसी विशेष प्रयोजन हेतु यदि आप धूमावती साधना अनुष्ठान करने के इच्छुक हैं तो अपनी मनोकामना का स्पष्ट शब्दों में संकल्प करें .
यह देवी साधक के सभी शत्रुओ को समाप्त कर देती हैं . इस देवी का सिद्ध साधक निर्भय हो जाता हैं .
किसी भी जानकारी और शंका के समाधान के लिये कमेन्ट कर सकते है,आपकी कोई भी राय मेरे लिये अमूल्य होगी.
Note:-
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आपको कहीं भी नहीं मिलने वाली अगर आप को कहीं मिल भी जाती है तो उसकी सही विधि और सही विधान नहीं मिलेगा यह साधना केवल गुरु मुख और गुरुद्वारा ही मिल सकता है
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है
विशेष -
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राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
( रजि )
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