Saturday, September 8, 2018

** शाबर लक्ष्मी साधना **




** शाबर लक्ष्मी साधना  **

लक्ष्मी देवी के अनेक रूप अनेको आयाम है किन्तु इन सब में अष्टलक्ष्मी की साधना प्रमुख है .

देवी अष्टलक्ष्मी की साधना से जहा एक और साधक का जीवन दरिद्रता से निकल कर सौभाग्य के ओर जाती है वही उनकी कृपा से साधक अध्यात्म मके छेत्र में भी उच्चइयो को छूता है .

श्री महालक्ष्मी के 8 रूप दो तरह से बताए गए हैं-

(1)

 धनलक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ शौर्य लक्ष्मी/ धैर्य लक्ष्मी/ विद्या लक्ष्मी/विजय लक्ष्मी/ कीर्ति लक्ष्मी/ राज्य लक्ष्मी।

(2)

 आदिलक्ष्मी/ धन लक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ ऐश्वर्य लक्ष्मी/ गज लक्ष्मी/ वीर लक्ष्मी/ विजय लक्ष्मी/ संतान लक्ष्मी। 

श्री महालक्ष्मी यानी विष्णु की शोभा, शक्ति, कांति, श्री! श्री विष्णु की गूढ़ माया शक्ति जब मूर्त होती है तो वह लक्ष्मी रूप में होती है। 

निम्नलिखित मंत्र अनुभूत है इसके कई चमत्कार देखे गए है .वस्तुतः इन प्रयोगों को भिन्न तरीको से भी की गयी है जिसमे इसके पूर्ण चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए है .यह मंत्र लक्ष्मी आवाहन एवं प्रत्याक्चिकरण मंत्र है.

एक निश्चित अवधि में पूर्ण मनोयोग से पूर्ण करने पर आपको धन सम्बंधित सभी समस्याए दूर हो जाती है .धन आगमन के नए नए स्रोत मिलते जाते है .

प्रस्तुत प्रयोग शाबर मंत्र है ,शाबर मंत्रों की सिद्धि के लिए मन में दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है। जिस प्रकार की इच्छा शक्ति साधक के मन में होती है, उसी प्रकार का लाभ उसे मिल जाता है। 

यदि मन में दृढ़ इच्छा शक्ति है तो अन्य किसी भी बाह्य परिस्थितियों एवं कुविचारों का उस पर प्रभाव नहीं पड़ता। आप इस दीवाली पर्व को ऐसे प्रयोग को करके अपना जीवन दीपो की तरह जगमगाए .

प्रयोग विधि -

!! आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ । गले में हार पहनाऊँ । वचनोँ को बाँधो, आवो हमारे पास । पहला वचन श्रीराम का, दूजा वचन ब्रम्हा का, तीजा वचन महा देव का । वचन चूके तो नर्क पड़े । सकल पंच में पाठ करूँ । वरदान नहीं देवे, तो महादेव शक्ति की आन !!

!! aawo laxmi baitho aangan, rori tilak chadhao| gale me haar pahnao| vachno ko bandho, aawo hamare paas| pahla vachan shri ram ka, dooja vachan bramha ka, tija vachan mahadev ka| vachan chuke to nark pade| sakal panch me path karoon| vardan nahi deve to mahadev shakti ki aan !!

=>आसन -ऊनी कम्बल या काला 
     दिशा-उत्तर 
     माला-कमलगट्टा ,रुद्राछ
     मंत्र जाप-५ या ११ माला 

 सर्वप्रथम लक्ष्मी का कोई भी विग्रह स्थापित करले सामने .अब सर्वप्रथम गणेश पूजन ,भैरव पूजन ,शिवशक्ति पूजन उसके पश्चात लक्ष्मी देवी के चित्र को पंचोपचार पूजन करे फिर ,धुप दीप जला दे.

अब गुरुमंत्र का जाप करे ओर फिर गुरुगोराख्नाथ को प्रणाम करके शाबर सुमेरु मंत्र की १ माला जाप करले (इससे पूर्व यदि शाबर सुमेरु  मंत्र का जाप ११ माला कर लिया हो किसी सिद्ध मुहूर्त में तो वो सिद्ध हो जाती है ,इससे विशेष अनुकूलता रहती है साधना में ). 

शाबर सुमेरु के बाद  दिशा बांधने का मंत्र पढ़ ले.इसके बाद उपर लिखित विधि का अनुसरण करे.

यह साधना दीवाली को या किसी  भी अमावस्या  शुरू कि जा सकती है। इसकी ११ माला करके आगे २१ दिनों तक करके ११ माला हवं करे। या ११ माला दीवाली के दिन से शुरू करके १ माला प्रतिदिन अपने दैनिक जीवन में शामिल करले।  

शाबर  गुरु मंत्र-

!! गुरु सठ गुरु सठ  गुरु है वीर ,गुरु साहब सुमरौ  बड़ी भांत ,सिङ्गि  टोरों बन कहौं , मन नाऊ करतार ,सकल गुरु की हर भजे ,घट्टा पाकर उठ जाग  चेत सम्भार श्री परम हंस !!

 दिशा बांधने का मंत्र-

||ॐ वज्र क्रोधाय महा दन्ताय दश दिशों बंध बंध हुं फट स्वाहा||

इसे पढकर सरसों के दाने सभी दिशाओ में फेक दे.

जीवनोपयोगी तथ्य -

१) लक्ष्मि  सूक्त एवं श्री सूक्त के पाठ से घर में लक्ष्मि कि स्थिरता होती है। 

२)सम्पुटित श्री सूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का

 प्रतिदिन पाठ लक्मी को स्थिर करती है एवं घर धन -धन्य में दिन प्रतिदिन आश्चार्यजनक वृद्धि होती है (आप इसकी रिकॉर्डिंग १ हफ्ते तक घर में बजने दे आप इसके आश्चार्यजनक परिणाम से खुद चमत्कृत हो जायेंगे)

राज गुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

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