Sunday, September 16, 2018

योनि स्तुति पाठ




प्रिय साधक~

साधिकाओं माँ कामाख्या जी का योनि रूप में पूजा की जाती हैं और योनि स्तुति सब पापों को मुक्त करती हैं जो इसका नित्य पाठ करता हैं नियमित इसको अधिकतर विद्धान लोग गुप्त रखे हैं.

 पर हम तो ठहरे अघोरी साधको के ज्ञान के लिए सब रहस्य खोल दूँ कई विद्धान बोले की यह गुप्त हैं मत करो सार्वजनिक पर हम कहते हैं की हर गृहस्थ अघोरी नही बन सकता केवल साधरण पूजा पाठ कर सकता हैं।

ऐसे अपने साधक-साधिका के सुविधा के लिए हम दुर्लभ योनि तन्त्र को सबके लिए सुलभ कर रहे हैं हर कोई इसका पाठ करके लाभ उठाये !!!
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नियन~

 योनि स्तुति पाठ के नियम कोई कठिन नही हैं रोज सुबह अपने नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर धूप-दीप जलाकर पाठ करे !!!

      : योनिस्तोत्रम्
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ॐभग-रूपा जगन्माता सृष्टि-स्थिति-लयान्विता ।
दशविद्या - स्वरूपात्मा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।१।।
कोण-त्रय-युता देवि स्तुति-निन्दा-विवर्जिता ।
जगदानन्द-सम्भूता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।२।।
कात्र्रिकी - कुन्तलं रूपं योन्युपरि सुशोभितम् ।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।३।।
वीर्यरूपा शैलपुत्री मध्यस्थाने विराजिता ।
ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।४।।
योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ।
सुखदा मदनागारा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।५।।
काल्यादि-योगिनी-देवी योनिकोणेषु संस्थिता ।
मनोहरा दुःख लभ्या योनिर्मां पातु सर्वदा ।।६।।
सदा शिवो मेरु-रूपो योनिमध्ये वसेत् सदा ।
वैâवल्यदा काममुक्ता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।७।।
सर्व-देव स्तुता योनि सर्व-देव-प्रपूजिता ।
सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं योनिर्मां पातु सर्वदा ।।८।।
सर्व-तीर्थ-मयी योनि: सर्व-पाप प्रणाशिनी ।
सर्वगेहे स्थिता योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।९।।
मुक्तिदा धनदा देवी सुखदा कीर्तिदा तथा ।
आरोग्यदा वीर-रता पञ्च-तत्व-युता सदा ।।१०।।
योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्तंâ य: पठेत् योनि-सन्निधौ ।
शक्तिरूपा महादेवी तस्य गेहे सदा स्थिता ।।११।।

।। इति योनि स्तोत्रं सम्पूर्ण।।

 अंबुवाची पर्व में माता कामाख्‍यादेवी रजस्‍वला हो जाती है । इस के पूर्व इस स्‍तोत्र से उस की सेवा किजीये और देखीये कितने अदभूत चमत्‍कार अपने आप को देखने केा मिलते है ।

राज गुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

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