Sunday, September 16, 2018

मारण मंत्र




मारण मंत्र

अपने शत्रु पर ओझा के द्वारा लोग मारण मंत्र का प्रयोग करवाया करते थे। इसमें मूठ नामक मंत्र का प्रचार कई सदियों तक रहा। इसकी विधि क्रियाएँ थीं लेकिन सबका उद्देश्य यह था कि शत्रु का प्राणांत हो। 

इसलिये मंत्रप्रयोग करनेवाले ओझाओं से लोग बहुत भयभीत रहा करते थे और जहाँ परस्पर प्रबल विरोध हुआ वहीं ऐसे लोगों की माँग हुआ करती थी। जब किसी व्यक्ति को कोई लंबा या अचानक रोग होता था तो संदेह हुआ करता था कि उस पर मंत्र का प्रयोग किया गया है।

 अत: उसके निवारण के लिये दूसरा पक्ष भी ओझा को बुलाता था और उससे शत्रु के विरूद्ध मारण या उच्चाटन करवाया करता था। इस प्रकार दोनों ओर से मंत्रयुद्ध हुआ करता था।

जब संयोगवश रोग की शांति या शत्रु की मृत्यु हो जाती थी तो समझा जाता था कि यह मंत्रप्रयोग का फल है और ज्यों-ज्यों इस प्रकार की सफलताओं की संख्या बढ़ती जाती थी त्यों-त्यों ओझा के प्रति लागों का विश्वास द्दढ़ होता जाता था और मंत्रसिद्धि का महत्व बढ़ जाता था।

 जब असफलता होती थी तो लोग समझते थे कि मंत्र का प्रयोग भली भाँति नहीं किया गया। ओझा लोग ऐसी क्रियाएं करते थे जिनसे प्रभावित होकर मनुष्य निश्चेष्ट हो जाता था। क्रियाओं को इस समय हिप्नोटिज्म कहा जाता है।

मंत्रग्रन्थ

मंत्र, उनके उच्चारण की विधि, विविधि चेष्टाएँ, नाना प्रकार के पदार्थो का प्रयोग भूत-प्रेत और डाकिनी शाकिनी आदि, ओझा, मंत्र, वैद्य, मंत्रौषध आदि सब मिलकर एक प्रकार का मंत्रशास्त्र बन गया है और इस पर अनेक ग्रंथों की रचना हो गई है।

मंत्रग्रंथों में मंत्र के अनेक भेद माने गए हैं। कुछ मंत्रों का प्रयोग किसी देव या देवी का आश्रय लेकर किया जाता है और कुछ का प्रयोग भूत प्रेत आदि का आश्रय लेकर। ये एक विभाग हैं। 

दूसरा विभाग यह है कि कुछ मंत्र भूत या पिशाच के विरूद्ध प्रयुक्त होते हैं और कुछ उनकी सहायता प्राप्त करने के हेतु।

 स्त्री और पुरुष तथा शत्रु को वश में करने के लिये जिन मंत्रों का प्रयोग होता है वे वशीकरण मंत्र कहलाते हैं। 

शत्रु का दमन या अंत करने के लिये जो मंत्रविधि काम में लाई जाती है वह मारण कहलाती है। भूत को उनको उच्चाटन या शमन मंत्र कहा जाता है।

लोगों का विश्वास है कि ऐसी कोई कठिनाई, कोई विपत्ति और कोई पीड़ा नहीं है जिसका निवारण मंत्र के द्वारा नहीं हो सकता और कोई ऐसा लाभ नहीं है जिसकी प्राप्ति मंत्र के द्वारा नहीं हो सकती।

राज गुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

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