Saturday, September 1, 2018

(तंत्र स्थापना - हमारा प्रयास)




(तंत्र स्थापना - हमारा प्रयास)

आत्मा की सर्वज्ञता को मात्र दो ही तत्वों से जाना जा सकता है गुरु और शिव | और ये दोनों दो तत्व ना होकर वस्तुतः एक ही हैं | और गुरु की व्यापकता सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में हैं और व्यापकता है परा जगत में तभी तो विश्व के सम्पूर्ण मन्त्रों को धारण करने की क्षमता मात्र द्गरु की कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है |

जीवन के विविध आयामों की प्राप्ति का ज्ञान मात्र सद्गुरु की कृपा दृष्टि से ही संभव है | और यदि समर्थ गुरु ने तुम्हे हुमस कर अपने गले से लगाया हो तो,फिर भला क्या है जो प्राप्त नहीं किया जा सकता है |

 यदि हम निर्माण की प्रक्रिया को समझे तो मात्र योजना,सम्बंधित उपकरण व माध्यम और निर्धारित व्यवस्था का आपस में योग कर हम निर्माण की क्रिया को सफलता पूर्वक संपन्न कर सकते हैं | अर्थात......

योजना – मंत्र

सम्बंधित उपकरण,माध्यम – यन्त्र

निर्धारित व निश्चित व्यवस्था – तंत्र

यदि हम इस सूत्र को भली भांति आत्मसात कर लें तो असफलता कोसो कोसो दूर ही रहती है हमसे | जीवन की आपाधापी में लगातार हो रहे आघात,टूटते स्वप्न,विश्वासघात, अनजाने डर के मध्य भला कैसे सफलता पायी जा सकती है ???

साधना मार्ग का आश्रय लेकर अपने स्वप्न को टूटने से ना सिर्फ बचाया जा सकता है अपितु मन की कसक .....जो कही बहुत गहरे पैठ बना चुकी है हमारी आत्मा में,उसे भी दूर किया जा सकता है |

 साधना अकर्मण्य हो जाने का क्षेत्र नहीं है,बल्कि जिसमें असीम प्राण ऊर्जा हो,दृढ संकल्प शक्ति हो और परिश्रम से ना भागने की मानसिकता हो,वो सफलता पा ही लेता है | क्यूंकि १० मिनट एकाग्र होकर बिना हिले डुले,स्थिर मन से बैठना सहज संभव नहीं है |

 हम सभी अपने लक्ष्य को पाना चाहते हैं | अपना नाम सफल व्यक्ति की श्रेणी में रखना चाहते हैं, किन्तु क्या ये इतना सहज है ......

 नहीं ना | जैसे ही हम अपने लक्ष्य की और गतिशील होते हैं तो कोई ना कोई अड़चन हमारा मार्ग रोकने को आतुर ही खड़ी रहती है |

कभी संतान का स्वास्थ्य

कभी आर्थिक परेशानी

कभी घरेलु विवाद

कभी अकाल दुर्घटना का भय

कभी कमजोर आत्मबल

कभी स्थिरता का अभाव

कभी अनजाना भय

कभी विश्वास घात

कभी तंत्र बाधा

कभी अनजाने रोगों से सामना

कभी मानसिक तनाव

कभी गुप्त या प्रकट शत्रुओं का मकडजाल

कभी शासन का या अधिकारी का अनचाहा हस्तक्षेप

कभी घर पर किसी ना किसी सदस्य का रोगग्रस्त रहना

   ऐसे  सैकडो “कभी” हैं जो हमें जीवन पथ पर ना सिर्फ विचलित कर देते हैं,अपितु हमारी प्रगति को ही रोक देते हैं....और हम जहाँ से चले थे..उससे भी कई गुना पिछड़ जाते हैं..

तब जीवन के उत्तरार्ध में मात्र यही बाकी रह जाता है की “मैं चाह कर भी कुछ ना कर पाया और,यदि परिस्थितियाँ मेरे अनुकूल होती तो मैं आज यहाँ नहीं होता |”

तंत्र को लेकर जितनी भ्रांतियां समाज में प्रचलित हैं,शायद उतनी किसी और विषय को लेकर कदापि नहीं हैं |

 जबकि मैंने ऊपर लिखा भी है की निश्चित व्यवस्था के अनुसार जीवन यापन करना या क्रिया करना ही तंत्र है | हमारा पुरातन इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है और वो समृद्धि मात्र इसी ज्ञान की वजह से हमारे पूर्वजों के पास थी | हमें तो ये भी नहीं पता है की हम स्वर्णयुग से लोह्युग की ओर आयें है | 

जिस विकास पर आज हम इतरा रहे हैं वो मात्र थोथा है | और इसका कारण मात्र यही है की हमें उन पद्धतियों का ज्ञान नहीं है जिनके द्वारा सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है |
  
जब भी एक आम व्यक्ति या साधक कष्टों में फंसता है तो सीधा दौडकर तथाकथित तांत्रिकों,या ज्योतिषों के पास जाता है और फिर शुरू होता है उसके कष्टों के बढ़ने का सिलसिला...

.एक के बाद एक मनमाने उपायों पर धन लुटाते लुटाते उसकी मानो कमर ही टूट जाती है,और जब तक उसकी वापसी होती है वो पूरी तरह बर्बाद हो जाता है | और अंत में वो इस पूरे कांड का ठीकरा तंत्र के नाम पर फोड कर उसे कपोल-कल्पित घोषित कर देता है | 

आधा ज्ञान एक शत्रु से भी खतरनाक शत्रु है जो तबाही के अलावा कुछ भी नहीं देता है | अतः जो भी करो उसका पूर्ण ज्ञान तो कम से कम हमें हो......
   
मैं बहुधा सोचा करता था की यदि मुझे सफलता मिली तो मेरे अन्य भाई-बहनों को क्यूँ नहीं मिली ?? फिर जब देखा तो समझ में आया की मेरा जूनून मात्र गुरु आज्ञा ही थी और उनके द्वारा प्रदत्त साधनाओं के लिए कभी भी मेरे मन में किन्तु-परंतु नहीं आया| 

नतीजा एक बार में नहीं दो बार में नहीं किन्तु कई बार के बाद सफलता मिली और जब एक बार मिल तो वो कुंजी भी समझ में आई की कैसे एक बार में ही सफलता पायी जा सकती है | मेरा प्रयास मात्र साधनाओं और इस विज्ञान को प्रमाणिकता दिलाना है | 

कोई इस नाम से ठगा ना जाए,और ना ही आर्थिक,मानसिक या शारीरिक कष्टों को इस निमित्त बर्दाश्त करे,बस यही मेरा और ” अर्थात “

  महाविद्या पराविज्ञान शोध इकाई” का लक्ष्य है |
  
आप मात्र साधनाएं करिये और अपने परिवार के सपनों को अपने परिश्रम और सकारात्मक ऊर्जा से सार्थकता दीजिए | 

साधनाएं कीजिये किन्तु मात्र कल्पना जगत में डूबकर नहीं,अपितु उसके साथ साथ भौतिक जीवन के सुख संसाधनों से भी अपने परिवार को तृप्त रखिये | २४ में से ५ घंटे तो हम खुद के लिए निकाल ही सकते हैं ना .....
  
 किसी तांत्रिक के पास मत भटकिए अपितु द्गुरु प्रदत्त ज्ञान पर श्रृद्धा रखिये...उन्होंने हमें सत्य मार्ग का अनुसरण करना सिखाया है | यदि हम सफलता से वंचित हैं तो मात्र हमारी त्रुटियों और ज्ञानाभाव के कारण |

आप साधनाएं कर सके और,इस हेतु हम ने अब ये प्रयास किया है की आपका जीवन सुचारू रूप से चल सके और आप ऊपर जो ढेर सारे कभी लिखे हुए हैं...उन कभी में ना उलझ कर  मात्र साधनाएं कर सकें,तथा उनके निवारण हेतु किसी ढोंगी के चक्कर में फंसकर अपना समय,सुकून और धन बर्बाद ना करे |

 इस हेतु मेरे भाई बहनों के लिए हमारीअन्य साधनात्मक योजनाओं के साथ साथ विभिन्न कवच का निर्माण कार्य प्रारंभ किया है | ये पूरी तरह निशुल्क है | क्यूंकि मेरे बहुत से भाई बहन ऐसे हैं जो गुप्त सहयोग कर अन्य भाई बहनों के लिए मार्ग प्रशस्त करने में हमारा सहयोग लगातार कर रहे हैं |

 उनके सहयोग से हमारी कई योजनाओं ने साकारता प्राप्त की है | और मैं आपको ये बता देना अपना कर्त्तव्य समझता हूँ की आप इन कवच का “औरा मंडल” परिक्षण करवा सकते हैं | और इसे देखकर आपको स्वतः ज्ञात हो ही जायेगा की कवचों या सामग्रियों पर प्रामाणिक प्राण प्रतिष्ठा,चैतन्यता और मंत्र का प्रभाव कैसे दिखाई पडता है | 

साथ ही गुरु के द्वारा प्रदत्त ज्ञान से कुछ औषधियों का भी वितरण जैसे – सिद्धद्रव्य (साधनाकाल की शिथिलता निवारक  और आसन सिद्धि में सहायक),श्वित्र कुष्ठ हरलेप, मधुर्मेहविनासिनी, दमा रोग निवारक,वात-पित्त-क्फदोष नाशक,श्वेत प्रदर नाशक, पुंसत्व प्राप्ति योग आदि  भाई बहनों के लिए होगा,जो दैनिक जीवन के कुछ रोग और साधनात्मक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी | 

इनका निर्माण हमारे वे  भाई बहन कर रहे हैं जो बकायदा आयुर्वेद में चिकित्सक का प्रमाण पत्र प्राप्त किये हुए हैं,तथा रजिस्टर्ड हैं | 

काल गर्त में ये औषधियाँ विलुप्त ही हो गयी थी,किन्तु अब परिश्रम करके हम उन्हें आपके सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं और ये भी पूरी तरह हमारे भाई बहनों के लिए निशुल्क है |

 इन कवचों पर अभी कार्य चल रहा है और श्रावण के बाद इन्हें वांछित व्यक्तियों के पास भेज दिया जायेग.

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249


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