गुप्त नवरात्र: सिद्धि पाने का महान पर्व
इन नवरात्रों में साधना का विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। दस महाविद्याओं की गुप्त साधना से वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
मनोकामनाओं की सिद्धि प्राप्त करने का यह महान पर्व है। श्रृंग ऋषि के अनुसार जिस प्रकार वासंतिक नवरात्र में विष्णु पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की प्रधानता है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं।
इनकी प्रमुख देवी के स्वरूप का नाम स्र्वेश्वर्यकारिणी देवी है। उनकी आराधना कर न केवल शक्ति संचय किया जाता है वरन् नवग्रहों से जनित दोषों का शमन भी सुगमता से किया जा सकता है।
महाविद्याओं की साधना- दस महाविद्याएं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला हैं। प्रवृति के अनुसार इनके तीन समूह हैं। पहला- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। ये महाविद्याएं तंत्र की प्रमुख देवी हैं। वैशनो, पारम्बा देवी, कामाख्या देवी व हिन्गुलाज देवी का यही मुख्य पर्व है।
कामना के मंत्र : नौ दिन तक रोजाना रूद्राक्ष की माला से ग्यारह माला \"ऊँ ह्नीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:\" मंत्र का जाप करें। इसके अलावा दस महाविद्याओं की पूजा के लिए भी मंत्रों का जाप करें।
काली : हकीक की माला से नौ माला \"क्रीं ह्नीं ह्नुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:\" का जाप करें।
तारा : नीले कांच की माला से बारह माला प्रतिदिन \"ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट\" जपें।
त्रिपुर सुंदरी : रूद्राक्ष माला से दस माला \"ऎं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:\" मंत्र जपें।
भुवनेश्वरी : स्फटिक की माला से ग्यारह माला प्रतिदिन \"ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:\" मंत्र का जाप करें।
छिन्नमस्ता : रूद्राक्ष माला से दस माला प्रतिदिन \"श्रीं ह्नीं ऎं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा\" मंत्र जपें।
त्रिपुर भैरवी : मंुगे की माला से पंद्रह माला \"ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:\" मंत्र का जाप करें।
धूमावती : मोती की माला से नौ माला \"ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:\" का जाप करें।
बगलामुखी : हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला \"ऊँ ह्लीं बगुलामुखी देव्यै ह्लीं ओम नम:\" मंत्र जपें।
मातंगी :
स्फटिक की माला से बारह माला \"ऊँ ह्नीं ऎं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:\"
जपें।
कमला : कमलगट्टे की माला से रोजाना दस माला \
"हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:\"
मंत्र का जाप करें।
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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