लक्ष्मी प्राप्ति के कुछ सिद्ध यंत्र
श्री महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यंत्र:-
इस यन्त्र की रचना मात्र दीपावली की रात्रि में ही की जाती है - इसे भोपपत्र पर अष्टगंध की स्याही एवं अनार की कलम से लिखा जाता है। चारो ओर इस यंत्र को लिखे- ॐ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ॐ नमः। यंत्र को पीत वस्त्र पर प्रतिष्ठित करने से पूर्व गूगल का धूप देवे फिर गूगल से ही 108 या 1008 बार उपर्युक्त मन्त्र को पढ़ते हुए हवन करे। यंत्र की रचना रजत या ताम्र पात्र पर भी की जा सकती है। इस यंत्र को पूजा घर, दुकान, गोदाम, गल्ले में भी रखा जा सकता है। इसके प्रभाव से उत्तरोतर लक्ष्मी में वृद्धि होने लगती है।
धन प्राप्ति कारक यंत्र:-
कुछ यंत्र ऐसे भी होते है जो छोटे होते है किन्तु उनका प्रभाव तुरंत होता है और आर्थिक दृष्टि से अनुकूलता होने लगती है। यह यंत्र भी दीपावली रात्रि को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर धुप दीप जलाकर चाँदी के ताबीज में भरकर दाहिने हाथ की भुजा में बांधे तो व्यक्ति के जीवन में निश्चय ही आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।
लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक:-
बीज मन्त्र:-
कहा भी है जिसके घर में हो बीसा, उसका क्या करे जगदीशा। बीसा यंत्रो को यंत्र राज भी कहा जाता है। ये कई प्रकार के है कुछ लक्ष्मी प्राप्ति बीसा यंत्रो का उल्लेख आवश्यक है।
1. समृद्धिदायक बीसा यंत्र:-
इस बीसा यंत्र को अष्टगंध कि स्याही से भोजपत्र पर सोने या अनार की कलम से लिखना चाहिए। गुरु पुष्य, रवि पुष्प या दीपावली रात्रि इसके निर्माण में शुभ है। मन्त्र लिखते समय आपका मुँह पूर्व-उत्तर में होना चाहिए फिर उस पर धुप दीप अगरबत्ती से यंत्र का वंदन करे। यंत्र तैयार होने पर व्यक्ति खड़ा होकर यंत्र को दोनों हाथो की अंजलि में लेकर मस्तक पर लगावे एवं सदेव अपने बटुवे में रखे। अवश्य सफलता एवं आर्थिक लाभ होगा।
2. श्री लक्ष्मी बीसा यंत्र:-
इस यंत्र को ताम्र पात्र पर बनाकर आधी रात के समय केशरयुक्त रक्त चन्दन से इस यंत्र पर ॐ के ऊपर "श्री" लिखकर रक्त या पीत पुष्प तथा बिल्बपत्र से पूजन करे। श्री सूक्त के 16 मंत्रो का पाठ करे एवं 7 माला का जाप करे "ॐ श्री"। महालक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती है। आहुतियाँ दे, ब्राह्मण को भोजन कराकर, चावल व गोटा उसे दान कर दे माला को नदी में प्रवाहित कर दे। यदि साधक अनुष्ठान न कर सके तो नित्य एक माला, एक वर्ष तक फेरे। दीपावली की रात्रि करे इस मन्त्र की एक माला (108 बार जप) एवं 108 बादाम (मन्त्र मुख) से आहुतिया देने से भी इसका तुरंत प्रभाव होता है। साधक को मनोवांछित लक्ष्मी प्राप्त होती है। व्यापारिक बांधाएं दूर होकर व्यापार में उन्नति होने लगती है।
श्री मंजु घोष प्रयोग:- दरिद्रता को दूर करने एवं बुद्धि की दृष्टि से यह यंत्र महत्वपूर्ण है। इसे "धन-धान्य लक्ष्मी मन्त्र" भी कहा जाता है।
यह प्रयोग भोजन करते समय किया जाता है। दिन में साधक अपने मुँह को जुठा नही करे। भोजन थाली सम्मुख आ जाय, आसन पर बैठे बैठे निम्न पाठ करे-
शशधरमिव शुभ्र खड्ग पुस्तांक-पाणी।
चुरचिरमति-शांत पंचचूड़ कुमारम।।
पृथुतर वर मुख्य पदम पत्रयनक्ष।
कुमति दहन दक्षं मंजु घोष नमामि।।
मंजु घोष लक्ष्मी के ध्यान के बाद अधोलिखित षडाक्षर मन्त्र का मन ही मन 108 बार जप करे। मन्त्र जन के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करे।
मन्त्र है- ।। अ र व च ल धी ।।
भोजन करते समय अन्य से बात न करे मन ही मन इस मन्त्र का जाप करे। भोजन करने के पश्चात् थाली में पानी
डालकर इस मन्त्र को थाली में लिखे फिर खड़ा हो जाये। हाथ मुह धोकर पुनः इस मन्त्र का मन ही मन 108 बार उच्चारण करे। दीपावली की रात्रि भोजन का समय सर्वथा उपयुक्त है। इसका प्रयोग स्वानुभूत है। इससे घर में आर्थिक अनुकूलता प्रारम्भ हो जाती है।
शशधरमिव शुभ्र खड्ग पुस्तांक-पाणी।
चुरचिरमति-शांत पंचचूड़ कुमारम।।
पृथुतर वर मुख्य पदम पत्रयनक्ष।
कुमति दहन दक्षं मंजु घोष नमामि।।
मंजु घोष लक्ष्मी के ध्यान के बाद अधोलिखित षडाक्षर मन्त्र का मन ही मन 108 बार जप करे। मन्त्र जन के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करे।
मन्त्र है- ।। अ र व च ल धी ।।
भोजन करते समय अन्य से बात न करे मन ही मन इस मन्त्र का जाप करे। भोजन करने के पश्चात् थाली में पानी
डालकर इस मन्त्र को थाली में लिखे फिर खड़ा हो जाये। हाथ मुह धोकर पुनः इस मन्त्र का मन ही मन 108 बार उच्चारण करे। दीपावली की रात्रि भोजन का समय सर्वथा उपयुक्त है। इसका प्रयोग स्वानुभूत है। इससे घर में आर्थिक अनुकूलता प्रारम्भ हो जाती है।
दशाक्षर लक्ष्मी मन्त्र:-
यह मन्त्र दरिद्रता विनाश के लिए रामबाण है। "शारदा तिलक" ग्रन्थ में इस मन्त्र की बड़ी महिमा की गयी है।
कनक यक्षिणी साधना:-
यह प्रयोग भी अचूक है, किन्तु इसमें एकाक्षी नारियल की आवश्यकता होती है, इस पर कई प्रयोग आर्थिक सम्पन्नता के लिए किये जाते है। वैसे मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल पूजा घर में रखने मात्र से आर्थिक अनुकूलता देखी गयी है।
स्फटिक शिवलिंग प्रयोग:-
पारद शिवलिंग एक स्फटिक शिवलिंग की शास्त्रो में बहुत महिमा कही गयी है। जो जीवन में अतुलनीय सम्पदा के साथ सम्मान और यश चाहते है, उन्हें अपने घर में इनको अवश्य स्थापित करना चाहिए।
दक्षिणावर्ती शंख कल्प:-
तांत्रिक-मांत्रिक ग्रंथो में अनेकानेक कल्प है, परन्तु दक्षिणावर्ती शंख पर लक्ष्मी साधना का तुरंत प्रभाव है। शास्त्रो में कहा है कि जिनके जीवन में भाग्योदय होना होता है, उन्ही के घर दक्षिणावर्ती शंख होता है, क्योकि प्रथम तो दक्षिणावर्ती दुर्लभ है, किन्तु महत्वपूर्ण माने गए है एवं दूसरे इसमें नर-मादा एवं नपुंसक शंख भी होते है। इसलिए मात्र नर दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग ही मान्य है।
कमलगट्टा माला प्रयोग:-
लक्ष्मी का निवास स्थान कमल दल है और कमलगट्टा इसी कमल पुष्प का बीज होता है। यह काले रंग का गोलाकार बीज होता है और इसी धागे में पिंरोकर माला का रूप दे दिया जाता है।
कांतियुक्त शालिग्राम साधना:-
शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह है और भगवान विष्णु लक्ष्मी के पति है। जहाँ पति है वहाँ पत्नी रहती है। अतः जहाँ भगवान विष्णु है वहाँ लक्ष्मी का आना तय है। जिन साधको ने इस साधना का प्रयोग किया उनको आर्थिक रूप से आश्चर्यजनक उपलब्धिया प्राप्त हुई है।
इस साधना में सामान्य शालिग्राम के स्थान पर कांति युक्त शालिग्राम का प्रयोग होता है।कांतियुक्त शालिग्राम सूर्य के सामने देखने पर काले होने पर भी इनमे लाल झांई दिखाई देगी, तो समझिये ये शालिग्राम शुद्ध है एवं इस प्रयोग के अनुकूल है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष:-
देखने पर ये दो रुद्राक्ष मिले हुए लगते है। इसे शिव-पार्वती का जोड़ा कहा जाता है, इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका भी महत्व एक मुखी रुद्राक्ष के समान है। हालाँकि इस प्रकार का रुद्राक्ष भी दुर्लभ है, फिर भी आसानी से मिल जाता है। वे लोग भाग्यशाली होते है जिनके घर में एक मुखी या गौरी शंकर रुद्राक्ष होता है। आजकल नकली रुद्राक्ष को असली बताकर बेचते है। अतः ध्यान रखना चाहिए, कि रुद्राक्ष असली हो।
स्फटिक मणिमाला प्रयोग:-
यह सफ़ेद रंग की चमकीली प्रभायुक्त ओर अनुकूल फलदायी मानी गयी है। आजकल नकली स्फटिक मालाओ का अंबार है अतः साधक को परख कर शुद्ध स्फटिक माला लेनी चाहिए।
सामान्य रूप से स्फटीक माला अनुकूल होती है, फिर यदि वह मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित चैतन्य हो तो क्या कहना।? इस प्रकार की माला पर लक्ष्मी के संबंधित अनेक प्रयोग है। प्रत्येक गृहस्थ के घर में इस प्रकार की माला होनी चाहिए।
शाबर मंत्रो से लक्ष्मी प्राप्ति:-
शाबर मंत्रो का इतिहास भी बहुत पुराना है। शाबर शब्द शबर से बना है, जिसका अर्थ है किएतः। महाभारत में किरात वेशधारी महादेव शंकर और अर्जुन का युद्ध प्रसंग आता है।किरात वेषधारी शिव ने उन्हें शाबर मन्त्र से ही पुनर्जीवन प्रदान किया था। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने शाबर मन्त्र जाल का उल्लेख किया है- कलि बिलो कि जग-हित गिरजा। शाबर मन्त्र जाल जिन्ह सिरसा।। अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट महेस प्रतापू।। इससे स्प्ष्ट होता है कि शाबर मंत्रो का चलन भी अति प्राचीनकाल से हो रहा है। ये मन्त्र अत्यंत सरल एवं व्यव्हार की भाषा में पाये जाते है, किन्तु श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जपने पर लाभ निश्चित है। ये मन्त्र नर नारी या कोई भी जाती वर्ण का व्यक्ति कर सकता है। इसकी साधना किसी भी श्रेष्ठ दिन या रात्रि में हो सकती है। किन्तु ग्रहण काल, महारात्रियाँ (होली, दीपावली, शिवरात्रि, नवरात्री) श्रेष्ठ है।
बिक्री बढ़ाने का मन्त्र:-
यह मंत्र केवल रविवार के दिन नही किया जा सकता है। रविवार दीपावली हो तो सर्वश्रेष्ठ है। तीन रविवार का ही प्रयोग है।
व्यापर वृद्धि मन्त्र:-
इस मन्त्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नही है। नित्य दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री खोलने से पूर्व एक माला फेरनी है, यानि 108 बार उच्चारण करना है।
मंत्र है-
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमलदल निवासे महालक्ष्म्यै नामौ नमः लक्ष्मी माई सत्य की सवाई आवो माई करो भलाई, न करो तो सात समुद्र की दुहाई ऋटि सिद्धि खावोगी तो नौ नाथ चौरासी की दुहाई।
धन प्राप्ति मंत्र:-
नित्य प्रातः काल मुखशुद्धि करने के पश्चात 108 बार पाठ करने से व्यापर वृद्धि एवं उत्तरोत्तर लाभ होता है।
मंत्र है
।। ॐ हीं श्रीं हीं क्लिं श्रीं लक्ष्मी माम गृहे धन पूरय चिन्ताम् तुरय स्वाहा।।
मनोकामना सिद्धि मंत्र:-
दीपावली की रात्रि को इस मन्त्र का दस हजार जप करने से मनोकामना पूर्ण होती है। साधक जो चाहता है, सिद्ध हो जाता है। मंत्र है- हीं मातसे मनसे ॐ ॐ ।।
व्यापार बाधा निवारक मंत्र:-
व्यापार बाधा निवारक मंत्र:-
व्यापर सम्बन्धी बाधाओ को दूर करने के लिए यह अचूक प्रयोग है- दीपावली रात्रि में स्नानादि से निवृत हो शुद्ध वस्त्र एवं शुद्धसन पर बैठकर सामने एक हाथ लम्बा सूती लाल कपड़ा बिछा दे। उस पर काले तिल की ढेरी बनाकर तेल का दीपक जला ले।
मंत्र है-
ॐ हनुमंत वीर, रखो हद थिर, करो यह काम, वेपार बड़े, तुरंत दूर हो, टाना टूटे, ग्राहक बड़े, कारज सिद्ध होय, न होय तो अंजनी की दुहाई।
इस मंत्र से व्यापारिक बाधाये नष्ट होकर व्यापारिक उन्नति का अनुभव होना लगता है।
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
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व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
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