तीव्र उच्छिष्ट गणपति साधना
कड़वे नीम की जड़ से कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अंगूठे के बराबर की गणेश की प्रतिमा बनाकर रात्रि के प्रथम प्रहर में स्वयं लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पश्चिम मुख होकर झूठे मुँह से सामने थाली में प्रतिमा को स्थापित कर साधना में सफलता की सदगुरुदेव से प्रार्थना कर संकल्प करें और ततपश्चात गणपति का ध्यान कर उनका पूजन लाल चन्दन,अक्षत,पुष्प के द्वारा पूजन करे और लाल चन्दन की ही माला से झूठे मुँह से ही ५ माला मन्त्र जप करें. सात दिनों तक ऐसे ही पूजन करे और आठवे दिन अर्थात अमावस्या को पञ्च मेवे से ५०० आहुतियाँ करें इससे मंत्र सिद्ध हो जाता है. तब आप इनके विविध प्रयोगों को कर सकते हैं. २ प्रयोग नीचे दिए गए हैं.
१. जिस व्यक्ति का आकर्षण करना हो चाहे वो आपका बॉस हो, सहकर्मी हो, प्रेमी,प्रेमिका या फिर कोई मित्र या शत्रु हो जिससे, आपको अपना काम करवाना हो.उसके फोटो पर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर ३ दिनों तक १ माला मन्त्र जप करने से निश्चय ही उसका आकर्षण होता है.
२. अन्न के ऊपर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर ११ दिनों तक नित्य ३ माला मंत्र जप करने से वर्ष भर घर में धन धान्य का भंडार भरा रहता है और यदि इसके बाद नित्य ५१ बार मंत्र को जप कर लिया जाये तो ये भंडार भरा ही रहता है. नहीं तो आपको प्रति ६ माह या वर्ष में करना चाहिए.
ध्यान मन्त्र –
दंताभये चक्र- वरौ दधानं कराग्रग्रम् स्वर्ण-घटं त्रि-नेत्रं ,
धृताब्जयालिंगितमब्धि-पुत्र्या लक्ष्मी-गणेशं कनकाभमीडे.
मंत्र- ॐ नमो हस्ति मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट महात्मने क्रां क्रीं ह्रीं घे घे उच्छिष्ठाय स्वाहा.
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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