Wednesday, January 27, 2016

बगलामुखी साधना - दुर्लभ - प्रयोग






महान ऊर्जाशक्ति की स्रोत दशमहाविद्याओं में मां पीतांबरा अथवा मां बगलामखी का आठवां स्थान है। इनका एक नाम वल्गा भी है। जो भी मां बगलामुखी का सिद्ध साधक है, उसके चारों ओर वल्गा का एक सुरक्षाचक्र घूमता रहता है और हमेसा उसकी रक्षा करता है। इस शक्ति का मूल सूत्र है अथर्वा प्राण सूत्र । रोचक यह है कि यह सूत्र हर प्राणी में सुप्तावस्था में विद्यमान होता है। साधना द्वारा यह सूत्र जाग्रत हो जाता है। भगवती बगलामुखी की साधना श्रेष्ठ साधना कही गई है। यह पीतांबरधारी श्री विष्णु की अमोघ शक्ति सहचरी है, इसलिए यह सोलह शक्तियों से पूर्ण ऊर्जा शक्ति पीतांबरा है। विष्णु पुराण में वर्णन आया है कि एक बार पृथ्वी पर भयंकर तूफान आया। ऐसा लगा कि इस प्रलय में सृष्टि समाप्त हो जाएगी। सभी देवताओं के साथ भगवान श्री विष्णु भी यह स्थिति देख कर अत्यंत चिंतित हुए और हरिद्रा सरोवर के तट पर गए। सभी ने सम्मिलित रूप से मां बगला का ध्यान किया। तपस्या की पूर्णता के साथ मंगलवार चतुर्दशी के दिन सौराष्ट्र के हरिद्रा सरोवर में मां का अविर्भाव हुआ। उन श्रीविद्या के रूप में प्रकट हुई मां बगला का रंग चंपई था और वे पीत वस्त्रों तथा स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित थीं। उन्होंने प्रकट होते ही प्रलय का स्तंभन कर दिया। कहते हैं इनके उपासक के सभी कार्य बिना कहे, सोचने मात्र से संपन्न हो जाते हैं। अपने साधकों के लिए ये साक्षात कल्पतरु के समान हैं । मानव जीवन में अनेक प्रकार की उलझनें आती ही रहती हैं। विरोध, वैमनस्य आर्थिक समस्या व्यावसायिक संकट, मुकदमे तथा राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता आदि से पीडि़त लोगों के लिए मां बगला का अनुष्ठान कल्याणकारी सिद्ध होता है। मां पीतांबरा की उपासना तांत्रिक अनुष्ठान के नियमों के अंतर्गत की जाती है। पीले वस्त्र ,पीले पुष्प तथा पीला नैवेद्य इन्हें अत्यंत प्रिय है। वाक्सिद्धि, शत्रु नाश तथा स्तंभन, उच्चाटन व वशीकरण के लिए इनका प्रयोग अधिक प्रभावी है। किसी भी कार्य के लिए पहले इनकी सिद्धि करनी आवश्यक है। बगलामुखी साधना की पद्धति अपने आप में महत्त्वपूर्ण व दुर्लभ है
-मंत्र-
ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम् वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा।
इनकी साधना किसी भी मंगलवार से आरंभ की जा सकती है। सिद्धि के लिए सबसे पहले एकांत कमरा चुनें तथा उसे शुद्ध करके एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर मां बगला का चित्र स्थापित करें। अनुष्ठान से पहले कवच का पाठ अवश्य करें। पूजा में आपका वस्त्र और आसन पीला होना आवश्यक है। हल्दी की माला ,पीला चंदन पीले पुष्पों और पीले ही नैवेद्य का प्रयोग करें।
हल्दी की माला से 108 मंत्र जप पूरे 21 दिनों तक करें। मंत्र जप समाप्त होने के बाद हवन सामग्री के साथ इसी मंत्र से 108 आहुति घी की दें। संभव हो तो पांच या सात कन्याओं को भोजन करवा कर दक्षिणा आदि देकर विदा करें।
बगलामुखी का प्रयोग कई कार्यों के लिए प्रभावी सिद्ध होता है।देव स्तंभन- एक लाख जप करने के बाद चंपा पुष्प से हवन करने से देवता भी वश में हो जाते हैं और सदा आपकी रक्षा करते हैं ।
मनुष्य स्तंभन-
पीत वस्त्र धारण कर केसरिया चंदन लगाएं और हल्दी की माला से एक लाख बगलामुखी का मंत्र पाठ करें तथा पीली वस्तुओं से ही उनका पूजन करें। शहद,घी,और शक्कर मिले तिल से हवन करने पर मनुष्य का स्तंभन होता है।
आकर्षण-
शहद, घी शक्कर और नमक से हवन करने पर प्राणीमात्र का आकर्षण होता है।
शत्रु स्तंभन-
ताड़पत्र तथा नमक,हल्दी मिला कर हवन करने से शत्रु स्तंभन होता है।
रोगनाशक-
शहद,चीनी दूर्वा तथा धान के लावे से हवन करने से समस्त रोग शांत होते हैं।
समस्त कार्य साधक-
समस्त कार्य की सिद्धि के लिए पर्वत की चोटी पर,घनघोर वन में ,नदी तट पर अथवा एकांत में बने शिव मंदिर में अपनी कामना का संकल्प कर ब्रह्मचर्य पूर्वक मां बगला के मंत्र का एक लाख जप करें तथा हवन कर अनुष्ठान समाप्त करें।
शत्रु शक्ति नाशक-
चीनी तथा शहद से युक्त एक वर्ण वाली गौ के दूध को बगलामुखी मंत्र से तीन सौ बार अभिमंत्रित करें। इस दूध का पान करने से शत्रुओं की शक्ति का पराभव होता है।
अति वृष्टि स्तंभन-
जहां घनघोर वर्षा हो रही हो वहां बगलामुखी यंत्र बना कर संकल्प के साथ उसकी पूजा करने से वर्षा रुक जाती है।एक बात का ध्यान अवश्य रखें कि सिद्धि के लिए किसी योग्य एवं जानकार गुरु के दिशा निर्देश में ही अनुष्ठान करें अन्यथा कोई अप्रिय घटना हो सकती है। जहां तक हो सके मंत्र का प्रयोग किसी के अहित के लिए न करें क्योंकि ऐसा करने से आपकी मिली हुई शक्ति छिन सकती है। मां पीतांबरा दयालु हैं, सर्व शक्तिमान हैं, पर अनुचित कार्यों का दंड देने में देर नहीं लगातीं।
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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