विजय प्राप्ति प्रत्यगिंरा प्रयोग
भगवती प्रत्यंगिरा देवी का अत्यंत उग्र रूप है.ईनकी कृपा से साधक जीवन के हर क्षेत्र मे विजय प्राप्त करता है.पंरतु यह देवी साधना मे साधक से अटूट श्रद्धा की आशा करती है,और अटूट श्रद्धा होने पर निश्चित हि साधक को ईच्छित फल की प्राप्ती होती है.
प्रस्तुत प्रयोग,साधक को न्यायालय से जुड़े कार्यो मे सफलता दिलाता है.जो लोग प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रह है.वह भी ईस साधना को कर अपनी सफलता के अवसर बड़ा सकते है.
यदि लाख परिश्रम के पश्चात भी आपको किसी कार्य मे सफलता नही मिल रही है तो यह प्रयोग कर आप सफलता के निकट पहुँच सकते है.
प्रस्तुत प्रयोग आप किसी भी मंगलवार की रात्री को १० के बाद आरंभ कर सकते है.स्नान कर लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर उत्तर की और मुख कर बैठ जाये.अब एक कागज़ पर हल्दि के घोल से अनार की अथवा पिपल की कलम से एक स्त्री का चित्र बनाये.
यह आवश्यक नही है की चित्र बहुत सुन्दर हो.बस जैसा भी आप बना पाये,आपको बनाना है.अब ईस चित्र को बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित कर दे.
अब चित्र का प्रत्यंगिरा देवी मानकर सामान्य पुजन करे.संभव हो तो लाल पुष्प अर्पित करे.शहद ओर द्राक्ष को मिलाकर भोग रूप मे अर्पित करे.
जिसे साधक को अंत मे स्वयं खाना है.इसके बाद साधक अपने कार्य मे विजय प्राप्ति का संकल्प लेकर,निम्न प्रत्यंगिरा गायत्री का ११ माला जाप रूद्राक्ष माला से करे.
अपराजितायै विद्महे प्रत्यंगिरायै धिमही तन्नो उग्रा प्रचोदयात्
Aprajitaayayi vidmahe pratyangiraayayi Dhimahi Tanno Ugraa Prachodayat
जब ११ माला पुर्ण हो जाये तो साधक घृत मे द्राक्ष मिलाकर १११ आहुति प्रदान करे.ईसके पश्चात भोग ग्रहण कर,पुनः प्राथना करे.
ईस प्रकार यह प्रयोग पुर्ण होगा.अगले दिन चित्र पर हल्दि का लेप लगाकर किसी वृक्ष के निचे रख आये.
आप जिस क्षेत्र मे विजय प्राप्त करना चाहते है,आपको उसमे सफलता अवश्य मिलेगी,बस आपकी ईच्छा उचित होनी चाहिये.
साधक चाहे तो दो या तीन मंगलवार इस प्रयोग को कर सकता है.
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम ( राजयोग पीठ ) ट्रस्ट
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