Wednesday, August 29, 2018

अघोर लक्षमी साधना




अघोर लक्षमी साधना

अघोर लक्षमी साधना ।।। 108 लक्षमी को आबद्ध करने की कला ।।। आप जो भी अघोर लक्षमी दीक्षा ले चुके माँ की कृपा हेतु कीजिये।।।

धर्म अर्थ काम और मोक्ष जीवन के चार मुख्य स्तंभ है. इन सभी पक्षों मे व्यक्ति पूर्णता प्राप्त करे यही उद्देश्य साधना जगत का भी है.

 इसी लिए व्यक्ति के गृहस्थ और आध्यात्मिक दोनों पक्ष के सबंध मे साधनाओ का अस्तित्व बराबर रहा है. हमारे ऋषि मुनि जहा एक और आध्याम मे पूर्णता प्राप्त थे वही भौतिक पक्ष मे भी वह पूर्ण रूप से सक्षम थे. 

साधना के सभी मार्गो मे इन मुख्य स्तंभों के अनुरूप साधनाऐ विद्यमान है ही. इस प्रकार अघोर साधनाओ मे भी गृहस्थ समस्याओ सबंधित निराकरण को प्राप्त करने के लिए कई साधना विद्यमान है. 

इन साधनाओ का प्रभाव अत्यधिक तीक्ष्ण होता है, तथा व्यक्ति को अल्प काल मे ही साधना का परिणाम तीव्र ही मिल जाता है. धन का निरंतर प्रवाह आज के युग मे ज़रुरी है. 

साधक के लिए यह एक नितांत सत्य है की सभी पक्षों मे पूर्णता प्राप्त करनी चाहिए. जब तक व्यक्ति भोग को नहीं जानेगा तब तक वह मोक्ष को भी केसे जान पाएगा. 

इस मुख्य चिंतन के साथ हर एक प्रकार की साधना का अपना ही एक अलग स्थान है. व्यक्ति चाहे कितना भी परिश्रम करे लेकिन भाग्य साथ ना दे तो सफलता मिलना सहज नहीं है. 

ऐसे समय पर व्यक्ति को साधनाओ का सहारा लेना चाहिए तथा अपने कार्यों की सिद्धि के लिए देवत्व का सहारा लेना चाहिए. पूर्णता प्राप्त करना हमारा हक़ है और साधनाओ के माध्यम से यह संभव है. 

किसी भी कार्य के लिए व्यक्ति को आज के युग मे पग पग पर धन की आवश्यकता होती है. हर व्यक्ति का सपना होता हे की वह श्रीसम्प्पन हो. 

लक्ष्मी से सबंधित कई प्रयोग अघोर मार्ग मे निहित है लेकिन जब बात तीव्र धन प्राप्ति की हो तो अघोर मार्ग की साधनाए लाजवाब है. अघोरियो के प्रयोग अत्यधिक त्वरित गति से कार्य करते है तथा इच्छापूर्ति करते है.

 आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति करने के लिए जो विधान है उसके माध्यम से व्यक्ति को किसी न किसी रूप मे धन की प्राप्ति होती है तथा त्वरित गति से होती है. 

इस महत्वपूर्ण और गुप्त विधान को साधक सम्प्पन करे तब चाहे कितने भी भाग्य रूठे हुए हो या फिर परिश्रम सार्थक नहीं हो रहे हो, व्यक्ति को निश्चित रूप से धन की प्राप्ति होती ही है.

साधक अष्टमी या अमावस्या की रात्रि को स्मशान मे जाए तथा तेल का दीपक लगाये. अपने सामने लाल वस्त्र बिछा कर ५ सफ़ेद हकीक पत्थर रखे तथा उस पर कुंकुम की बिंदी लगाये. 

साधक के वस्त्र लाल रहे. तथा दिशा उत्तर या पूर्व. उसके बाद साधक सफ़ेद हकीक माला से निम्न मंत्र की २१ माला जाप करे.

ॐ शीघ्र सर्व लक्ष्मी वश्यमे अघोरेश्वराय फट

साधक को यह क्रम ५ दिन तक करना चाहिए. ५ वे दिन उन हकिक पथ्थरो को उसी लाल कपडे मे पोटली बना कर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान मे रख दे.

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

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