Wednesday, August 8, 2018

राजमुखी प्रयोग - पूर्णा सफलता हेतु





राजमुखी   प्रयोग -   पूर्णा सफलता हेतु

=======================================
जीवन में सभी व्यक्तियो का यह एक सुमधुर स्वप्न होता है की उसे सभी क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति हो तथा उसे जीवन के सभी क्षेत्र में विजय श्री तिलक की प्राप्ति हो.

 चाहे वह स्वयं के ज्ञान की बात हो, पारिवारिक सुख शांति, भौतिक रूप से सफलता, समाज में मान तथा सन्मान, अध्यात्मिक उन्नति, तथा जीवन के पूर्ण सुख रस का उपभोग करना हो, कौन व्यक्ति अपने जीवन में एसी सफलता की प्राप्ति नहीं करना चाहता?

निश्चित रूप से सभी व्यक्ति अर्वाचीन या प्राचीन दोनों ही काल में इस प्रकार की सफलता की कामना करते थे और इसकी पूर्ती के लिए अथाक परिश्रम भी करने वालो की कमी किसी भी युग में नहीं थी.

लेकिन ब्रह्माण्ड कर्म से बद्ध है, व्यक्ति अपने कार्मिक वृतियो के कारण चाहे वह इस जन्म से सबंधित हो या पूर्व जन्म से सबंधित, कई बार पूर्ण श्रम करने के बाद भी सफलता की प्राप्ति नहीं कर पता है.

इन सब के मूल में कई प्रकार के दोष हो सकते है. लेकिन इन दोषों की निवृति के लिए व्यक्ति को स्वयं ही तो प्रयत्न करना पड़ेगा. प्रस्तुत प्रयोग, साधक और उसकी सफलता के बिच में आने वाली बाधा को दूर करने का एक अद्भुत विधान है.

 प्रस्तुत प्रयोग राजमुखी देवी से सबंधित है जो की आद्य देवी महादेवी का ही एक स्वरुप है, जो की साधक को राज अर्थात पूर्ण सुख भोग की प्राप्ति कराती है.

 प्रस्तुत प्रयोग के कई प्रकार के लाभ है लेकिन कुछ महत्त्वपूर्ण पक्ष इस प्रकार से है.

यह त्रिबीज सम्पुटित साधना है जो की साधक की तिन शक्ति अर्थात, ज्ञान, इच्छा तथा क्रिया को जागृत करता है फल स्वरुप साधक की स्मरणशक्ति का विकास होता है तथा नूतन ज्ञान को समजने में सुभीता मिलती है.

राजमुखी देवी को वशीकरण की देवी भी कहा गया है, साधक के चहरे पर एक ऐसा वशीकरण आकर्षण छा जाता है जिसके माध्यम से साधक कई कई क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति कर सकता है तथा कई व्यक्ति स्वयं ही साधक को अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति मान लेने के लिए आकर्षण बद्ध हो जाते है.

मुख्य रूप से कार्यसिद्धि के लिए यह प्रयोग है लेकिन यहाँ सिर्फ कोई विशेष कार्य के लिए यह प्रयोग न हो कर साधक के सभी कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग है.

 इस प्रयोग को करने पर साधक को अपने कार्यों में सफलता का मिलना सहज होने लगता है साथ ही साथ साधक को समाज में मान सन्मान की भी प्राप्ति होने लगती है.

यह प्रयोग साधक किसी भी शुभदिन में शुरू कर सकता है.
साधक दिन या रात्री के कोई भी समय में यह साधना कर सकता है लेकिन रोज साधना का समय एक ही रहे.

साधक को स्नान आदि से निवृत हो कर गुलाबी वस्त्रों को धारण करना चाहिए, अगर गुलाबी वस्त्र किसी भी रूप में संभव न हो तो साधक को सफ़ेद वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए.

इसके बाद साधक गुलाबी/सफ़ेद आसान पर बैठ जाए तथा गुरुपूजन एवं गुरुमन्त्र का जाप करे. साधक को इसके बाद अपने सामने किसी पात्र में कुमकुम से एक अधः त्रिकोण का निर्माण करना चाहिए. इसके बाद साधक उस त्रिकोण के मध्य में एक दीपक स्थापित करे. यह दीपक तेल का हो. इसे प्रज्वलित कर साधक न्यास क्रिया को सम्प्पन करे.

करन्यास –

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अन्गुष्ठाभ्यां नमः
ॐ राजमुखी तर्जनीभ्यां नमः
ॐ वश्यमुखी मध्यमाभ्यां नमः
ॐ महादेवी अनामिकाभ्यां नमः
ॐ सर्वजन वश्य कुरु कुरु कनिष्टकाभ्यां नमः
ॐ सर्व कार्य साधय साधय  नमः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

अंगन्यास –

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हृदयाय नमः
ॐ राजमुखी शिरसे स्वाहा 
ॐ वश्यमुखी शिखायै वषट्
ॐ महादेवी कवचाय हूं
ॐ सर्वजन वश्य कुरु कुरु नैत्रत्रयाय वौषट्
ॐ सर्व कार्य साधय साधय  नमः अस्त्राय फट्

उसके बाद मूल मन्त्र की ११ माला मन्त्र का जाप करे.
यह जाप साधक स्फटिक/रुद्राक्ष/मूंगा/गुलाबीहकीक माला से कर सकता है.

मन्त्र –

 ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं राजमुखी वश्यमुखी महादेवी सर्वजन वश्य कुरु कुरु सर्व कार्य साधय साधय  नमः

(OM HREENG SHREENG KLEEM RAAJMUKHI VASHYAMUKHI MAHAADEVI SARVAJAN VASHY KURU KURU SARV KAARY SAADHAY SAADHAY NAMAH)

११ माला होने पर साधक देवी को मन ही मन वंदन करे तथा जाप उनको समर्पित कर दे.

इस प्रकार साधक को यह क्रम 7  दिन तक रखना चाहिए. 7  दिन बाद साधक दीपक तथा पात्र को धो सकता है तथा पुनः किसी भी कार्य में उपयोग कर सकता है.

माला का विसर्जन नहीं करना है, इस माला का प्रयोग साधक आगे भी इस साधना हेतु कर सकता है.

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम    (  राजयोग पीठ  )  फॉउन्डेशन ट्रस्ट

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249


No comments:

Post a Comment

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...