Wednesday, August 15, 2018

श्रीयंत्र को यंत्रराज क्यों कहते हे ?



श्रीयंत्र को यंत्रराज क्यों कहते हे ?    

प्रणाम दोस्तों 

ज्यादातर लोग श्रीयंत्र को लक्ष्मी प्राप्ति का ही माध्यम समजते हे परन्तु श्रीयंत्र अपने आप में सारे संसार का सुख देने में सामर्थ्य रखता हे | 

एक पौराणिक खाता के अनुसार लक्ष्मी जी पृथ्वी से रुष्ट हो कर वैन्कुठ चली गई | तो लक्ष्मीजी की अनुपस्थिति में पृथ्वी पर अनेक समस्याए उत्पन्न होगई तब महर्षि वशिष्ठ और श्री विष्णु ने लक्ष्मीजी को बहोत मनाया फिर भी लक्ष्मी जी नहीं मानी तब जाके देवगुरु बृहस्पति ने एक उपाय किया, लक्ष्मीजी को आकर्षित करने के लिए श्रीयंत्र की रचना की और उसका स्थापन और पूजन का उपाय बताया |

 तब जाके लक्ष्मीजी को न चाहते हुवे भी विवश हो कर पृथ्वी पर आना पड़ा क्यों की - 

लक्ष्मीजी ने अपने स्वयं के मुख से कहा " श्रीयंत्र ही मेरा आधार हे और यही श्रीयंत्र में मेरी आत्मा निवास करती हे इस लिए मुझे आना ही पड़ा "

एक अन्य कथा में श्रीयंत्र का सम्बन्ध आध्यशंकराचार्य से जोड़ा गया हे | 

एक बार विश्व में बहोत परेशानी व्याप्त हो गई तब आध्यशंकराचार्य जी ने आशुतोष शिवजी से विश्वकल्याण के लिए उपाय पूछा तो शिवजी ने श्रीयंत्र और श्रीविद्या प्रदान करते हुवे कहा की श्रीविद्या की साधना जाननेवाला मनुष्य अपर यश और लक्ष्मी का स्वामी होगा जबकि श्रीयंत्र का पूजन करने वाला प्रत्येक प्राणी सभी देवताओ की आराधना का फल प्राप्त करेगा क्यों की इस यंत्र राज 

" श्रीयंत्र " में सभी देवी देवताओ का वास हे .... हरी ओम तत्सत

मेरे सभी दोस्तों से मेरा नम्र निवेदन हे की हो शके तो जीवन में एक बार सम्पूर्ण रूप से श्रीविद्या के तहद एक श्रीयंत्र वैदिक रीती से बनवाकर अपने घर में स्थापन करे और यह श्री यन्त्र का नित्य वैदिक पूजन करे और हवन द्वारा देवताको को भोग प्रदान करे ..

 अवश्य ही लक्ष्मी की महेर होगी .. मेरा स्यवंम का अनुभव हे ... कृपया लाभ उठाये .

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम     (  राजयोग   पीठ    )  ट्रस्ट   

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