यदि आप मुझसे कुछ सीखना चाहते है तो परिश्रम तो करना ही होगा। किसी को दो दिन में तारा चाहिए,तो किसी को ९ दिन में छिन्नमस्ता,किसी को ५ दिन में मातंगी सिद्ध करना है तो,किसी को ११ दिन में भुवनेश्वरी। कितनी बचकानी बात है. मेरा उद्देश्य किसी के ह्रदय को पीड़ित करना नहीं है.अगर किसी को दुःख हुआ हो तो हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हु.परन्तु कभी कभी व्यर्थ का रोग मिटाने के लिए कड़वे वचनो कि औषधि आवश्यक हो जाती है.
Wednesday, August 1, 2018
चंद्रहासिनी --- साधना
चंद्रहासिनी --- साधना
भगवान महादेव ने रावण को उसके तप से प्रसन्न होकर एक अमोघ अस्त्र प्रदान किया थें।
★चंद्रह्रास खड़ग★
इसकी विशेषता यह था कि यह सामने वाले शत्रु वर्ग का चंद्र बल नष्ट कर देता था । चंद्र का प्रभुत्व पृथ्वी वासियों में इतना अधिक है कि उसके हटते ही सामने वाला यूं ही अधमरा हैं।
जिनके चंद्र क्षीण हों , या कुंडली में चंद्र के आगे और पीछे के घर खाली हों, या पाप ग्रह युक्त (दरिद्र) हो, या केमद्रुम हो या निम्न/नीच राशी का हो, अथवा 10 डिग्री से कम / 22 से अधिक हो
ये सभी स्थितियों का परिणाम दरिद्रता और दुर्भाग्य के रूप में दृष्टिगत होता है जीवन में...
वो सभी चाहे चंद्र उनका त्रिकोणेश हो या नहीं हो वो इस प्रकार का चंद्र कवच चांदी में सुनार से बनवाकर उस पर प्राणप्रतिष्ठा करके, चंद्रमौलीश्वर की एवं चंद्र बीज मंत्र की यथा गुरु निर्दिष्ट जप करें (न्यूनतम 51-51 माला) और धारण करें ।
जिन्हें ज्यादा बैठने के अभ्यास नहीं हो वो 21दिनों तक कर लें।
【 चंद्र मौलीश्वर -
ॐ शं चं चंद्र मौलिश्वराय नमः
चंद्र बीज -
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः 】
और तंत्र एवं पाखंड में वास्तव में कितना अंतर है उसको प्रत्यक्ष देख सकते हैं। 100% प्रायोगिक प्रयोग हैं।
आरम्भ सोमवार से, माला कोई भी, दिशा आग्नेय (दक्षिण पूर्व का कोण) रहेगा बाकी कोई नियम विशेष की आवश्यकता नहीं।
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम ( राजयोग पीठ ) फॉउन्डेशन ट्रस्ट
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
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