हनुमान चालीसा तंत्र
हनुमान चालीसा के सौ पाठ ४१ दिन नित्य सुबह सुबह करे । अनुष्ठान घर मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे करें । समापन के दिन दिन हनुमानजी के चोला चढ़ावें ।
हनुमान चालीसा व श्रीराम नाम से तिल, गुग्गल से हवन करें, ब्राह्मण को भोजन कराये ५-७ या ११ बच्चो को भोजन कराये । इससे आपकी सर्व मनोकामना पूर्ण एवं दुःख होंगे ।
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तेल अभिषेक तंत्र
हनुमान जी के समक्ष सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा एवं राम रक्षास्तोत्रके पाठ करें ।
एक ताम्रपात्र में बारीक छेदकर ऊपर से प्रतिमा पर लटका देंवे, उसमे शत्रुनाश हेतु सरसों का तेल, सर्वकामना सिद्धि हेतु तिलों का तैल, धनवृद्धि एवं सौभाग्य हेतु चमेली का तैल डालकर अभिषेक करें ।
तैल का संग्रह करके शाम को उससे दीपक जला देंवे । अगर वह दीपक कोई रोग से पीड़ित लगाए तो वह आरोग्य प्राप्त करता है ।
अनुष्ठान समाप्त होने पर हनुमान जी को चोला चढ़ावे, श्रृंगार करें एवं भोग लगायें ।
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संकट निवारणार्थ तंत्र
तुलसी के पत्तो पर केसर चन्दन से रामनाम लिखे उनकी माला बनाकर पहनाये। अथवा लौंग की माला बनाकर पहनाये । इससे क्रूर ग्रहों की दशा शांत होती है ।
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हनुमत सहस्त्रनाम प्रदक्षिणा
हनुमान सहस्त्रनाम पड़ते हुये १००८ परिक्रमा बार करने से सभी संकट दूर हो जाते है । सहस्त्रनाम नहीं पढ़ सकते है तो हनुमान चालीसा पढ़ते हुये परिक्रमा करनी चाहिये ।
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कठिन कार्य सिद्धि तंत्र
कठिन कार्य सिद्धि के लिये हनुमान जी को नख से लेकर शिर तक चोला चढ़ाये । और कार्य सिद्ध हो जाने पर पुनः शिर से लेकर पैर तक हनुमान जी को चोला चढ़ाये एवं हवन करें ।
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शत्रु पर विजय प्राप्ति एवं रोग निवारण हेतु
हनुमान जी की प्रतिमा के सामने विभीषण कृत हनुमद बडवानल स्तोत्र या शत्रुन्जय हनुमत स्तोत्र का ११ - २१ - ३१ पाठ प्रतिदिन करे ।
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सर्वसिद्धिप्रद हनुमान
दीनानुबन्धी मेधावि प्रमाब्धि रामबल्लभ । यद्येवं मारुते वीर मेभीष्टं देहि सत्त्वरम ।।
इस मंत्र का १ लाख बार जप कर पुन्नश्चरण करें.
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम ( राजयोग पीठ ) ट्रस्ट
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