मंगल गृह का फल -
अगर आप भी जानना चाहते है की आपकी कुंडली में मंगल किस भाव में है, शुभ है या अशुभ, उच्च का है या नीच का, और वो आपका क्या फल दे रहा है, तथा ये जानने के लिए फ़ोन पर बात करें .
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आपकी कुंडली में शनि, मंगल, राहु और केतु... ये उन ग्रहों के नाम होते हैं जो किसी भी व्यक्ति को भयभीत कर सकते हैं। किसी को यह जान पड़ जाए कि उसकी कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति सही नहीं है, उसकी तो रातों की नींद ही उड़ जाए।
अब बात करते है मंगल की , मंगल ग्रह के नाम से आमतौर पर लोग डरते हैं, जबकि जिसका नाम ही मंगल हो वह अमंगल कैसे कर सकता है।
मंगल ज्योतिष की दृष्टि से एक बहुत ही महत्वपूर्ण गृह है! यह ग्रह उग्र जरूर है लेकिन अशुभ नहीं। वैसे कुंडली में हर ग्रह शुभ और अशुभ फल देते हैं ऐसे ही मंगल भी दोनों तरह के फल देता है। लेकिन मंगल की शुभता उसके साथ बैठे ग्रह से तय की जाती है अथवा उस पर पड़ने वाली शुभ ग्रहदृष्टि से।
आपकी कुंडली में मंगल जीवन के सुख, संपत्ति, विवाद और मुकदमेबाजी जैसे पहलुओं को विशेष रूप से प्रभावित करता है. यानि जीवन के हर मोड़ पर खराब या अशुभ मंगल का प्रभाव रहता है और इंसान की जिंदगी को प्रभावित भी करता है. इसकी स्थिति व्यक्ति का स्वभाव, उसके जीवन में धन की स्थिति तथा वैवाहिक जीवन का निर्धारण करता है!
लेकिन आपकी कुंडली में दूसरे गृहों के साथ मंगल की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है जैसे की मंगल के अच्छे प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में धन आता है परन्तु उसका आय- व्यय का निर्धारण शुक्र करता है!
किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में १२ घर अथवा भाव होते हैं जिनमे से किसी भी घर में कोई गृह स्थान ग्रहण कर सकता है!
जिनकी व्यक्तियों की कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में होते हैं, वे उच्च स्तरीय साहसिक कार्य करते हैं, इनके विपरीत यदि मंगल नीच के हैं या पाप ग्रहों से प्रभावित होते हैं तो जातक के हिंसात्मक कार्यों में लिप्त होने की संभावनाएं पाई जाती हैं।
कुंडली में मंगल गृह को व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृत्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, नैतिकता की हानि का कारक ग्रह माना गया है.
इसलिए सबसे पहले आपको ये जानना आवश्यक है की आपकी कुंडली के जिस खाने में मंगल बैठा है उसमे बैठकर वह आपको क्या फल दे रहा है शुभ या अशुभ वो उच्च का है या नीच का उसमे किस गृह की दृष्टि पड़ रही है आदि जैसे की -
यदि आपकी कुण्डली के प्रथम भाव में अर्थात पहले खाने में मंगल बैठा हो और वह शुभ है तो मंगल ग्रह जातक को उम्र के 28 वर्ष से अच्छे स्वभाव वाला, सच्चा और अमीर बनाता है। उसे सरकार से सहयोग मिलता है और वह अधिक प्रयास के बिना दुश्मनों पर जीत हासिल करता है। जातक शनि से संबंधित व्यवसायों जैसे लोहा, लकडी और मशीनरी आदि के माध्यम से खूब धनार्जन करता है।
और अशुभ है तो व्यक्ति झूठा और मक्कार होता है।भाइयों का अनिष्टकारक होता है।उसकी पत्नी की मृत्यु अग्नि दुर्घटना में होती है ।दो विवाह का योग बनता है आदि।
यदि आपकी कुण्डली के दूसरे भाव में अर्थात दूसरे खाने में मंगल बैठा हो और वह शुभ है तो मंगल जातक को ससुराल से बहुत धन-संपदा दिलवाता है।
और अशुभ है तो व्यक्ति 9 वर्षों तक रोग से पीड़ित रहता है ।यदि व्यक्ति अपने भाइयों से छोटा है तो बड़े भाई की मृत्यु का योग बनता है।विवाहित जीवन में पति-पत्नी में आपसी क्लेश बना रहेगा। और इसमें व्यक्ति की मृत्यु लड़ाई-झगड़े में होने की आशंका रहती है।
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