।।मिथुन तथा कन्या लग्न की स्त्री प्रायः पति जीवन के लिए हानिकारक।।
स्त्रियों की कुण्डलियों में जब मिथुन और कन्या लग्न हो और पतिकारक व (सप्तमेश) गुरु भी पीड़ित हो , तो स्त्रियों के विधवा होने की अधिक संभावना रहती है,
क्योंकि ऐसी स्थिति में गुरु में गुण सादृश्य अधिक रहता है।यह सप्तमेश भी होता है और सप्तम भाव का कारक भी ।
प्रायःमिथुन तथाकन्या लग्न की स्त्रियों की कुंडली वैवाहिक जीवन अथवा पति जीवन के लिए हानिकारक रहती हैं।
इसलिए कि गुरु यदि पीड़ित हुआ (और इसके पीड़ित होने की संभावना प्रायः अधिक रहती है) तो स्त्री के विवाह में विलंब, उसके पति की अल्प आयु अथवा उनमें परस्पर वैमनस्य आदि अप्रिय घटनाओं के घटने की संभावना रहती है।
ऐसी स्थिति में गुरु के बलवान करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।तथा स्त्री को सौभाग्य रक्षा के लिए विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।
हल्दी एवं केशर मिश्रित तिलक करना चाहिए।एवं किसी ब्राह्मण कन्या की पढ़ाई में मदद करनी चाहिए।
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