Friday, June 19, 2020

चमत्कारिक वीर साधना






चमत्कारिक वीर साधना,


सभी वीरों की शक्तियां एक-दूसरे से भिन्न हैं। ये अलग-अलग शक्तियों से संपन्न होते हैं। गुप्त नवरात्रि में और कुछ विशेष दिनों में वीर साधना की जाती है। वीर साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत माना गया है। मूलत: 52 वीर हैं।


हिन्दू धार्मिक परंपरा में एक ओर जहां देव, नाग, गंधर्व, अप्सरा, विद्याधर, सिद्ध, यक्ष, यक्षिणी, भैरव, भैरवी आदि सकारात्मक शक्तियों की बात की गई है तो वहीं दैत्य, दानव, राक्षस, पिशाच, पिशाचिनी, गुह्मक, भूत, वेताल आदि नकारात्मक शक्तियों की साधना का उल्लेख भी मिलता है।

उसी तरह कुछ ऐसी भी शक्तियां हैं जिनकी जो सात्विक भाव से साधना करता है, वह उनको वैसा ही चमत्कार दिखाती हैं। उन्हीं में से एक है वीर या बीर साधना। सभी वीरों की शक्तियां एक-दूसरे से भिन्न हैं। ये अलग-अलग शक्तियों से संपन्न होते हैं। गुप्त नवरात्रि में और कुछ विशेष दिनों में वीर साधना की जाती है। वीर साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत माना गया है। मूलत: 52 वीर हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं-

01. क्षेत्रपाल वीर
02. कपिल वीर
03. बटुक वीर
04. नृसिंह वीर
05. गोपाल वीर
06. भैरव वीर
07. गरूढ़ वीर
08. महाकाल वीर
09. काल वीर
10. स्वर्ण वीर
11. रक्तस्वर्ण वीर
12. देवसेन वीर
13. घंटापथ वीर
14. रुद्रवीर
15. तेरासंघ वीर
16. वरुण वीर
17. कंधर्व वीर
18. हंस वीर
19. लौन्कडिया वीर
20. वहि वीर
21. प्रियमित्र वीर
22. कारु वीर
23. अदृश्य वीर
24. वल्लभ वीर
25. वज्र वीर
26. महाकाली वीर
27. महालाभ वीर
28. तुंगभद्र वीर
29. विद्याधर वीर
30. घंटाकर्ण वीर
31. बैद्यनाथ वीर
32. विभीषण वीर
33. फाहेतक वीर
34. पितृ वीर
35. खड्‍ग वीर
36. नाघस्ट वीर
37. प्रदुम्न वीर
38. श्मशान वीर
39. भरुदग वीर
40. काकेलेकर वीर
41. कंफिलाभ वीर
42. अस्थिमुख वीर
43. रेतोवेद्य वीर
44. नकुल वीर
45. शौनक वीर
46. कालमुख
47. भूतबैरव वीर
48. पैशाच वीर
49. त्रिमुख वीर
50. डचक वीर
51. अट्टलाद वीर
52. वास्मित्र वीर

वीरों के विषय में सर्वप्रथम पृथ्वीराज रासो में उल्लेख है। वहां इनकी संख्या 52 बताई गई है। इन्हें भैरवी के अनुयायी या भैरव का गण कहा गया है। इन्हें देव और धर्मरक्षक भी कहा गया है।

मूलत: ये सभी कालिका माता के दूत हैं। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब आदि प्रांतों में कई वीरों की मंदिरों में अन्य देवी और देवताओं के साथ प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। राजस्थान में जाहर वीर, नाहर वीर, वीर तेजाजी महाराज आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।

कहते हैं कि वीर साधना एक बंद कमरे में, श्मशान में या किसी एकांत स्थान पर की जाती है, जहां कोई आता-जाता न हो। कई दिन, कई रातों तक महाकाली की पूजा करने के पश्चात कहा जाता है कि पूजा के दौरान एक ऐसा क्षण आता है, जब काली के दूत सामने आते हैं और साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं। वीर साधना को तांत्रिक साधना के अंतर्गत माना जाता है इसलिए ध्यान रहे कि यह साधना किसी गुरु या जानकार से पूछकर ही करें।

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

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(रजि.)

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