Thursday, March 2, 2017

शिव स्वर्णखप्पर साधना
                   

धन की इच्छा किसे नहीं होती, चाहे वह गृहस्थ हो अथवा योगी यति हो, देवता हो अथवा दानव हो, लक्ष्मी की साधना में तत्पर हो जाते हैं I लेकिन ये तथ्य जानना आवश्यक है कि श्री महालक्ष्मी तभी सिद्ध होती है जब घर में स्वर्णखप्पर साधना संपन्न की जाती है एवं स्मरण किया जाता है I

 लक्ष्मी का स्वरुप ऋद्धि-सिद्धि तो गणपति की भार्याएँ हैं और शुभ-लाभ उनके पुत्र हैं, और विशेष बात ये है कि महेश्वरी,गौरी,पार्वती उनकी माँ हैं तथा देवाधिदेव महादेव उनके पिता हैं I इन सबकी साधना शिव पूजा से ही प्रारम्भ होती है तथा सिद्ध भी होती है I

इस साधना को संपन्न करने के बाद उसके जीवन में भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों तरह का परिवर्तन परिलक्षित होता है I वह धन-धान्य, सुख-सौभाग्य से परिपूर्ण होकर श्रीवान एवं ऐश्वर्यवान बन जाता है Iइसके साथ ही साथ उसके शत्रु का स्वत: ही शमन हो जाता है I

 आध्यात्मिक क्षेत्र में उसको दिव्य अनुभूतियाँ होने लगती हैं, तथा अनन्त सिद्धियाँ स्वत: ही उसके पास आ जाती हैं I साधक की तृतीय नेत्र खुल जाता है, वह ‘त्रिकालदर्शी’ बन जाता है, और तब वह किसी के भी भूत और भविष्य को देखकर उसके विषय में जान सकता है I

शिव स्वर्ण खप्पर साधना तो जीवन को पूर्णता देने वाली होती है जिसके द्वारा साधक को एक के पश्चात् एक धन के स्त्रोत  मिलने आरम्भ हो जाते हैं I अगर वह नौकरी पेशा है तो काई नया मार्ग मिल जाता है या पैतृक धन आदि के द्वारा धन प्राप्ति का नया मार्ग खुल जाता है Iव्यापारी है तो व्यापार में लाभ की स्थिति या नये व्यापार में लाभ की स्थिति बनती है या शेयर मार्केट में एकदम से लाभ मिल जाता है I

कहने का तात्पर्य है कि धन प्राप्ति के इतने मार्ग या तो खुल जाते हैं या तो सूझने लगते हैं कि साधक आश्चर्यचकित रह जाता है I

     शिव स्वर्णखप्पर साधना के लिए आपको विशेष रूप से अभिमंत्रित (जीरो आकर के दाने की जिसमे मुख न हो) रुद्राक्ष की माला चाहिए जिसमे ब्रह्मग्रंथी लगी हो I शेष कुछ और नहीं चाहिए I

यह साधना किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते है , साधना रात्रिकालीन है इसे मध्यरात्रि करीब 11 बजे शुरू करें I सबसे पहले शिव से प्रार्थना करें I शिव से लगन पूर्वक कहें –

आप प्रसन्न होकर इस मन्त्र को अकीलित करते हुए मुझे पूर्ण सफलता प्रदान करें, जिससे की मैं अपने जीवन में, जैसे आप चिंतारहित हैं, जिस प्रकार आप मस्त हैं, जिस प्रकार आप आनंदयुक्त हैं, जिस प्रकार आप शक्ति के अधिपति हैं, जिस प्रकार आपके परिवार में गणेश जैसा पुत्र है और जिस प्रकार आप निर्भीक हैं,निश्चिन्त,निरापद, और रोग-रहित हैं, वैद्दनाथ हैं,

ऐसा ही जीवन मुझे प्राप्त हो, और मेरा जीवन निश्चिन्ता, निर्भिकता और ऐश्वर्य से परिपूर्ण हो I इसके पश्चात् निम्न मंत्र का प्रतिदिन 21 माला जाप करें I यह जाप 21 दिन करना है I यह मंत्र इस प्रकार है –

ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं अघोर स्वर्ण खप्पर सिद्धि कनकधारा ह्रीं ह्रीं ॐ

इस साधना का प्रभाव साधना आरम्भ करने से अनुभव होने लग जाता है I तन्त्र बाधाएँ स्वयं समाप्त होने लग जाती है, परिस्थितियों में अनुकूलता आने लग जाती है, शत्रु  आपसे सहयोग करने लगता है और आप तीव्रता के साथ अपने लक्ष की ओर गतिशील होने लगते हैं I

इसमें न तो अखण्ड दीपक जलाने की आवश्यकता है और न ही किसी यन्त्र की I जिस समय मंत्र का जाप करें उस समय घी का दीपक और गुलाब की अगरबत्ती लगा दें I

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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