Wednesday, March 22, 2017

अघोर महालक्ष्मी दरिद्रता नाशक प्रयोग

जिन साधको ने " शिवशक्ति महाघोर कवच " मंगवाए थे उन सभी को कवच प्राप्त हो चुके है.अतः कवच पर कि जाने वाली साधना अब ब्लॉग पर आरम्भ कि जा  रही है.

मित्रो लक्ष्मी का जीवन में क्या महत्व है ये तो सभी जानते है.परन्तु परिश्रम के बाद भी यदि लक्ष्मी दूर रहे तो मनुष्य को साधना मार्ग का आश्रय लेना ही चाहिए।

क्युकी एक साधक पूर्णता प्राप्त करना चाहता है.और संसार में घुट घुट कर जीना एक साधक का काम नहीं है.साधक तो हर समस्या कि छाती पर पैर रखकर आगे निकल जाता है.और समस्त संसार का भोग करते हुए अंत में अपने इष्ट में लीन  हो जाता है.

संसार के भोग के लिए निश्चय ही लक्ष्मी कि कृपा कि आवश्यकता है.क्युकी जिस पर लक्ष्मी प्रसन्न न हो उसे धन तो मिल ही नहीं सकता साथ ही धन के अभाव के कारण मनुष्य कुण्ठा भाव से भी ग्रसित हो जाता है.और रही सही कसर  हमारा समाज पूरी कर देता है.

निरंतर आपको आपकी निर्धनता के बारे में कह कह कर.परन्तु आप स्मरण रखे प्रकृति ने यदि आपके भाग्य में कोई दुःख लिखा है तो उस दुःख को सुख में परिवर्तित करने का मार्ग भी इसी प्रकृति में ही है.

तंत्र में शिव कहते है कि मनुष्य को वही दुःख प्राप्त होता है जिसका हल पहले से निकाला  जा चूका है.बस मनुष्य उस हल को खोज नहीं पाता  है और फिर उसे भाग्य मानकर बैठ जाता है.कितनी सुलझी हुई बात कही है शिव ने.और एक साधक कभी भाग्य का रोना नहीं रोता है.

साधक तो भाग्य को परिवर्तित करने कि क्षमता रखता है.आपके हाथो में तंत्र रूपी कुंजी है जिसके माध्यम से आप भाग्य पर लगे ताले बड़ी सरलता से खोल सकते है.बस आवश्यकता है परिश्रम कि और समर्पण कि.

मित्रो आज जो आपको साधाना दी जा रही है.इस साधना के माध्यम से आपके जीवन में धन आगमन के मार्ग स्वतः खुल जायेंगे।साथ ही यदि किसी ने आपके रोजगार पर कोई बंधन कर दिया है तो वो भी स्वतः ही दूर हो जायेगा।धन कि समस्या का हल होगा एवं आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

प्रस्तुत प्रयोग  अघोर मार्ग का तीव्र प्रयोग है जिसका प्रभाव होता ही है.यहाँ एक बात  और कहना चाहूंगा कि आप जब भी कोई साधना करे.अपने द्वारा जपे जा रहे मंत्र पर और कि जा रही क्रिया पर पूर्ण विश्वास रखे.तील मात्र भी शंका हो तो सारी  क्रिया और जप व्यर्थ चला जाता है.

अतः साधना में विश्वास रखे.आईये अब हम  विधि कि और चलते है.

ये साधना आप किसी भी शुक्रवार से कर सकते है जो कि आपको अगले शुक्रवार तक अर्थात ८ दिनों तक करनी होगी।साधना के एक दिन पहले आप लाल कनेर अथवा नीम वृक्ष को निमंत्रण दे आये ये क्रिया आपको गुरूवार कि शाम को करनी होगी।

दोनों में से किसी एक वृक्ष के पास जाये अब वृक्ष का सामान्य पूजन करे और एक लोटा जल अर्पित करे और कुछ मिठाई का भोग रख तेल का दीपक लगाये अब हाथ में हल्दी मिश्रित अक्षत ले और कहे

 " है वृक्ष राज में कल से अघोर महालक्ष्मी दरिद्रता नाशक प्रयोग  आरम्भ करने जा रहा हु.मुझे उस प्रयोग में आपकी एक टहनी कि आवश्यकता है अतः में कल आपकी टहनी लेने आउंगा,और अक्षत वृक्ष पर अर्पित कर दे.अगले दिन प्रातः कोई अच्छी सी टहनी तोड़ लाये साथ ही वृक्ष के हाथ जोड़कर आर्शीवाद भी ले.अब इस लकड़ी को धोकर इसका सामान्य पूजन करे.

और

" ॐ अघोरेश्वराय हूं फट "

 मंत्र का जाप करते हुए लकड़ी पर सिन्दूर मिश्रित अक्षत अर्पित करे.ये क्रिया १०८ बार करे और लकड़ी को सुरक्षित रख दे.

अब शुक्रवार रात्रि ११.३० बजे के करीब आप साधना आरम्भ कर सकते है.स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे,तथा उत्तर कि और मुख करके लाल आसन पर बैठ जाये।भूमि पर बाजोट रखे तथा उस पर लाल वस्त्र बिछा दे.इस पर

" शिव शक्ति महाअघोर कवच रखे "

अब कवच के ऊपर ही हल्दी मिश्रित अक्षत के एक ढेरी  बनाये।ढेरी  इतनी बड़ी होनी चाहिए कि कवच पूरा ढक जाये।अब इस ढेरी पर एक सुपारी स्थापित करे सुपारी को सिंदूर से रंजीत करके ही स्थापित करे.

अब सर्व प्रथम सद्गुरु तथा गणपति का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करे.इसके बाद सुपारी का लक्ष्मी मानकर सामान्य पूजन करे.कुमकुम,हल्दी अक्षत अर्पित करे.खीर अथवा किसी भी मिष्ठान्न का भोग अर्पित करे.तील के तेल  का दीपक जलाये।अब

 " आओ लक्ष्मी विराजो कष्ट हरो आदेश अघोरेश्वर को "

 बोलते हुए २१ बार  सुपारी पर सफ़ेद तील अथवा अक्षत अर्पित करे.इस क्रिया के बाद जो लकड़ी आप लाये थे उसे अपने दाहिने हाथ में रखे और पास में ही एक कटोरी में अक्षत भरकर उस कटोरी में सिद्दीप्रद रुद्राक्ष स्थापित कर दे.

अब निम्न लिखित अघोर शाबर मंत्र को एक बार पड़े,पड़ते समय लकड़ी को सिद्धिप्रद रुद्राक्ष से स्पर्श कराकर रखे और जैसे ही मंत्र पूर्ण हो लकड़ी को सुपारी से स्पर्श कराये।

बस यही क्रिया आपको बार बार सतत २ घंटे करनी होगी।मंत्र को पड़ना है और सुपारी से स्पर्श कराना है.जब ये क्रिया पूर्ण हो जाये तो भगवान अघोरेश्वर और लक्ष्मी से दरिद्रता दूर करने कि प्रार्थना करे.

नित्य ये क्रिया आपको करनी होगी।साधना के अंतिम दिन जाप पूर्ण हो जाने के बाद.घृत में गूगल,तथा सफ़ेद तील मिलाकर २१ आहुति अग्नि में प्रदान करे.

आहुति पूर्ण हो जाने के बाद एक बार पुनः मंत्र पड़े और निम्बू काटकर अग्नि में निचोड़ दे.इस प्रकार ये साधना पूर्ण होती है.

अगले दिन रुद्राक्ष और कवच को रख ले.वस्त्र तथा अक्षत विसर्जित कर दे.आप जो लकड़ी लाये थे पुनः उसी वृक्ष के पास जाकर रख आये वृक्ष का पूर्व कि  भाती  ही पूजन करे भोग अर्पित करे तथा टहनी प्रदान करने के लिए धन्यवाद दे.

मंत्र

लागी लागि लागी अघोर धुन लागी,आयी धनलछमी भागी भागी भागी,घर मोय आईके दरिद्रता मिटाये,ना करे कहा तो अघोर दंड खाये,आदेश अघोरेश्वर को आदेश

इस प्रकार आपकी ये दिव्य साधना पूर्ण होती है जो कि आपके जीवन को बदलकर रख देने में सक्षम है.आवश्यकता है कि आप साधना को पूर्ण निष्ठा से करे.

किसी भी प्रश्न के लिए मेल करे.तथा अपनी और से मंत्र में कोई परिवर्तन ना करे.जैसा लिखा गया है वैसा ही करे.

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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