!! प्रचंड वीरभद्र साधना !!
हम चाहे कितना भी सावधानी से जीवन व्यतीत करे.किन्तु जाने अनजाने हमारे शत्रु बन ही जाते है.इसका कोई भी कारण हो सकता है.परन्तु शत्रुता कैसी भी हो वो कष्ट का कारण बनती ही है.
शत्रु के कारण सतत मानसिक,तथा आर्थिक कष्ट का अनुभव होता रहता है.
तो क्या हम शत्रु से हार मान ले ?
नहीं कदापि नहीं
जो हार मान जाये वो साधक नहीं हो सकता।साधक तो पाषाण को तोड़कर जलधार प्रगट करने की क्षमता रखता है.
शत्रु आपको विचलित कर सकता है किन्तु परास्त नहीं।क्युकी आपके पास साधना की शक्ति है.इस विषय पर आपके समक्ष वीरभद्र साधना प्रस्तुत है.
इस साधना के माध्यम से आप शत्रु के हर षड़यंत्र को विफल कर सकते है.साथ ही उसे स्वयं से दूर जाने पर विवश कर सकते है.
प्रस्तुत साधना से केवल आप शत्रु पर विजय प्राप्त करे,किसी का अनर्थ करने की चेष्टा न करे अन्यथा प्रयोग की तीव्रता से आपका अनिष्ट हो सकता है.अतः संकल्प केवल विजय प्राप्ति का हो इसके सिवा और कोई नहीं।
साधना आप किसी भी रविवार या अमावस्या की रात्रि ११ के बाद आरम्भ कर सकते है.आपका मुख दक्षिण की और हो.अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर शिवलिंग स्थापित करे.
वीरभद्र शिव का ही रौद्र रूप है अतः आपको किसी अन्य विग्रह आदि की आवश्यकता नहीं है.आपके आसन वस्त्र लाल होना आवश्यक है। भगवान शिव का सामान्य पूजन करे.तील के तेल का दीपक लगाये।तथा भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे.
भगवान शिव के समक्ष प्रार्थना करे वे वीरभद्र रूप धारण कर हमारे जीवन से शत्रु का नाश करे तथा उसे पराजित करे.इसके बाद वीरभद्र मंत्र की २१ माला जाप रुद्राक्ष माला से करे.
मंत्र में जहा अमुक आया है वहा शत्रु का नाम ले। जाप के बाद पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करे तथा प्रसाद स्वयं ग्रहण करे.यह क्रम तीन दिनों तक अवश्य करे.
अंतिम दिन अग्नि प्रज्वलित कर घी तथा काली मिर्च को मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे.बाद में यज्ञ की भस्म को जल प्रवाह कर दे,थोड़ी सी भस्म संभाल कर रख ले,और शत्रु के द्वार पर मंत्र पड़कर भस्म फेक आये.
अगर ये संभव न हो तो उसके घर की और मुख करके भस्म फुक मारकर मंत्र पडत हुए उड़ा दे.इस प्रकार ये साधना पूर्ण होती है,तथा साधक को शत्रु से मुक्ति प्रदान कर सुखी करती है.
मंत्र : ॐ ह्रौं हूं वीरभद्राय अमुक शत्रु नाशय नाशय हूं ह्रौं फट
OM HROUM HOOM VEERBHADRAAY AMUK SHATRU NAASHAY NAASHAY HOOM HROUM PHAT
माँ आप सबका कल्याण करे तथा आप सभी को साधना में सफलता प्रदान करे,इसी कामना के साथ
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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