तुलसी यक्षिणी साधना
प्रस्तुत साधना उन लोगो के लिये वरदान
सामान है जो सरकारी नोकरी पाना चाहते
है।
... क्युकी तुलसी यक्षिणी को ही राज्य पद
यक्षिणी भी कहा जाता है।अर्थात राज्य
पद देने वाली।अतः ये साधना राजनीती में भी सफलता देने वाली है।
यदि आपकी पदोन्नति नहीं हो रही है
तो,भी यह साधना की जा सकती है।
या सरकारी नोकरी की इच्छा रखते है
तो भी यह दिव्य साधना अवश्य संपन्न
करे।निश्चित आपकी कामना पूर्ण हो जाएगी।
विधि :
साधना किसी भी शुक्रवार
की रात्रि से आरम्भ करे,समय रात्रि १०
बजे के बाद का हो,आपका मुख उत्तर
दिशा की और हो,आपके आसन वस्त्र
सफ़ेद हो।
प्रातः तुलसी की जड़ निकाल
कर ले आये और उसे साफ करके सुरक्षित रख ले,जड़ लाने के पहले निमंत्रण
अवश्य दे।
अब अपने सामने एक
तुलसी का पौधा रखे और उसका सामान्य
पूजन करे,दूध से बनी मिठाई का भोग
लगाये और तील के तेल का दीपक लगाये।
तुलसी की जड़ को अपने आसन के निचे रखे।अब स्फटिक माला से मंत्र की १०१
माला संपन्न करे।यह क्रम तीन दिन तक
रखे,आखरी दिन घी में पञ्च
मेवा मिलाकर यथा संभव आहुति दे।बाद
में उस जड़ को सफ़ेद कपडे में लपेट कर
अपनी बाजु पर बांध ले।मिठाई नित्य स्वयं ही खाए।इस तरह ये दिव्य
साधना संपन्न होती है।
अगर आप ये
साधना ग्रहण काल में करते है तो मात्र एक
ही दिन में पूर्ण हो जाएगी।
अन्यथा उपरोक्त विधि से तो अवश्य कर
ही ले।कभी कभी इस साधना में प्रत्यक्षीकरण होते देखा गया है।अगर
ऐसा हो तो घबराये नहीं देवी से वर मांग
ले।
प्रत्यक्षीकरण न
भी हो तो भी साधना अपना पूर्ण फल
देती ही है,आवश्यकता है पूर्ण
श्रधा की।माँ सबका कल्याण करे।
मंत्र :ॐ क्लीं क्लीं नमः
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08601454449
व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
प्रस्तुत साधना उन लोगो के लिये वरदान
सामान है जो सरकारी नोकरी पाना चाहते
है।
... क्युकी तुलसी यक्षिणी को ही राज्य पद
यक्षिणी भी कहा जाता है।अर्थात राज्य
पद देने वाली।अतः ये साधना राजनीती में भी सफलता देने वाली है।
यदि आपकी पदोन्नति नहीं हो रही है
तो,भी यह साधना की जा सकती है।
या सरकारी नोकरी की इच्छा रखते है
तो भी यह दिव्य साधना अवश्य संपन्न
करे।निश्चित आपकी कामना पूर्ण हो जाएगी।
विधि :
साधना किसी भी शुक्रवार
की रात्रि से आरम्भ करे,समय रात्रि १०
बजे के बाद का हो,आपका मुख उत्तर
दिशा की और हो,आपके आसन वस्त्र
सफ़ेद हो।
प्रातः तुलसी की जड़ निकाल
कर ले आये और उसे साफ करके सुरक्षित रख ले,जड़ लाने के पहले निमंत्रण
अवश्य दे।
अब अपने सामने एक
तुलसी का पौधा रखे और उसका सामान्य
पूजन करे,दूध से बनी मिठाई का भोग
लगाये और तील के तेल का दीपक लगाये।
तुलसी की जड़ को अपने आसन के निचे रखे।अब स्फटिक माला से मंत्र की १०१
माला संपन्न करे।यह क्रम तीन दिन तक
रखे,आखरी दिन घी में पञ्च
मेवा मिलाकर यथा संभव आहुति दे।बाद
में उस जड़ को सफ़ेद कपडे में लपेट कर
अपनी बाजु पर बांध ले।मिठाई नित्य स्वयं ही खाए।इस तरह ये दिव्य
साधना संपन्न होती है।
अगर आप ये
साधना ग्रहण काल में करते है तो मात्र एक
ही दिन में पूर्ण हो जाएगी।
अन्यथा उपरोक्त विधि से तो अवश्य कर
ही ले।कभी कभी इस साधना में प्रत्यक्षीकरण होते देखा गया है।अगर
ऐसा हो तो घबराये नहीं देवी से वर मांग
ले।
प्रत्यक्षीकरण न
भी हो तो भी साधना अपना पूर्ण फल
देती ही है,आवश्यकता है पूर्ण
श्रधा की।माँ सबका कल्याण करे।
मंत्र :ॐ क्लीं क्लीं नमः
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
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