Tuesday, March 21, 2017

वाक् सिद्धि हेतु तारा साधना

कई बार कुछ लोग ऐसे होते है,जो बोलने में झिझक महसूस करते है।कई लोग प्रेजेंटेशन ठीक से नहीं दे पाते है क्युकी उनकी वाक् शक्ति कमज़ोर है या वे बहुत लोगो के बिच बोलने में डर जाते है।

भाषण देना हो तो डर जाते है,की इतने सारे लोगो के सामने कैसे बोलू। इन सारी समस्यायों का हल है ये माँ तारा की साधना।माँ तारा साधक की बुद्धि को तेज कर उसे वाक् सिद्धि प्रदान करती है।और ये साधना मोहिनी साधना के नाम से भी जानी जाती है।

क्युकी इस साधना से जहा एक तरफ आपके अन्दर बोलने की शक्ति उत्पन है वही दूसरी तरफ आपकी वाणी में एक आकर्षण पैदा हो जाता है जिससे कोई आपकी बात को टाल नहीं पाता है।

अतः एक साधक को अपने जीवन में ये साधना एक बार अवश्य ही करना चाहिए।क्युकी ये साधना तो माँ तारा का वरदान है अपने भक्तो के लिए।

  विधि:

यह साधना किसी भी बुधवार की रात्रि से आरम्भ की जा सकती है।समय रात्रि 10 के बाद का हो।साधक लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर बैठे।आपका मुख पूर्व की और हो या उत्तर की और हो।

सामने बजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर गुरुदेव का चित्र स्थापित करे,साथ ही गणेश विग्रह या चित्र और तारा यन्त्र भी स्थापित करे।

 सद्गुरु पूजन कर 1 माला गुरु मंत्र की करे,फिर गणेश पूजन करे,फिर यन्त्र का पंचोपचार पूजन करे।भोग में कोई भी मोसमी फल बिना काटे अर्पण करे,तील के तेल का दीपक और अगरबत्ती लगाये।

फिर हाथ में जल लेकर संकल्प करे की माँ में ये साधना वाक् सिद्धि प्राप्त करने के लिए कर रहा हु आप मुझ पर कृपा करे।फिर स्फटिक माला से मूल मंत्र की 21 माला करे।यह साधना 21 दिन करे।

आखरी दिन जाप के बाद हवन सामग्री में जौ और घी मिलाकर कम से कम 108 आहुति दे या इससे ज्यादा भी दी जा सकती है पर कम न हो।इस तरह यह साधना संपन्न होती है साधना के मध्य ही साधक को अपनी वाणी में हो रहे परिवर्तन दिखाई देने लगते है।

 ब्रह्मचर्य का पालन करे।तथा गुरु चरणों में मन लगाये। जय माँ तारा

मंत्र:

ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे एम ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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